शनिवार, 27 अप्रैल 2019

सूरतगढ़ के हॉस्टलों व पीजी हॉस्टलों में सबकुछ गैर कानूनी: * लड़के लड़कियों की सुरक्षा पर प्रशासन व पुलिस गंभीर*

^^ संचालकों को कानून पालन की पहली सख्त चेतावनी भरी समझाईस ^^

** विशेष रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत **
सूरतगढ़ में कोचिंग और शिक्षण के लिए आए हुए लड़के लड़कियों के अभिभावकों ने ध्यान नहीं दिया तो उनके बच्चे कब किस दुर्घटना,अनहोनी या अनैतिक,गैर कानूनी कार्यों नशा व आपराधिक गतिविधियों की लिप्तता में जा सकते हैं या फुसलाए जा सकते हैं। अधिकांश लड़के लड़कियां नियम विरुद्ध संचालित हो रहे हॉस्टलों व पीजी हॉस्टलों में किरायों में रहते हैं जहां देर रात तक बाहर रहने, कहीं आने जाने पर न रोकटोक है न कोई व्यवस्था है और न कोई समय,न दुर्घटना अनहोनी में बचाव के साधन हैं। सूरतगढ़ में पिछले कुछ सालों में अनेक घटनाएं हुई जिनकी चर्चाएं बनती और खत्म होती रही व  पुलिस रिकॉर्ड तक पहुंच नहीं पाई जिससे हालात विस्फोटक स्थिति की ओर बढते रहे हैं। कुछ मामले पुलिस तक पहुंचे।
उपखंड मजिस्ट्रेट रामावतार कुमावत ने सूरतगढ़ में आने के बाद कानून व्यवस्था व शहर व ग्रामीण क्षेत्र की विभिन्न गतिविधियों पर ध्यान दिया तब शिक्षा के हब प्रचारित हो रहे शहर के हॉस्टलों व पीजी हॉस्टलों की अनियमितताएं सामने आई।
उपखंड मजिस्ट्रेट ने पड़ताल शुरू की तो विस्फोटक स्थिति सामने आई है कि  सभी हॉस्टलों व पीजी हॉस्टलों का संचालन बिना मंजूरी के हो रहा है तथा अभिभावक बेखबर हैं।
प्रशासन और पुलिस ने शिक्षा के लिए आए लड़के लड़कियों के शैक्षणिक जीवन को सुरक्षित रखने की ओर ध्यान देते हुए 25 अप्रैल 2019 को बैठक आयोजित कर हॉस्टलों व पीजी हॉस्टलों के संचालकों को पहली सख्त  समझाईस की है कि सभी नियमों का पालन करें और सब कुछ रिकॉर्ड पर हो।
उपखण्ड मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में नगरपालिका सभागार में दिनांक 25.04.2019 को शहर में संचालित हॉस्टल/निजी पुस्तकालय के सम्बन्ध में बैठक आयोजित हुई।
उपखण्ड मजिस्ट्रेट सूरतगढ़ द्वारा सर्वप्रथम उपस्थित हुए सभी अधिकारियों/हॉस्टल संचालकों का स्वागत सहित परिचय प्राप्त किया गया।
उपखण्ड मजिस्ट्रेट ने संचालकों को बताया कि कोई भी व्यवस्था कानून सम्मत तरीके से संचालित होती है। व्यवस्था बनाये रखने में सभी का सहयोग अपेक्षित है। व्यवस्था में नियम, कायदे, एक्ट तय होते है, प्रशासन को पालना करानी होती है। नियम एवं कायदे, कानून के सिस्टम से ही व्यवस्था चलती है। जो काम जिस ऑथोरिटी ( अधिकृत विभाग) को करना था उसके द्वारा नहीं किया जा रहा है तो इसके लिये वही ऑथोरिटी जिम्मेवार है। हम सभी सिस्टम (व्यवस्था) में है हमारा थीम (ध्येय) एक होता है कि हम सभी मिलकर कानून व्यवस्था बनाएं।
