मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

रेलवे का शर्मनाक व्यवहार और जनप्रतिनिधियों की शर्मनाक लापरवाही

 

* करणीदानसिंह राजपूत *
कोरोना के बहाने रेलवे ने कोविड स्पेशल नाम रख कर रेलों के किराये में बढोतरी कर आम लोगों से वसूली की वह ईमानदार मोदी सरकार में शर्मनाक लूट के अलावा किसी दूसरे शब्दों से नहीं कही जा सकती। इस लूट में गरीब से गरीब भी लुटा क्योंकि किसी न किसी कारण से वह यात्रा करने को मजबूर था।
आवागमन शिक्षा चिकित्सा जैसे विभाग जन सेवार्थ होते हैं लेकिन सरकार ने इन्हें भी कमाई का जरिया बना लिया। कोरोना काल में तो हद ही पार करदी गई। रेलवे कमाई के जरिये से भी आगे निकल गया।
आश्चर्य यह रहा है कि इस लूट पर पूरी सरकार, सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों ने ऐसा मौन व्रत धारण किए रखा मानों इनके शरीर में मामूली सी धड़कन भी न हो। 
रेलवे ने बंद पड़ी ट्रेनों में से अभी भी अनेक को शुरू नहीं किया है जिसके लिए जनता लगातार शुरू करने की मांग कर रही है।
रेलवे ने बंद ट्रेनों को शुरू कर दिया लेकिन लूट की कार्यवाही को बंद नहीं किया।
वरिष्ठ नागरिकों को किराए में दी जाने वाली छूट कंशेसन पुनः शुरू नहीं किए। वृद्धावस्था में व्यक्ति के पास आय होती नहीं या बहुत कम होती है। ऐसी स्थिति में छूट को कोविड नाम पर बंद करना और पुन: शुरू नहीं करना क्या कहलाएगा? मेल एक्सप्रेस रेलों में जनरल कोच में गरीब और अल्प आय के लोग यात्रा करते हैं, वहां अभी आरक्षण शुरू कर रखा है। आरक्षण के नाम पर यह लूट न जाने कब तक चलेगी। जनरल कोच में यात्रा के लिए भी एक दो दिन पहले आरक्षण हो सकता है जबकि अचानक या तुरंत यात्रा नहीं की जा सकती। पैसेंजर रेलें शुरू की जा चुकी है तब मेल एक्सप्रेस के जनरल कोच में आरक्षण क्यों? मेल और एक्सप्रेस में तो वैसे भी किराया अधिक होता है और ये कोच खाली भी रहते हैं।
आखिर रेलवे  और जन प्रतिनिधियों का ऐसा व्यवहार कब तक चलेगा?०0०
28 दिसंबर 2021.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान - भारत)
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