रविवार, 31 अक्तूबर 2021

बढ़ते नशे बिगड़ते युवा दोषी कौन? पुलिस या फिर हम सब

 





* करणीदानसिंह राजपूत *
शराब की लत ने घरों को परिवारों को समाज को तहस-नहस कर दिया और उसके ऊपर फिर स्मैक का नशा दवाइयों का नशा इतना बढ़ गया है कि हर घर कहीं ना कहीं प्रभावित हो रहा है।
सामान्य रूप से हर समय पुलिस सामने खड़ी नजर आती है और सभी कह देते हैं कि नशा बढ़ रहा है और पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही लेकिन क्या यह आरोप सत्य है या फिर हम अनजाने में यह लगा देते हैं? हो सकता है कि पुलिस की कुछ ढील से नशे की प्रवृत्ति पर रोक लगने में बाधा आ रही हो। लेकिन पुलिस आबकारी विभाग ड्रग कंट्रोलर आदि सभी के निरीक्षण जांच छापे आदि की कार्यवाही के नियम बने हुए हैं। अनेक नियम ऐसे हैं जिसमें पुलिस सीधे कोई कार्यवाही नहीं कर सकती। मेडिकल स्टोर पर नशे की गोलियां बिकने के आरोप लगते हैं लेकिन पुलिस ड्रग इंस्पेक्टर के बिना वहां कार्यवाही नहीं कर सकती। शराब की दुकान पर पुलिस छापा नहीं मार सकती वहां पर आबकारी विभाग कार्यवाही करता है। अवैध शराब सार्वजनिक स्थल पर पी जाती है बेची जाती है नियम के विपरीत अधिक मात्रा में कहीं स्टॉक होता है या अवैध परिवहन हो रहा है तो पुलिस कार्यवाही कर सकती है।आबकारी विभाग को बहुत से अधिकार दिए हुए हैं।
नशे के अनेक रूप हैं और हर रूप व्यक्ति के स्वास्थ्य को बिगाड़ने वाला है। समाज का हर व्यक्ति यह बात जानता है।जो व्यक्ति नशा ले रहा है वह भी इस बात को जानता है।
कार्य गलत हो रहा है।कानून के विपरीत हो रहा है।अवैध आपराधिक कार्य करने वाले लोग हमारे आस पास के होते हैं लेकिन आरोप पुलिस पर लगता है कि सरेआम नशा बेचा जा रहा है और पुलिस कार्यवाही नहीं कर रही।
जो व्यक्ति गैर कानूनी ढंग से चोरी-छिपे नशे की सामग्री बेचता है। वह गुप्त होते हुए भी कहीं कम कहीं ज्यादा आसपास के लोगों को मालूम होता है कि फलां व्यक्ति यह कार्य कर रहा है। लेकिन वह व्यक्ति परिवार का है।परिवार का है इसलिए उसकी शिकायत नहीं होती। परिवार के व्यक्ति की शिकायत कैसे करें? समाज का व्यक्ति है उसके विरुद्ध शिकायत नहीं हो सकती। पड़ोस का व्यक्ति है उसके विरूद्ध भी शिकायत नहीं हो सकती। मिलने वाला है मित्र है परिचित है उसके विरूद्ध भी शिकायत नहीं हो सकती।
बेचारा गरीब है। यह धंधा करके अपने बच्चों का पेट पाल रहा है जैसे तैसे परिवार चला रहा है। अब उसके विरुद्ध भी शिकायत नहीं हो सकती तो फिर शिकायत किसके विरुद्ध हो। लोक प्रसिद्धि में एक ही विभाग बचता है जो सामने नजर आता है। वह पुलिस विभाग है। उसके कांस्टेबल पर थानेदार पर निरीक्षक पर चाहे जब आरोप लगा दें। बड़े आराम से यह चलता है।
कोई पूछ ले कि कहां बिक रहा है नशा? कौन बेच रहा है नशा? तब लोग बताना नहीं चाहते। अगर लोग बताएं तो फिर निशा बिकेगा भी नहीं लेकिन ऐसा किया नहीं जाता। पुलिस पकड़ ले तो गलत को पकड़ लिया, कहने वाले भी आगे आ जाते हैं। 
राजनीतिक प्रभावी लोग दबाव से नशा बिकवाते हैं और पुलिस पकड़ धकड़ कर भी लेती है तो उस अधिकारी की खैर नहीं। उस पर अनेक दबाव। वहां उस अधिकारी के पक्ष में लोग और संस्थाएं सामने नहीं आती। उस नेता के राजनीतिक दल के सदस्य हैं तो शिकायत क्यों करें? पुलिस या अन्य अधिकारी जाएगा तो नया आ जाएगा। नेता से क्यों बिगाड़ी जाए? लोगों की हर कदम पर पलट जाने की प्रवृत्ति में अधिकारियों की पुलिस की क्या हालत होती है? यह  हर कोई जानता है।
हां, कुछ मामलों में लोग भयभीत रहते हैं कि नशा बेचने वाला गुंडा प्रवृत्ति का है। वह मारपीट करने में आगे रहने वाला है तब सामान्य रूप से लोग उसके विरुद्ध शिकायत नहीं करते। 
हालांकि पुलिस विभाग आबकारी विभाग चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग सभी की ओर से कहा जाता है कि व्यक्ति अवैध कार्यों की शिकायत गुप्त रूप से कर सकता है। उसका नाम उजागर नहीं होगा लेकिन फिर भी लोग भयभीत रहते हैं।
सच्चाई को समझा जाए तो जरूरी नहीं है कि व्यक्ति सामने आए। वह किसी भी तरह की गोपनीयता रखते हुए नाम छुपाते हुए शिकायत कर सकता है।
हमारे आसपास दारू का नशा ही नहीं है। अब नया रूप स्मैक जिसे चिट्टा नाम मिला है मतलब सफेद। वह चिट्टा बढ़ रहा है। मेडिकल नशा बढ़ रहा है। हजारों नशीली दवाइयों की गोलियां हर रोज पकड़ी जा रही हैं। सजा भी बहुत है जुर्माना भी बहुत है,मगर फिर भी लाखों रुपए कमाने के चक्कर में ये अपराध बढ़ रहे हैं  और इसमें नए-नए लोग गैर कानूनी कार्यवाहियों में लिप्त होते जा रहे हैं।
ऐसे लोगों को बदलने,सही रास्ते पर लाने के लिए कदम बढ़ाए जाएं तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं हो सकता। नशे की प्रवृत्ति को रोकने के लिए व्यक्ति को सामाजिक संस्थाओं को आगे आना ही होगा।
दि. 31 अक्टूबर 2021.
करणी दान सिंह राजपूत
पत्रकार (राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)