हॉस्टल संचालकों द्वारा हॉस्टल में रह रहे कुल बच्चों की संख्या , हॉस्टल का नाम, स्वयं मालिक या वार्डन का नाम, कब से चल रहा है तथा इसके अनुरूप कुल सीटों के बारे में जानकारी व परिचय दिया गया। हॉस्टल संचालकों से पूछा गया कि हॉस्टल में सीटें किस ऑथोरिटी से स्वीकृत कराई गई है तो कोई जवाब नहीं दिया गया। यह स्थिति उजागर हुई कि सरकारी नियमों के बजाय संचालकों के अपने ही नियम हैं जिनका आधार केवल कमाई करना है।
1.बैठक में बताया गया कि हॉस्टल वाणिज्यिक गतिविधि में आता है तथा हॉस्टल पंजीकृत होना आवश्यक है तथा जिस भवन में है वह भवन भी आवासीय की बजाय वाणिज्यिक में परिवर्तित कराया जाना आवश्यक है। अधिशाषी अधिकारी नगरपालिका को निर्देश दिये गये कि शहर में संचालित हॉस्टलों का वार्डवाईज सर्वे कराया जाकर रिपोर्ट तैयार की जावे कि वार्ड में किस स्थान पर हॉस्टल है व उसमें कमरों की संख्या तथा उसमें बच्चे (लड़के/लड़कियों) की संख्या तथा कब से रह रहे हैं  तथा वार्डन व मालिक कौन है इसकी जानकारी ली जाकर रिपोर्ट तैयार करवायी जावे।
2 लाईब्रेरी संचालकों से जानकारी ली गई कि उक्त लाईब्रेरी किस नियमों के तहत तथा किसकी अनुमति से संचालित की जा रही है लिखित में अवगत करावें। 

3.पीजी के सम्बन्ध में बताया गया कि पीजी (पेईग गेस्ट) वह होता है जो कुछ दिवसों  (सीमित समयावधि) हेतु किसी मकान मालिक के यहां परिवार के सदस्य के रूप में रहता है तथा अपने पर हुए खर्चें का भुगतान करके सीमित समयावधि के बाद चला जाता है। परन्तु शहर में चल रहे पीजी उसकी परिभाषा में नहीं आते है। यह हॉस्टल की श्रेणी में आते है जो वाणिज्यिक गतिविधि है।




4. यदि मकान मालिक द्वारा अपने घर के कमरे किसी को किराये पर दे रखे हैं तो वह गतिविधि किराया अधिनियम के तहत आती है। जिसकी अपील सुनने का क्षेत्राधिकार उपखण्ड मजिस्ट्रेट को है। मकान मालिक द्वारा किरायेदार का डाटा पुलिस को उपलब्ध कराना होगा, उसके बाद पुलिस सत्यापन होगा ताकि किसी प्रकार की आपराधिक गतिविधि में संलिप्त होने की स्थिति में कानूनी कार्यवाही की जा सके।
     5.उपखण्ड मजिस्ट्रेट द्वारा बताया गया कि जब किसी भूमि पर कोई गतिविधि वाणिज्यिक रूप में की जाती है तो उस भूमि का वाणिज्यिक में संपरिवर्तन होना आवश्यक है फिर वाणिज्यिक पंजीयन होता है। इससे होने वाली आय राजकोष में नियमानुसार जमा होती है।              
     6.हॉस्टल संचालकों को बताया गया कि स्थानीय प्रशासन को सामान्य कानून व्यवस्था की स्थिति को भी बनाये रखना होता है। शहर में अत्यधिक संख्या में हॉस्टल होने के कारण तथा एक ही हॉस्टल में अत्याधिक भीड़ की वजह से हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को नैसंर्गिक जीवन  जीने की आवश्कताओं में कमी आती हैं। डिप्रेशन( अवसाद)जैसी नकारात्मक प्रभाव बच्चों में आना शुरू हो जाते है। तथा भीड़ वाले एरिया में होने से सही वेंटिलेशन नहीं मिल पाता है तथा पानी बिजली आपूर्ती की समस्या रहती है। इसका उदाहरण वर्तमान में कोटा शहर है।
