सोमवार, 27 मार्च 2017

सूरतगढ: अकाल में पशु आहार खाकर जिंदा रहने की मजबूरी:

-  करणीदानसिंह राजपूत -

सूरतगढ़ तहसील का टिब्बा क्षेत्र जहां अकाल में पशु आहार ( चापड़ )खाकर लोगों को जिंदा रहना पड़ा​ था। यह दर्दनाक दास्तान भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन विधायक हंसराज मिढा और​ मेरे ( करणीदानसिंह राजपूत ) के सामने करीब 34-35 साल पहले उजागर हुआ था। सूरतगढ़ तहसील के अकालग्रस्त टिबा क्षेत्र की रिपोर्टिंग के लिए मैं करणीदान सिंह राजपूत विधायक हंसराज जी मिढा के साथ इलाके के दौरे कर रहा था। हंसराज जी मिढा का कार्यकाल 1980 से 1985 तक का था। सूरतगढ़ तहसील का टिबा क्षेत्र अकाल के समय तड़प उठता था। अकाल राहत कार्यों से भी पार नहीं पड़ती थी। सांवल सर के आसपास ग्रामीण इलाकों में घूमते हुए सांवलसर पहुंचे तब लोगों ने अपनी दर्दनाक दास्तान सुनाई। अकाल राहत कार्य में खुदाई करने का कार्य करवाया जाता था। वहां के लोगों ने बताया कि पक्की जमीन जहां चूना पत्थर भी है खोदना बहुत मुश्किल है। भयानक गर्मी में कुछ घंटों का कार्य होता है। निर्धारित माप की जगह खोदी नहीं जा सकती। वह स्थल भी दिखाए। विधायक हंसराज जी मिढा और मैं पहुंचे पानी वानी पिया और चारपाईयों पर बैठे।लोगों से हाल-चाल जान रहे थे। लोगों ने कहा कि असलियत बताते हुए बड़ा दर्द हो रहा है।शर्म भी आती है कि हमारे हालात और जिस प्रकार का जीवन गुजार रहे हैं वह कितना दर्दनाक है। बार बार पूछा तब लोगों ने बताया कि अकाल के इस भीषण काल में पशु चापड़ (पशु आहार) खा रहे हैं। लोगों ने बताया पशु आहार का थैला लाते हैं। पशु आहार गिट्टियों में होता है। उसे पहले कूटते हैं और बाद में अनाज में मिलाकर पीसते हैं। वह अनाज के आटे में शामिल हो जाता है और उस आटे की रोटियां बनाकर खाते हैं।अकाल में जीवन गुजारते हैं जो जानवरों जैसा है। यह दास्तान सुनकर विधायक जी और मैं दोनों ही हतप्रभ रह गए। पशु आहार या पशु चापड़ कहें वह चावल की कणी भूसी दालों के छिलके चनों के छिलके आदि को मिलाकर के बनाया जाता है । मैं उस समय राजस्थान पत्रिका से जुड़ा हुआ था और मेरी यह रिपोर्ट और इसके साथ अकाल ग्रस्त इलाकों की अन्य रिपोर्टें राजस्थान पत्रिका में चित्रों सहित प्रकाशित हुआ करती थी। आज जब अकालग्रस्त रहने वाले इलाके के लोगों द्वारा एटा सिंगरासर माइनर की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है, तब यह दर्दनाक संस्मरण मैं लोगों के सामने रख रहा हूं। इतनी विकट स्थिति में लोग कैसे जीवन गुजारते हैं। इलाके के लोगों को पानी चाहिए तभी उनका जीवन संवर सकता है।इलाके के जनप्रतिनिधियों को सामाजिक संगठनों को एक राय होकर कार्य करना होगा।एक दिन निश्चित रूप से यह मांग मंजूर होगी। मेरा इलाके के सोशल मीडिया चलाने वालों से निवेदन है कि अगर पसंद है तो इसे सांझा करें काट पीट कर कॉपी करके अपने वाल पर लगाने आदि से बचें। कारण यह है कि जो बात मैं सामने रख रहा हूं वह सही तरीके से पहुंचे।जब काट पीट हो जाती है तब सही रिपोर्ट लोगों तक नहीं पहुंच पाती, इसलिए इसे सांझा करें। 


-करणीदान सिंह राजपूत,

 राजस्थान सरकार द्वारा  अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,

सूरतगढ ( राजस्थान )

संपर्क   94143 81356.


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