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शनिवार, 30 अक्तूबर 2021

चीन की नई चाल मेड इन चाइना के बजाय मेड इन इंडिया के नाम से भारत में बिक्री

 


* करणीदानसिंह राजपूत 9414381356*

दीपावली के मौके पर हर साल स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करने का आग्रह और चीन की बनी सामग्री का बहिष्कार करने की जोरदार अपील सोशल साइट्स पर और धरना प्रदर्शनों के जरिए होती रहती है। इन अपीलों से भारत में चीनी माल की बिक्री पर असर पड़ने लगा और चीन के माल की बिक्री मंदी होने लगी।
धोखे में मास्टरी वाले चीन ने इसका तोड़ निकाला है।
चीन का माल अब नए तरीके से भारतीय बाजारों में बिकने के समाचार हैं। मेड इन चाइना के बजाय अब मेड इन इंडिया का ठप्पा लगाकर चाइना की बनी हुई सामग्री हिंदुस्तान में सस्ते के नाम पर बेची जा रही है।
भारत में 105 के करीब चीनी कंपनियां रजिस्टर्ड है और चीन से भारत में आयात सामग्री का आंकड़ा करीब 525 अरब रू के पार हो गया है।
चीन का माल मेड इन इंडिया के नाम से छूट के नाम पर बिक रहा है जिसमें भारतीय कंपनियों का भी हाथ है। भारतीय कंपनियां सस्ते और छूट के नाम पर उपभोक्ताओं को प्रभावित कर रही हैं।
भारतीय बाजार में चीन के बने हुए माल सीधे आते हैं या फिर स्पेयर पार्ट्स के रूप में आते हैं जिनको यहां असेंबल करके बेचा जाता है।
चीनी कंपनियों के मोबाइल,स्मार्ट वाच,एल ई डी टीवी,एसी,वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव ओवन, डेस्कटॉप कंप्यूटर लैपटॉप गेमिंग कंसोल हेल्थ व पर्सनल केयर उत्पादन व सजावटी लाइट्स इसमें शामिल है जो भारतीय उत्पादकों को प्रभावित कर रहे हैं। कहा जाता है कि इनकी ऑनलाइन ज्यादा बिक्री हो रही है। भारतीय लोग बचत के लालच में छूट के लालच में और अन्य ओफर के चक्कर में फंस कर चाइनीज उत्पादन खरीद रहे हैं। अधिकतर मामले कीमतों में  छूट के हैं छूट के अंदर यह सामग्री खरीदी जाती है।
भारतीय बाजार में चीन के मांग को नहीं बेचा जाए इसके लिए अपीलें असर तो कर रही है मगर पूरी तरह से भारतीय बाजारों में चाइना उत्पादों की बिक्री रोकने के लिए जरूरी है कि स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाया जाए,जैसे चीन के बहुत से  एप पर प्रतिबंध लगाया गया उसी तरह से सामग्री पर भी प्रतिबंध किया जाए तो भारत का उद्धार हो सकता है अन्यथा चाइना हर तरीके से जोड़-तोड़ करके नए हिसाब किताब से भारतीय बाजार में अपना माल बेचता रहेगा। सस्ते के नाम पर हिंदुस्तानी लोग चीनी माल खरीदते रहेंगे।
भारत में दीपावली पर बहुत जबरदस्त खरीदारी होती है जिसका चीन लाभ उठाता है।
दि. 28 अक्टूबर 2021.
करणी दान सिंह राजपूत,
पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ (राजस्थान) 94143 81356
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रविवार, 24 अक्तूबर 2021