     7.लाईब्रेरी संचालकों से पूछा गया कि लाईब्रेरी किन नियमों के तहत संचालित की जा रही है तो वे इसका कोई उत्तर ही नहीं दे सके।
8. हॉस्टल संचालक किराये तक सीमित रहते है तथा अभिभावक किराया अदा करके मुक्त हो जाते है। हॉस्टल में रहने वाले बच्चे वाहन तेज गति से चलाते हैं  या बिना परिवहन ड्राईविंग लाईसेंस के व्हीकल या टू व्हीलर चलाते है तो यह समस्त जिम्मेवारी पुलिस प्रशासन तथा स्थानीय निकाय पर आती है।
9. सभी हॉस्टल/लाईब्रेरी संचालक निर्धारित नियम तथा कायदों से कार्य करें। मकान किराये पर चलाने के राज्य सरकार का किराया अधिनियम लागू होता है। नगरपालिका ऐसे मकानों का सर्वे कर नियमों के तहत वांछित कार्यवाही करें।
      10.उपखण्ड मजिस्ट्रेट द्वारा सभी हॉस्टल संचालकों से कानूनी रूप से हॉस्टल संचालन हेतु सुझाव प्राप्त किये गये। हॉस्टल संचालकों ने बताया कि हमें हॉस्टल संचालन के नियम तथा प्रक्रिया की पूर्ण जानकारी नहीं है। जितने नियमों की जानकारी है उनकी पालना की जा रही है व कार्यवाही की जा रही है। इसके अलावा प्रशासन , पुलिस एवं नगरपालिका द्वारा जो नियम बताये जायेंगे उसी अनुसार हॉस्टल का संचालन किया जावेगा।
11. उपखण्ड मजिस्ट्रेट द्वारा संचालकों को बताया गया कि पूर्व में जो चल रहा है वह गलत है या नहीं, यह तय होना चाहिये। हॉस्टल में रहने वाले बच्चे की किसी कारणवश  दुर्घटना या मिसहैपनिंग( अनहोनी घटना) होने पर पूरी जांच होगी। इसलिए संचालकों को रहने वाले बच्चों की पूरी जानकारी रखनी चाहिये। किसी भवन में हॉस्टल संचालित किया जा रहा है तो नियमानुसार  नगरपालिका वांछित कार्यवाही करेगी। हॉस्टल के सम्बन्ध में नियम कायदे होते हैं यथा हॉस्टल के उपर से तार नहीं जाने चाहिये, हाईवे आदि से कितनी दूरी पर होने चाहिए, अस्पताल पास में होना चाहिये इत्यादि। राज्य सरकार सभी प्रकार के नियम बनाकर पालन करवाती है। हॉस्टल संचालक नियमों का पालन करें।
12.यदि हॉस्टल में कोई आपराधिक प्रवृति का व्यक्ति रहना पाया जाता है तो पुलिस कार्यवाही होती है।
13.संचालकों को हॉस्टल में मेडिकल फैसिलिटी व अग्नि शमन की व्यवस्था भी रखनी होती है। यहां जो इंस्टीटयूट संचालित है, वे लिगल फोरम में है या नहीं है इसकी सूची आवश्यक है।
14. अधिशाषी अधिकारी नगरपालिका नियमों को लागू कराया जाना सूनिश्चित करें। यदि हॉस्टल में रहने वाले किसी बच्चे को कोई परेशान करना पाया गया तो उपखण्ड मजिस्ट्रेट या पुलिस उप अधीक्षक द्वारा औचक निरीक्षण किया जा सकता है। प्रशासन सकारात्मक तरीके से काम करना चाहता है,लेकिन नियमों का पालन जरूरी है।
    
