रविवार, 29 नवंबर 2015

बिहार व महाराष्ट्र में शराबबंद होगी:वसुंधरा सरकार बिना दारू क्यों नहीं चल सकती?


राजस्थान में गुरूशरण छाबड़ा के बाद और कितने बलिदान माँगती है भाजपा सरकार?
जन संगठन अपने स्थानीय जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन दें:
- करणीदानसिंह राजपूत -
बिहार में शराबबंद की नीतिश की घोषणा से संस्कारवान वाली वसुंधरा राजे के एक मजबूत तमाचा पड़ा। वहीं अब महाराष्ट में शराबबंद करने की घोषणा फडणवीस ने भी करदी है। राजस्थान में आँदोलन और पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा के बलिदान के बावजूद शराबबंद नहीं करने वाली वसुंधरा राजे के यह दूसरा तमाचा है। सरकारें जनता के लिए होती है और जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा और अपराधों पर अँकुश का पहला कर्तव्य उनका होता है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश ने 26 नवम्बर 2015  को अपने मंत्री मंडल की बैठक में निर्णय किया कि 1 अप्रेल 2016 से बिहार में शराबबंद होगी और इसके लिए सरकार ने नीति को अंजाम देने के लिए कार्य प्रणाली बनानी शुरू कर दी। नीतिश ने 26 नवम्बर 2015 को यह घोषणा करते हुए कहा कि गरीब लोगों के बरबाद होते हुए जीवन को बचाना है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस ने भी 28 नवम्बर  2015 को संपूर्ण महाराष्ट में आगामी वर्ष से शराबबंदी लागू करने की घोषणा कर दी है। अभी महाराष्ट्र के तीन जिलों वर्धा,गढ़ चिरौली और चंद्रपुर में शराब बंदी है।
राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा 3 नवम्बर को अपना बलिदान दे चुके हैं। राजस्थान की मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के किसी भी मंत्री ने 32 दिन तक आमरण अनशनकारी छाबड़ा से बात तक नहीं की। इतनी निर्दयता तो अग्रेजी शासन काल में भी नहीं होती थी। अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रहियों से वार्ता करती थी। वसुंधरा राजे ने अपनी क्रूरता दिखलाई ताकि उसके मंत्री और विधायक खौफ में रहें।
बिहार और महाराष्ट्र में शराबबंदी की घोषणा के बाद राजस्थान की मुख्यमंत्री से सवाल है कि वह और कितने बलिदान लेगीï?
गुरूशरण छाबड़ा की पुत्रवधु पूजा छाबड़ा शहीद स्मारक जयपुर पर 23 नवम्बर को बैठी और 27 नवम्बर को उसे जबरन उठा कर एसएमएस चिकित्सालय में भर्ती करवा दिया गया। पूजा छाबड़ा का आमरण अनशन चिकित्सालय में जारी है। पूजा छाबड़ा अपने परिजनों व अन्य कई कार्यकर्ता सीएम आवास पर आमरण अनशन करने 22 नवम्बर को पहुंच गए थे और पूजा को पुलिस हिरासत में लेकर सोढाला थाने ले गई थी। कई घंटे तक नाटक चला और पूजा ने जमानत बोंड भरने से इन्कार कर दिया तब रात में उसे छोड़ा गया। अगले दिन 23 नवम्बर को वह शहीद स्मारक पर पहुंच गई और वहां पर आमरण अनशन शुरू कर दिया था।
 पूजा छाबड़ा के पति गौरव छाबड़ा ने कहा है कि पूजा छाबड़ा का अनशन चिकित्सालय में जारी है। गौरव ने पूरे जोश से कहा कि बाऊजी गुरूशरण छाबड़ा जी के बलिदान के बाद राजस्थान सरकार को और बलिदान लेने हैं तो उनका छाबड़ा परिवार और बलिदान को तैयार है। परिवार ने यह सोच लिया है। पूरा परिवार जनहित के इस मुद्दे को छोडऩे को किसी भी हालत में तैयार नहीं है।
गौरव ने राजस्थान की जनता से सड़कों पर उतर कर सहयोग देने की अपील की है जिसमें शांति से कार्यक्रम चलाने का कहा है।
पूजा छाबड़ा के बाद शहीद स्मारक पर जयदेवसिंह मीणा संतोकपुरा शहीद स्मारक पर 27 नवम्बर से अनशन शुरू शुरू कर चुके हैं। राष्ट्रीय मीणा छात्र संगठन के राजस्ािान के प्रदेशाध्यक्ष हैं।
गुरूशरण छाबड़ा ने एक सवाल किया था कि जब गुजरात सरकार शराब की आमदनी के बिना चलाई सकती है तब राजस्थान सरकार क्यों नहीं चलाई जा सकती?
सरकार कहती है कि शराबबंदी के बाद तस्कर बेचने में लगते हैं सरकार की आय तो चली जाती है मगर तस्करों के मौज हो जाती है।  इस पर एक सवाल पैदा हो रहा है कि आबकारी विभाग के अधिकारी कर्मचारी किस काम के हैं जो भारी भरकम वेतन अभी ले रहे हैं। इस फौज का इस्तेमाल कब होगा?
गुरूशरण छाबड़ा का बलिदान और बिहार व महाराष्ट में शराबबंदी की घोषणा से राजस्थान सरकार विधानसभा में घिरी रहेगी।

मैं इस लेख के माध्यम से राजस्थान के छात्र संगठनों,युवा संगठनों,महिला संगठनों व सामाजिक संस्थाओं से अपील करता हूं कि अब देर न करें बिहार और अब महाराष्ट्र में शराबबंदी की घोषणा के बाद राजस्थान में भी शराबबंद कराने के ज्ञापन दें। जहां तक संभव हो ज्ञापन चुने हुए जन प्रतिनिधियों को दें और आग्रह करें कि वे वसुंधरा राजे की राजस्थान सरकार पर दबाव डालें। चुने हुए प्रतिनिधियों का इसलिए कह रहा हूंकि वे ही स्थानीय स्तर पर जनता से जुड़े होते हैं तथा चुनाव में जनता के बीच आते हैं। उनको स्थानीय स्तर पर जनता से लगाव रखना ही होगा।
राजस्थान में शराबबंदी होगी तो इससे प्रदेश का कल्याण ही होगा।



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