सूरतगढ़ बार संघ ( न्यायिक) चुनाव:कड़ी टक्कर में जगतपाल थोरी 9 वोटों से जीते.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 24 दिसंबर 2021.

बार संघ न्यायिक के अध्यक्ष पद पर कड़ी टक्कर से हुए निर्वाचन में जगतपाल थोरी अध्यक्ष चुने गए।

 जगतपाल थोरी को 88 और बजरंग स्वामी को 79 मत प्राप्त हुए। जीत में केवल 9 मतों का अंतर रहा। कुल 179 मतों में से 167 मत डाले गए। 

जगतपाल थोरी को माल्यार्पण और गुलाल खेलकर बधाइयां दी गई।

कार्यकारिणी में सचिव पद पर विकास राजपुरोहित और कोषाध्यक्ष पद पर गौरव गोदारा चुने गए।

 * निर्वाचन कार्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी एडवोकेट सहदेव जोशी, निर्वाचन अधिकारी एडवोकेट सुभाष बिश्नोई एवं सहायक निर्वाचन अधिकारी एडवोकेट पूनम शर्मा ने संपन्न कराया।०0०











गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

श्रद्धेय पत्रकार कर्पूर चंद कुलिश ने कहा:चर्चा कब से खबर बनने लगी?चर्चा में खबर के तत्व ही नहीं होते.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

श्रद्धेय पत्रकार कर्पूर चंद कुलिश ने एक बार कड़ी सीख के रूप में पत्रकार विजय भंडारी से कहा था कि चर्चा कब से खबर बनने लगी?
कुलिश जी का मानना था कि चर्चा खबर नहीं होती। भंडारी जी ने एक राजनैतिक चर्चा को खबर बना दिया था।
आज अनेक समाचारों में लिखा हुआ होता है कि चर्चा में ऐसा मालूम हुआ ऐसी चर्चा चल रही थी चर्चाओं में गर्म है आदि। 
ऐसा लिख कर  जो समाचार बनाए जाते हैं वे सच में समाचार होते ही नहीं हैं। वे दमदार नहीं होते। चर्चाओं का कोई प्रमाण नहीं होता। उनमें कोई तथ्य नहीं होता इसलिए उनका जीवन कुछ क्षण का होता है। चर्चा कभी भी खबर नहीं बन सकती हालांकि आज के युग में सोशल साइटों पर चर्चाएं फेंक कर आम जनता में खबर के रूप में प्रचारित किया जाता है। दिन भर में कितनी ही झूठी भ्रामक  चर्चाएं झूठे और भ्रामक समाचारों के रूप में देखने पढ़ने को मिलती हैं।
माननीय विजय भंडारी जी को लोक संवाद संस्थान की ओर से लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार 20 अक्टूबर 2021 को जयपुर में उनके निवास पर एक समारोह रूप में प्रदान किया गया।  
विजय भंडारी जी की ओर से इस सीख का उल्लेख किया गया। 

राजस्थान पत्रिका के आज 21 अक्टूबर 2021 के अंक में प्रकाशित समाचार के बीच में यह सीख भी लगी हुई है।




पाठकों को और समाचारों से जुड़े व्यक्तियों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है।०0०
दि. 21अक्टूबर 2021.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,( राजस्थान पत्रिका से 35 वर्ष  पत्रकारिता व कई पुरस्कार। श्री विजय भंडारी जी के संपादक काल में बहुत कुछ सीखा)
राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
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बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

* मेरा 77 वें वर्ष में एवं पत्रकारिता का 56 वें वर्ष में प्रवेश: करणीदानसिंह राजपूत*

 




