सूरतगढ़:नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर भाषण कविता प्रतियोगिता आयोजन:और कौन बोले
*करणी दान सिंह राजपूत*
रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार पर सुभाष चौक पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आयोजित समारोह में स्कूल छात्र-छात्राओं की नेता जी के जीवन पर आयोजित भाषण कविता प्रतियोगिता में टैगोर स्कूल की विद्यार्थी मनीषा के भाषण को प्रथम,अतुल शर्मा की कविता को द्वित्तीय और राजकीय बालिका विद्यालय की छात्रा कंवर को तृतीय पुरुष्कार प्रदान किया गया।
इस अवसर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम का आयोजन नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मारक समिति की ओर से किया गया था।
समारोह में भगत सिंह युवा ब्रिगेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक पूनिया उनके साथ ब्रिगेड के अनेक नौजवान शामिल हुए।
समारोह में अशोक पूनिया, स्मारक समिति के अध्यक्ष डॉ टी एल अरोड़ा, समाधान समिति के अध्यक्ष लाजपत राय भाटिया, वरिष्ठ पत्रकार करणी दान सिंह राजपूत, नगर पालिका उपाध्यक्ष पवन कुमार ओझा, भारतीय जनता पार्टी के युवानेता मुरलीधर पारीक, पीके मिश्रा, महावीर प्रसाद भोजक, इंद्र कुमार सरावगी व अनेक लोगों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर क्रांतिकारी विचार प्रकट किए। सभी की इच्छा थी कि नेताजी देश में जिस प्रकार का बदलाव चाहते थे वैसा बदलाव हो नहीं पाया।
इस समारोह में भगत सिंह युवा ब्रिगेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक पूनिया ने अपने ओजस्वी भाषण में कहा कि देश को आजाद कराने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन को सदा याद किया जाएगा।लोग मानते हैं और यह पढ़ाया जा रहा है कि 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त हुए थी लेकिन सच्चाई यह है कि देश को आजादी 1943 के पास मिली थी। आजाद हिंद फौज आगे बढ़ते हुए कोहिमा नगालैंड असम तक पहुंच गई थी। उस सब को भुला कर इतिहास गलत पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इतिहास में यह पढ़ाया जा रहा है कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे लेकिन सच्चाई यह है कि देश की पहली सरकार के प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे और राष्ट्रपति राजा महेन्द्र प्रतापसिंह थे। उस सरकार को विश्व के 12 देश मान्यता भी दे चुके थे।
वरिष्ठ पत्रकार करणी दान सिंह राजपूत ने कहा कि कि देश में बदलाव की आवाज उठ रही है और और आने वाल समय में काफी बदलाव होगा।
क्रांतिकारी महावीर प्रसाद भोजक ने बहुत तेज ऊंची ऊंची आवाज में नारे लगाते हुए भ्रष्टाचारियों को दंडित करने की मांग के साथ अपना भाषण दिया।। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल मेंं शायर परमानंद दर्द कवि रामेश्वर दयाल तिवारी और वकील विष्णु शर्मा थे।