शनिवार, 5 अक्तूबर 2019

सूरतगढ़ नगरपालिका ने पार्कों को बनाया कचरा पात्र

- करणीदानसिंह राजपूत -


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वछता भारत अभियान के तहत नगर पालिका का अजीबोगरीब नाटक सूरतगढ़ में देखा जा सकता है। 

एक तरफ घरों में सूखा और गीला कचरा एकत्रित करने और कचरे की गाड़ी में डालने का संदेश चल रहा है वहीं दूसरी ओर नगर पालिका नगर पालिका के द्वारा करीब 40 लाख रुपए के करीब खर्च हुए पार्कों को विकसित करने के बजाए उन्हें कचरा पात्र बना दिया गया है।

पार्कों में कचरे के ढेर और गंदे पानी की बदबू मिलती है। इसके अकाट्य प्रमाण है। 

नगर पालिका मैं 35 चुने हुए पार्षद हैं।इनमें एक पार्षद श्रीमती काजल छाबड़ा अध्यक्ष हैं। एक पार्षद पवन ओझा उपाध्यक्ष है और 33 पार्षदों में अधिकांश पार्षद ठेकेदार कंपनियों के मित्र हैं। 

नगर पालिका की बैठकों में विधायक भी आते हैं। सरकार द्वारा मनोनीत पार्षद भी बैठकों में आ रहे हैं। इतने लोगों ने मिलकर नगर पालिका के पार्कों को विकसित करने के बजाए साफ और स्वच्छ रखने के बजाय कचरा पात्र बना दिया है।यह सभी लोग जिनमें भारतीय जनता पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी व निर्दलीय सदस्य हैं,सभी  दोषी हैं।

 नगर पालिका के इस बोर्ड की जिम्मेदारी समस्त नगर पालिका क्षेत्र की है। ये करोड़ों रुपए का बजट नगरपालिका बैठक में हर साल सर्वसम्मति से पारित करते हैं और शहर को कचरा पात्र का रूप देते हैं।

 नगर पालिका से से चिपते ही सुंदर बगीचा होता था जिस पर अभी कुछ वर्ष पहले ही करीबन ₹5 लाख रू से अधिक खर्च करके अति सुंदर रूप रूप दिया गया लेकिन वर्तमान नगर पालिका बोर्ड ने इसे कचरा पात्र बना दिया। इस पार्क में में अब कचरा ढोने वाले वाहन खड़े किए जाते हैं। पार्क का रूप रूप स्टोर का रूप में बना दिया गया है। जिन लोगों का उल्लेख ऊपर किया गया है यह सब देख रहे हैं।

आम जनता अभी भी और कभी भी जाकर इस पार्क को गंदे स्टोर के रूप के रूप में बदले हुए देख सकती है। 

प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान के नाम पर नाटक शहर के बाईपास पर केशव पार्क में भी देखा जा सकताहै।

 केशव पार्क पर करीब 25 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं।  केवल दीवारें खड़ी की गई निर्माण किए गए लेकिन उसमें दूब व हरियाली,पौधों का फूल पत्तियों का नामोनिशान नहीं है।दीवारें भी टूटने लगी हैं। 

वर्तमान भाजपा बोर्ड के काल में इस पार्क परिसर में में परिसर में में गंदा पानी भरा हुआ है और कचरा डाला हुआ पड़ा पड़ा है। 

आखिर लाखों रुपए लगाकर गंदगी और कचरा भरने से क्या लाभ मिल रहा है?

भाजपा का प्रधानमंत्री और उसका स्वच्छता संदेश। भाजपा की मुख्यमंत्री,भाजपा का विधायक और भाजपा की नगरपालिकाअध्यक्ष।

यह तो उदाहरण हैं और संपूर्ण शहर के कचरा पात्र रूप को दखेंगे तो इनके कार्य से घिन आएगी।

एक कहावत है कि कुत्ता भी अपने जगह को साफ सुथरा करके बैठता है लेकिन नगरपालिका का के भवन को देखें एक दड़बे के रूप में है। करोड़ों का बजट कहाँ जाता है?

प्रथम 18-2-2018.
अपडेट 5-10-2019.


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