^( माँ हीरा और पिता रतनसिंहजी की सीख तूं चलते जाना निर्भय होकर-पीड़ितों की आवाज बन कर:^)
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पत्रकारिता एवं लेखन के वर्षों के संघर्ष और आनन्ददायी अनुभवों व महान लेखकों पत्रकारों की रचनाओं को पढ़ते और उनसे मिलते हुए मेरे जीवन के 76 वर्ष पूर्ण हुए एवं 19 अक्टूबर 2021 को 77 वें वर्ष में प्रवेश की सुखद अनुभूति।

सीमान्त क्षेत्र का छोटा सा गांव जो अब अच्छा कस्बा बन गया है अनूपगढ़ जिसमें मेरा जन्म हुआ। 
माता पिता हीरा रतन ने और परिवार जनों ने वह दिया जिसके लिए कह सकता हूं कि मेरी माँ बहुत समझदार थी और पिता ने संषर्घ पथ पर चलने की सीख दी।

मेरा पहला लेख 'जल - जीवन और  स्वास्थ्य  का दाता' साप्ताहिक ज्वाला जयपुर में 15 जुलाई 1965 को प्रकाशित हुआ। 
सन् 1965 में दैनिक वीर अर्जुन नई दिल्ली में खूब छपा और सरिता ग्रुप जो बड़ा ग्रुप आज भी है उसमें छपने का गौरव मिला।
हिन्दी की अनेक पत्रिकाओं में छपने का इतिहास बना।
मैं सरकारी पीडब्ल्यूडी की नौकरी में था तब लेख कहानियां आदि बहुत छपते थे लेकिन गरीबों व पिछड़े ग्रामों आदि पर लिखने की एक ललक थी कि दैनिक पत्रों में लिखा जाए तब 1969 में पक्की नौकरी छोड़ कर लेखन के साथ पत्रकारिता में प्रवेश किया। 
अखबारों में लिखता छपता हुआ सन 1972 में राजस्थान पत्रिका से जुड़ा और 15 मई 2009 तक के 37 साल का यह सुखद संपर्क रहा।

धर्मयुग और साप्ताहिक हिन्दुस्तान में छपना गौरव समझा जाता था। दोनों में भी कई बार छपा।
छात्र जीवन में वाचनालय में दिनमान पढ़ता था तब सोचा करता था कि इसके लेखक क्या खाते हैं कि इतना लिखते हैं? वह दिन भी आए जब दिनमान में भी मेरी रिपोर्टें खूब छपी।
रामनाथ गोयनका के इंडियन एक्सप्रेस का विस्तार जब जनसत्ता दैनिक के रूप में हुआ तब जनसत्ता दिल्ली में खूब छपा। जब चंडीगढ़ से भी छपने लगा तब ओमप्रकाश थानवी के कार्यकाल में चंडीगढ़ में भी मैं खूब छपा। साप्ताहिक हिन्दी एक्सप्रेस बम्बई में भी लेख कई बार छपे।
राजस्थान की संस्कृति,सीमान्त क्षेत्र में घुसपैठ,तस्कर,आतंकवाद पर भी खूब लिखा गया। 
पंजाब के आतंकवाद पर टाइम्स ऑफ इंडिया बम्बई ने लिखने के लिए कहा तब कोई तैयार नहीं हुआ। वह सामग्री वहां से छपने वाली पत्रिका धर्मयुग में छपनी थी। मैंने संदेश दिया और मेरा लेख सन् 1984 में दो पृष्ठ में छपा। धर्मयुग में लेख छपना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी। धर्मयुग में बाद में कई लेख प्रकाशित हुए। 
आरएसएस का पांचजन्य,वामपंथी विचारधारा और जवाहर लाल नेहरू के मित्र आर.के.करंजिया का ब्लिट्ज,कांग्रेसी टच का करंट और समाजवादी विचार धारा के जॉर्ज फरनान्डीज के प्रतिपक्ष (1974-75) में खूब छपा। 
प्रतिपक्ष साप्ताहिक था जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नींद हराम करके रखदी थी और बाद में तो इस पर आपातकाल में प्रतिबंध लग गया था।
मेरे लेख और कहानियां अनेक पत्र पत्रिकाओं में  बहुत छपी।
आकाशवाणी सूरतगढ़ से वार्ताएं कहानियां कविताएं रूपक आदि बहुत प्रसारित हुई हैं। रूपक राजस्थान के सभी केंद्रों से एक साथ प्रसारित हुए।
इंदिरागांधी नहर पर दूरदर्शन ने एक रूपक बनाया जिसमें कई मिनट तक मेरा साक्षात्कार रहा। वह साक्षात्कार मेरे इंदिरागांधी नहर पर लेखन के अनुभवों के कारण लिया गया। दूरदर्शन के दिग्गज प्रसारण अधिकारी के.के.बोहरा के निर्देशन में वह साक्षात्कार हुआ व राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारण हुआ।

