रविवार, 14 नवंबर 2021

प्रशासनिक सुधार विभाग उपस्थिति पंजिका के बजाय पत्रावलियों की जांच करे.



-- कार्यालयों में हर सिग्गे की सभी पत्रावलियों को देखलें। पत्रावलियां अपूर्ण क्यों हैं? पत्रावलियां पूर्ण होने के बाद भी क्यों रुकी हैं? --

* करणीदानसिंह राजपूत *

प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर अचानक सुबह कार्यालय खुलने के समय जांच की गई। उपस्थिति पंजिकाएं उठाई गई। अनेक राजपत्रित और गैर राजपत्रित स्टाफ अनुपस्थित मिला। 
सामान्य रूप से यह चलन हो गया है कि सरकारी कार्यालय में खुलने के समय से आधा घंटे बाद तक स्टाफ पहुंचता है और पहुंचने के बाद भी कार्य शुरू करने में आधा घंटा तक और  लगा दिया जाता है,मतलब यह है कि 11 बजे से पहले कार्यालयों में काम ही शुरू नहीं होता। अधिकारी ही समय पर नहीं आए तो फिर बाबुओं से समय पर आने और काम करने की आशा तो की ही नहीं जा सकती।

प्रशासनिक सुधार विभाग कि यह जांच महत्वपूर्ण नजर नहीं आती क्योंकि इस प्रकार की जांचें तो यहां के एसडीएम एडीएम आदि समय-समय पर करते रहते हैं।
प्रशासनिक सुधार विभाग वास्तव में कार्यालयों में सुधार देखना चाहता है तो उसे इस प्रक्रिया के अलावा कदम बढ़ाने होंगे।
बहुत कड़वी सच्चाई है कि बड़े अधिकारी समय पर पत्रावलियां देखते नहीं हैं और उन पर स्वीकृति स्वीकृति की नोट नहीं लगाते। इस प्रकार की पत्रावलियां महीनों तक और महीनों के बाद तक कार्यालयों में पड़ी रहती हैं। हालात यह है कि अनेक पत्रावलियों में मंत्रालयीय /लिपिक स्तर पर कार्य पूर्ण हो चुका होता है लेकिन अधिकारी उन  पत्रावलियों को मंगवाता नहीं तथा बाबू अपनी तरफ से पेश नहीं कर पाता। बाबू पेश करदे तो डांट फटकार का डर।
यह एक भय बनाया हुआ है। यह होना चाहिए कि लिपिक के कार्य पूर्ण होने के साथ ही उस पर लिपिक के हस्ताक्षर और तारीख हो और फाइल का बस्ता अधिकारी की टेबल पर पहुंच जाए। बाबू के पास पूर्ण हुई पत्रावली रहनी ही नहीं चाहिए। अधिकारी के हस्ताक्षर हो जाए तब वह फाइल बाबू के पास लौटनी चाहिए। ऐसी प्रणाली हो जाए तब अधिकारी की मनमर्जी नहीं चल पाएगी और कार्य शीघ्र होंगे।
आम नागरिकों का दुर्भाग्य है कि एक सामान्य काम के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। स्पष्ट है कि जानबूझकर देरी रिश्वत घूस के लिए की जाती है। राजस्थान में तो प्रतिदिन प्रमाण मिल रहे हैं। ऐसा एक भी जिला या विभाग शायद ही बचा हो जिसमें रंगे हाथों कोई पकड़ा नहीं गया हो। अनेक बड़े अधिकारी भी पकड़े जा चुके हैं। यह होना चाहिए कि प्रशासनिक सुधार विभाग पत्रावलियों को देखे और उनके रोकने, पड़ी होने की जांच करे। अभी जहां जहां उपस्थिति की जांच हुई वहां पत्रावलियों की जांच अभी भी हो जाए तो कार्य करने और कैसे करने के सभी राज सामने आएं। 
अभी श्री गंगानगर जिले की ही कार्य प्रणाली को ध्यान दें। सभी अधिकारी अपने कार्यालयों में हर सिग्गे की सभी पत्रावलियों को देखलें। पत्रावलियां अपूर्ण क्यों हैं? पत्रावलियां पूर्ण होने के बाद भी क्यों रुकी हैं? ०0०
दि.13 नवंबर 2021.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़.
*******



यह ब्लॉग खोजें