15.पुलिस उप अधीक्षक वृत सूरतगढ़ ने बताया कि हॉस्टल वाणिज्यिक गतिविधि में आता है तथा जिस भवन में संचालित हो रहा है वह भवन भी व्यवसायिक में परिवर्तन होना चाहिये तथा बिजली, पानी बिल का भुगतान भी वाणिज्यिक की दर से होता है। समस्त हॉस्टल संचालकों द्वारा एक रजिस्टर का संधारण किया जावे जिसमें रहने वाले बच्चे के पहचान का दस्तावेज, मोबाईल नम्बर, फोटो रजिस्टर में चस्पा होनी चाहिये तथा अलग से प्रत्येक की एक फाईल बनाई जावे। स्थानीय गारजियन, माता पिता का मोबाईल नम्बर भी लिखा जाना चाहिये। हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरे आवश्यक रूप से होने चाहिये। संचालकों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि जो बच्चा रह रहा है वह डिप्रेशन में तो नहीं है। यदि वह किसी कारणवश  डिप्रेशन में होने से सुसाइड करने तक की स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसा कई स्थानों पर पूर्व में हो चुका है। कुछ समय पूर्व हॉस्टल जांच करवाये गये थे जिनमें अनियमिततायें पाई गई थी। पंजाब का गेंगस्टर सूरतगढ़ में रहना पाया गया था। हॉस्टल में बच्चों के आने जाने का समय निर्धारित होना चाहिये। लाईब्रेरी का भी खुलने व बन्द होने का समय निर्धारित होना चाहिये। हॉस्टल का एक गेट होगा जो बंद रहेगा। लाईब्रेरी में जिसका रजिस्ट्रेशन होगा वही रहेगा अन्य साथी नहीं रह सकते, इसलिए  रिकार्ड अपडेट संधारित रखा जाना आवश्यक है,जिससे संचालक स्वयं भी परेशानी से बचे रहेंगे।
16.उपखण्ड मजिस्ट्रेट के ध्यान में लाया गया है कि पूरी पूरी रात लाईब्रेरी केे नाम पर कथित लाईब्रेरियां खुली रहती है तथा पढ़ने वाले लड़के, लड़कियां बिना सुरक्षा उनमें रहते हैं। घर से दूर पढ़ने वाले बच्चों की सेहत एवं अनैतिक कोई घटना ना घटे इसके लिए यह अति आवश्यक है कि इनका संचालन  राजकीय (जिला) पुस्तकालय नियमों के तहत संचालन हो व अवैध व अनैतिक गतिविधि पर कानूनी कार्यवाही हो।
17.अधिशाषी अधिकारी नगरपालिका ने समस्त हॉस्टल संचालकों को बताया कि सूरतगढ़ में काफी संख्या में हॉस्टल संचालित हो रहे है। अनेक हॉस्टल व कोचिंग सेंटर अब हाल ही में खुले हैं  जिनकी किसी को जानकारी नहीं है। कोई अपराध होने के बाद ही हॉस्टल संचालित होने का पता चलता है। शहर में हॉस्टल की संख्या बहुत है। किसी भवन में हॉस्टल चलाने पर आवासीय से व्यावसायिक में परिवर्तन करवाना होगा। यदि हॉस्टल नियमों के प्रतिकूल चलना पाया जाता है तथा किसी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है तो सीज किया जा सकता है। हॉस्टल चलने की दिनांक से जुर्माना वसूला जावेगा। हर वार्ड में सर्वे करवाया जावेगा तथा सर्वे के बाद अलग से रजिस्टर संधारण होगा। हॉस्टल भवन को वाणिज्यिक में परिवर्तन करवाया जावे तथा पंजीकरण भी करवायें। पालिका को आय होने पर पालिका द्वारा सुविधाओं में भी विस्तार किया जावेगा। यदि कोई हॉस्टल नियम कायदों के विपरीत संचालित होना पाया जावेगा तो नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई जावेगी।
18. उपखण्ड मजिस्ट्रेट द्वारा अधिशाषी अधिकारी नगरपालिका को निर्देश दिये गये कि जिन हॉस्टल संचालकों को मीटिंग में आने हेतु सुचित किया गया लेकिन सूचना के  बावजूद बैठक में उपस्थित नहीं हुए,उनको नोटिस जारी किया जावे।