* विशेष घटना*
पत्रकारिता के कारण ही मार्च सन् 1974 में प्राणघातक हमला हुआ। राजस्थान की विधानसभा में काम रोको प्रस्ताव ( कट मोशन) 20 विधायकों के हस्ताक्षरों से पेश हुआ। बीस विधायकों के हस्ताक्षरों से ही काम रोको प्रस्ताव पेश हो सकता था।
  काम रोको प्रस्ताव पर मेरे लिए 48 विधायक बोले और फिर संपूर्ण सदन ही खड़ा हो गया था। मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी को खड़े होकर सदन को शांत करना पड़ा था। राजस्थान विधानसभा की प्रतिदिन की कार्यवाही उन दिनों छपती थी। मेरे पास एक दिन की कार्यवाही प्रति काम रोको प्रस्ताव की पड़ी है। सात दिनों तक यह हंगामा किसी न किसी रूप में होता रहा था। बीबीसी,रेडियो मास्को, वायस ऑफ अमेरिका सहित अनेक रेडियो ने दुनिया भर में वह घटना प्रसारित की। 
देश के करीब करीब हर हिन्दी अग्रेजी अखबार में समाचार और संपादकीय छपे।
* काम रोको(कट मोशन) वाले दिन कि छपी पुस्तक मेरे रिकॉर्ड में है। सभी दिनों की पुस्तकें स्व.केदारनाथ शर्मा के गृहमंत्री काल 1977-79 में उनकी लायब्रेरी से लाया था। वे भी मेरे पक्ष में बोलने वालों में थे।

* आपातकाल 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 ईसवी.*

आपातकाल अत्याचार का काल था जिसमें मेरा साप्ताहिक " भारत जन "भी सरकारी कोपभाजन का शिकार बना।
( यह मेरे संपादन और स्वामित्व में जनवरी 1973 से 1979 तक प्रकाशित हुआ था)
भारतजन पर पहले सेंसर लगाया गया। सरकार की अनुमति के बिना कोई न्यूज छप नहीं सकती थी। विज्ञापन रोक दिए गए। अखबार की फाइल पेश करने के लिए मुझे  श्रीगंगानगर बुलाया गया और  30 जुलाई 1975 को वहां गिरफ्तार कर लिया गया। आरोप लगाया गया कि पब्लिक पार्क में इंदिरा गांधी के विरोध में लोगों को भड़का रहा था। एक वर्ष की सजा भी सुनाई गई। सवा चार माह तक जेल मे बिताए और उसके बाद एक संदेश बाहर कार्य करने का मिलने पर 3 दिसम्बर 1975 को बाहर आया। 
आपातकाल में बहुत कुछ भोगा। मेरी अनुपस्थिति में छोटी बहन,पिता और नानी को क्षय रोग ने ग्रस लिया। इलाज तो हुआ वे ठीक भी हुए लेकिन वह काल बड़ा संघर्षपूर्ण रहा। परिवार ने कितनी ही पीड़ाएं दुख दर्द भोगे मगर वह अनुभव पत्रकारिता व राजपूती शान के अनुरूप और देशभक्ति से पूर्ण रहे जो जीवन की श्रेष्ठ पूंजी हैं।

* पुरस्कार - अलंकरण *

राजस्थान पत्रिका का एक महत्वपूर्ण स्तंभ 'कड़वा मीठा सच्च' था। इस स्तंभ में लेखन में 
* घग्घर झीलों के रिसाव पर सन् 1990 में लेखन पर सन् 1991 में राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार मिला।

* इंदिरागांधी नहर पर 12 श्रंखलाएं लिखी जो सन् 1991 में छपी तथा दूसरी बार 1992 में पुन: राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।

* राजस्थान की शिक्षा प्रणाली पर व्यापक अध्ययन कर दो श्रंखलाओं में सन् 1993 में प्रकाशित लेख पर तीसरी बार राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार 1994 में प्राप्त हुआ।

* इसके बाद सन 1996 में राजस्थान की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पद्धति पर व्यापक अध्ययन कर 4 श्रंखलाएं  लिखी। इस पर सन् 1997 में राज्य स्तरीय दूसरा पुरस्कार मिला।

* वर्ष 1997 में विश्व प्रसिद्ध शिक्षा संस्थान ग्रामोत्थान विद्यापीठ संगरिया के बहादुरसिंह ट्रस्ट की ओर से पत्रकारिता  में सम्मान व पुरस्कार प्रदान किया गया।

