= करणीदानसिंह राजपूत =
मगर जनता ने जो विश्वास किया उसे क्या मिला?

सुराज तो तभी स्थापित हो सकता है जब दारू नशा बंद किया जाए। लेकिन दारू बंद कराने के बजाय घनी बस्तियों में,शिक्षण सस्थाओं के पास,धार्मिक स्थलों के पास और राष्ट्रीय उच्च मार्गों के पास में खोल दिए गए। इनका विरोध बढ़ रहा है।
कितनी दुर्भाग्र्यपूर्ण हालत है कि एक महिला के राज मे महिलाओं को दारू ठेकों को हटाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
दारू ठेकों के लिए नियम बने हुए हैं। तब आबकारी अधिकारियों ने जगहों की स्वीकृति देते हुए ध्यान क्यों नहीं रखा? असल में ऐसे अधिकारियों के विरूद्ध भी कार्यवाही की जानी चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी राम राज्य लाने का वादा करती है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उसे संरक्षण प्रदान करता है। तो ऐसा क्यों हो रहा है?
सुराज तो तभी माना जाता है जहां अपराध ना हों। मगर दारू होगी तो अपराध भी होंगे। यह निश्चित है। दारू तो अपराधों की जननी मानी जाती है।
राजस्थान को गुजरात जैसा बनाना चाहते हैं तो दारू बंद होनी ही चाहिए। गुजरात में दारू बंद है। वहां भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार दारू की आय के बिना चल रही है। गुजरात की उन्नति और विकास के कसीदे काढ़े जा रहे हैं, तब राजस्थान में दारू बंद करके सरकार क्यों नहीं चलाई जा सकती?
पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा जयपुर में 1 अप्रेल 2014 से आमरण अनशन पर हैं। उनकी मांग है राजस्थान में संपूर्ण शराब बंदी लागू की जाए। उनका यह अनशन राजकीय चिकित्सालय एसएमएस के गहन चिकित्सा इकाई में भी जारी है।
राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने इतने दिन बाद भी कोई ध्यान तक नहीं दिया है।
राजस्थान में पानी नहीं मिल सकता मगर दारू हर स्थान पर उपलब्ध है। भाजपा का यह सुराज है और संघ की यह कैसी नजर है?
पानी के लिए लोग तरस रहे हैं तथा हाहाकार मचा है।
6-5-2014
up date 16-5-2016
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