19.निर्देश दिए गए कि हॉस्टलों के अन्दर व बाहर नियमित सफाई व्यवस्था हो। देखने में आया है कि हॉस्टल संचालकों द्वारा कचरा डालने की कोई डस्टबीन आदि की कोई व्यवस्था नहीं  है। खुले में कचरा व सब्जियों आदि के वेस्ट फेंकने से गंदगी व बीमारियां फैलती है व आवारा पशु ऐसे कचरे के कारण गली-गली घूमते हैं ।
20.हॉस्टलों व लाईब्रेरी में आगजनी व सुरक्षा से निपटने की पूर्ण माकूल व्यवस्था का जिम्मा संचालकों पर हैं। कोई दुर्घटना न हो इस बाबत् अग्निशमन यंत्र लगाए जावें।
21. पड़ोसियों को कोई अव्यवस्था नहीं हो तथा उनके सामान्य जीवन में कोई व्यवधान हॉस्टल संचालकों व लाईब्रेरी संचालकों की गतिविधियों से या उसमें रहने वालों के कारण ना हो,यह भी  सुनिश्चित किया जावे। हॉस्टलों में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था हो।
22.अनाधिकृत रूप से देर रात्रि में (ओड ऑवर्स ) में लड़के, लड़कियां बाहर जायेंगें तो अनैतिक व आपराधिक गतिविधियां होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। अतः प्रत्येक हॉस्टल संचालक व प्रत्येक लाईब्रेरी संचालक इसका समय तय करके अवगत करायेंगे, अन्यथा आवश्यकता पड़ने पर प्रशासन द्वारा समय तय कर दिया जावेगा।
23.अधिशाषी अधिकारी नगरपालिका को निर्देशित किया गया कि शहर में चल रहे कोचिंग संस्थानों/शिक्षण संस्थानों की भी उपरोक्त नियमों के तहत परीक्षण व सर्वे करावें व नियमानुसार कार्यवाही कराने के निर्देश दिए गए।
24. तहसीलदार सूरतगढ़ को निर्देशिदत किया गया कि राजस्व नियमों के तहत समस्त तहसील क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियों पर नियमानुसार कार्यवाही करें व प्रगति से अवगत् करावें।
25.अधिशाषी अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि अभी तैयार सूची में शहर में 62 हॉस्टल व 10 लाईब्रेरियां संचालित की जा रही है,लेकिन बैठक में 42  हॉस्टल/पीजी संचालक व 5 लाईब्रेरी संचालक  उपस्थित हुए हैं।
अधिशाषी अधिकारी ने बताया कि शहर के अन्दर लगभग 200 हॉस्टल/पीजी व लगभग 20 लाईब्रेरी संचालित हो रही है। सही आंकड़ा वार्ड वाईज सर्वे के बाद ही आ पायेगा। प्रत्येक वार्ड वाईज गहन सर्वे शीघ्र ही उपखण्ड मजिस्ट्रेट महोदय के समक्ष पेश कर दिया जायेगा। इसके अलावा मिटिंग में दिये गए आदेशों (ऊपर वर्णित) की नियमों के तहत पालनाएं भी पेश कर दी जायेगी।
26.सभी को कानून व्यवस्था बनाये रखने व सूरतगढ़ शहर को खूबसूरत बनाने की शपथ दिलायी गयी।
बैठक में  पुलिस उप अधीक्षक श्री विद्या प्रकाश, तहसीलदार प्रदीप कुमार, सिटी पुलिस थाने के एएसआई श्री धर्मेन्द्रसिंह, अधिशाषी अधिकारी नगरपालिका श्री लालचंद सांखला, व हॉस्टल मालिक/प्रतिनिधि/ वार्डन तथा लाईब्रेरी संचालक उपस्थित हुए।

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