* बीकानेर संभाग का "राजस्थान गौरव पत्रकारिता सम्मान 2019" बीकानेर के रवीन्द्र मंच पर 4 अगस्त 2019 को प्रो.ललित किशोर चतुर्वेदी स्मृति संस्थान जयपुर की ओर से प्रदान किया गया।





* मेरी पत्रकारिता और रचनाएं *
    
मेरा लेखन कानून नियम के लिए सच्च के प्रयास में रहा। कई बार ऐसा लेखन लोगों को अप्रिय भी महसूस होता है लेकिन जिन लाखों लोगों के लिए लिखा जाता है,उनके लिए आगे बढऩे का कदम होता है।
राजनीति,राजनेताओं व राजनैतिक दलों पर और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लिखना लोगों को सुहाता है वहीं अप्रिय भी लगता है। साधारणतया ऐसे लेखन से पत्रकार बचना चाहते हैं, लेकिन मैं ऐसे लेख लिखना अच्छा समझता रहा हूं,क्योंकि समाज व लोग सतर्क तो होते ही हैं।

मेरे परिवार जन,मित्रगण और कानून ज्ञाता जो साथ रहे हैं वे भी इस यात्रा में सहयोगी हैं।

मैंने मेरे पूर्व के लेखों में भी लिखा है कि लिखने बोलने की यह शक्ति ईश्वर ही प्रदान करता है और वह परमआत्मा जब तक चाहेगा यह कार्य लेखन और पत्रकारिता चलता रहेगा और लोगों का साथ भी रहेगा।
पवित्र स्थानों, तीर्थ स्थलों, मंदिरों और शिक्षा संस्थाओं में एक ही आशीर्वाद मांगता रहा हूं कि सच्च लिखने की कोशिश करता रहूं ।

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राजस्थान पत्रिका के संस्थाथापक प्रसिद्ध पत्रकार श्रद्धेय कर्पूरचंद कुलिश का मेरे पर वरद हस्त रहा और उन्होंने जोधपुर में पत्रकारों के बीच में कहा कि मैं तुम्हारे हर लेख को पढ़ता हूं। यह एक महान गौरववाली बात थी। 
राजस्थान पत्रिका ग्रुप के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी और स्व. मिलाप कोठारी  ( राजस्थान पत्रिका के संपादक रहे गुलाब जी के छोटे भाई) एक घनिष्ठ मित्र के रूप में आते मिलते और अनेक विषयों पर हमारी  चर्चाएं होती। 
माननीय गुलाब जी सुझाव लेते और वे पत्रिका में लागू भी होते। गुलाब कोठारी ने श्रीगंगानगर में सर्वश्रेष्ठ संवाददाता के रूप में सम्मानित किया तब कई मिनट तक एकदूजे से गले मिले खड़े रहे। आज भी पत्रिका परिवार के साथ मेरे घनिष्ठ संबंध हैं।

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राजस्थान पत्रिका के प्रधानसंपादक गुलाब कोठारी सर्व श्रेष्ठ पत्रकारिता पर करणीदानसिंह राजपूत को सम्मानित करते हुए। बीच में नजर आ रहे तत्कालीन शाखा प्रबंधक अवधेश जैन और पास में उपस्थित तत्कालीन शाखा प्रभारी संपादक हरिओम शर्मा। दिनांक 16-4-2004)**
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मेरी ब्लॉग वेब साईट   www.karnipressindia.com
आज अत्यन्त लोक प्रिय साईट है जो देश और विदेश में प्रतिदिन हजारों लोग देखते हैं।
दिनांक 19-10-2021.
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करणीदानसिंह राजपूत,
राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क सचिवालय से
अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,
सूरतगढ़ / राजस्थान/ भारत।
मेरा ई मेल पता.   karnidansinghrajput@gmail.com
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रविवार, 17 अक्तूबर 2021

यह डेंगू डेंगू क्या है?आओ सब मिल फैलने से रोकें डेंगू :रविवार को सूखा दिवस मनाएं

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


 प्रत्येक व्यक्ति एक आदर्श नागरिक की तरह कई बातों का ध्यान रखें, तो डेंगू को फैलने से रोका जा सकता है।  घर के अंदर व आंगन  में जहां भी पानी एकत्रित हो रहा है, उसे साफ करें। 

 घर में कोई भी बेकार बर्तन, खुली बोतल, डिब्बे, पुराने टायर, कबाड़ एवं प्लास्टिक का सामान एकत्रित ना होने दें। इनमें पानी के ठहरने से डेंगू मच्छरों के पनपने का खतरा सबसे अधिक होता है। बर्तनों को खाली कर उल्टा रख दें। पानी के बर्तन, टंकी और हौदी को ढक कर रखें। गमलों में पानी एकत्र ना होने दें, नियमित पानी बदलें। कूलर के पानी को खाली कर बदलें या साफ कर साइड में रखें। इन छोटे से प्रयासों से हम अपने परिवार को डेंगू से बचा सकते हैं। 


वर्षा प्रभावित स्थानों पर जलजनित एवं मच्छरजनित बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। मौसमी बीमारियों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्साधिकारी एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को संवेदनशीलता बरतने के निर्देश दिए। इसके साथ ही आमजन से हर रविवार को सूखा दिवस मनाने की अपील की है। सभी घरों में भरा पानी खाली करते हुए सूखा दिवस मनाने की अपील है।

 मच्छरजनित बीमारियों सबसे पहले हमारे घरों से ही पैदा होती है। हमारे घरों में रुके हुए साफ पानी में मच्छरों का लार्वा पनपता है। यह लार्वा मच्छर बनकर डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका सहित अनेक बीमारियां फैलाता है। 

हमें अपने घर से ही इस लार्वा को खत्म करना होगा। महिलाओं, बच्चों सहित समस्त परिजनों को घर में रुके हुए पानी को नष्ट करना होगा ताकि लार्वा समाप्त हो सके। 

* डेंगू बुखार एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। यह मादा मच्छर होती है, जो हमारे घर के आसपास जमा पानी, बर्तनों, पौधों, कूलर, छत पर पड़े टायर आदि में अण्डे देती है। हमें इसे पैदा होने से ही रोकना होगा ताकि हमारा परिवार सुरक्षित रह सके। 

मच्छरों की रोकथाम के लिए चिकित्सा विभाग द्वारा एंटीलार्वल गतिविधियों एवं फोगिंग करवा रही है, लेकिन आमजन को अपने घरों के अंदर पैदा हो रहे मच्छर को स्वयं समाप्त करना होगा। घर के आसपास उगी गाजर घास एवं झाडिय़ों, नलियों की सफाई अवश्य करवाएं। ०0०

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पत्रकारिता में सहयोगी दो मित्र:दोनों रमेश: रमेश रमेश आपस में समधी:

 



* करणीदानसिंह राजपूत *


पत्रकारिता में अनेक लोगों का सहयोग मिलता रहा है। इंजीनियर रमेश चंद्र छाबडा और इंजीनियर रमेश चंद्र माथुर दोनों का सहयोग सराहनीय और आज भी स्मरणीय है। बड़े दावे के साथ कह सकता हूं कि व्यक्ति चाहे तो पत्रकारिता क्षेत्र में सहयोग मिलने पर बहुत कुछ कर सकता है। 

रमेश चंद्र छाबड़ा और रमेश चंद्र माथुर दोनों सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और सूरतगढ़ में निवास कर रहे हैं आश्चर्यजनक है कि रमेश चंद्र छाबड़ा और रमेशचंद्र माथुर आपस में समधी हैं।

रमेश चंद्र छाबड़ा कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं और लेखन में रुचि रखते हैं। एक पुस्तक छप चुकी है। फेसबुक पर व स्वयं के ब्लॉग में लिखते हैं।  रमेश चंद्र माथुर भाजपा के कार्यकर्ता हैं और रक्तदान सहित अनेक समाजसेवी कार्यों में सहयोग देते शामिल रहते हैं। रमेश चंद्र माथुर और पत्नी प्रभा माथुर युगल रूप में अनेक बार रक्त दान कर चुके हैं। 

मैं राजस्थान पत्रिका में कार्य करता था तब दोनों सिंचाई विभाग में कार्यरत थे और डिप्लोमा इंजीनियर्स युनियन के पदाधिकारी थे। सन् 1991 में इंदिरा गांधी नहर की एक श्रंखला राजस्थान पत्रिका में 12 किस्तों में छपी और कड़वा मीठा सच्च 1992 में राज्यस्तरीय प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। उसमें और अन्य समाचारों में बड़ा सहयोग मिला। राजस्थान पत्रिका की प्रगति पर पत्रकारिता के कड़े सिद्धांत रखने वाले संपादक श्री विजय भंडारी जी ने पुस्तक लिखी जिसमें मेरा और इस श्रंखला का विशेष उल्लेख किया गया था। 

दोनों रमेशों ने कड़वा मीठा सच्च के अनेक लेखों में ऐसी समस्याएं छपवाने में सहयोग दिया जिससे अनेक कार्य सरकार को,विभागों को समाधान करने पड़े और लोगों को लाभ हुआ। पीडि़त लोगों को लाभ दिलाने का अपार आनंद हम तीनों ने उठाया। लोगों के जीवन में खुशियाँ भरने का आनंद। राजस्थान पत्रिका ने मेरे हर लेख और विचारों को छापा।

आज भी दोनों रमेशों का सहयोग मिलता रहता है।०0०

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गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

सूरतगढ़:शारदीय नवरात्रों पर करणी माता मंदिर में राजपूत सरदारों ने सपत्नी हवन किया

 




* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 14 अक्टूबर 2021.


शारदीय नवरात्रा के शुभ अवसर पर बाई पास रोड सूरतगढ़ स्थित करणी माता मंदिर में नवरात्रा स्थापना से नवमी तक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हुए। यजमानों द्वारा प्रतिदिन सुबह मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की  और मां करणी जी की विधिवत पूजा अर्चना हुई। मां करणी की प्रतिमा का विशेष शृंगार किया गया।


नवमी के अवसर पर मन्दिर परिसर में हवन का आयोजन हुआ। मल सिंह भाटी, करणीदान सिंह राजपूत, छत्रपाल सिंह बीका, राजेन्द्र सिंह पड़िहार, उम्मेद सिंह शेखावत, एवं लाल सिंह बीका ने सपत्नीक हवन किया।। श्रद्धालुओं व उपस्थित राजपूत परिवारों ने हवन में पूर्णाहुति डाली। मंदिर में स्थापित सभी देवी देवताओं के धूप अर्चना की गई।








हवन सम्पन्न होने के बाद मां करणी की आरती की गई और मां करणी को विभिन्न पकवानों का भोग लगाया गया। पूजन कार्यक्रम पंडित भगवती प्रसाद शर्मा, दीपक शर्मा ने सम्पन्न करवाया।


 कंजक पूजन कर उन्हें प्रसाद भोजन कराया गया। भंडारे का आयोजन हुआ जिसमें सभी धर्मप्रेमियों को प्रसाद वितरित किया गया। 


इस मंगल अवसर पर राजपूत क्षत्रिय संस्था के  अध्यक्ष प्रहलाद सिंह राठौड़, उपाध्यक्ष भीम सिंह राठौड़, महासचिव अजय सिंह चौहान,, राम कुमार सिंह परमार, नारायण सिंह राठौड़, वीरेन्द्र सिंह सिसोदिया, गणपत सिंह भाटी, बजरंग सिंह परमार, शायर सिंह गौड़़, सूरज सिंह भाटी, वीरेन्द्र सिंह राठौड़, राम सिंह शेखावत, महेन्द्र सिंह निर्वाण, सुरजन सिंह राठौड़, हेम सिंह शेखावत, गजेन्द्र सिंह शेखावत उपस्थित रहे।०0०

 

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मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021

वृक्ष मित्र परिवार:सूरतगढ़ को जगाता:हरियाला बनाता: पेड़ लगाता:

 

* करणीदानसिंह राजपूत *
विकास की ओर अग्रसर सूरतगढ़ में भी ऊंचे शानदार भवनों के सीमेंट कंक्रीट के फैलते जंगल में आज जहां से गुजरें वहां आंखों के आगे एक नाम छा जाता है' वृक्ष मित्र परिवार'।





शहर की सड़कों सरकारी कार्यालयों के समीप, परिसरों में और अनेक सामाजिक धार्मिक संस्थाओं मंदिर परिसरों में पौधे जो बन रहे हैं पेड़। पौधों पेड़ों के सुरक्षा कवच पर एक नाम दिखता है। मै इसी नाम वृक्ष मित्र की चर्चा कर रहा हूं जिसने सूरतगढ़ की सूरत बदल दी। इस संस्था के सदस्यों ने शहर में जाग पैदा कर दी और यह प्रमाणित कर दिया है कि आदमी चाहे वह सब कर सकता है। पेड़ ही पेड़। पेड़ों की कतारें। पौधा रोपण आसान नहीं और उनको सींचना तो बहुत कठिन। ऐसी जगह भी हैं जहां दूर तक पानी नहीं। लागि ऐसी लगन सब हो गए मगन। इस लगन का परिणाम आज दिखाई दे रहा है और आने वाले कुछ सालों में भरपूर छाया और प्राणवायु देगा। और उस समय लोगों के मुंह से निकल पड़ेंगे आशीष के दो शब्द!
वृक्ष मित्र संस्था ने आम नागरिकों को प्रेरित किया है वहीं जनप्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों, संस्थाओं को भी साथ में खड़ा किया है। प्रशासनिक अधिकारियो कर्मचारियोंं को साथ लिया है तो वहीं पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों को भी साथ लिया है। 
' साथी हाथ बढाना साथी रे' की गूंज सी सुनाई पड़ती है। सूरतगढ़ शहर में। मेरे सूरतगढ़ में। ०0०
12 अक्टूबर 2021.
करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एव़ जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़. (राजस्थान.)
94143 81356.
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