सूरतगढ़ में किसकी पावर:2024 का अंत 2025 का आगमन.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 26 दिसंबर 2024.
विधानसभा लोकसभा चुनावों के बाद बदलते हालात में सन् 2024 के बीतते दिसंबर माह और 2025 के आगमन के समय प्रमुख रूप से पावरगेम को देखा जाए तो राजनैतिक दृश्य पटल पर केवल भाजपा और कांग्रेस ही मौजूद है। भारतीय जनता पार्टी में सूरतगढ़ विधान सभा में पिता की राजनीतिक विरासत के रूप में संदीप कासनिया नाव चला रहे हैं।
रामप्रताप कासनिया जयपुर प्रदेश में पावर रखते हैं और सूरतगढ़ में खास बड़े मुद्दों पर ही फोन करते हैं। संदीप से बात करने का कहते हैं। भाजपा की पावर पर अभी इन्हीं पिता पुत्र का आधिपत्य है।
पूर्व विधायक अशोक नागपाल सीमित नजर आते हैं,सक्रिय नजर नहीं आते। भाजपा में आए मील परिवार पूर्व विधायक गंगाजल मील,प्रधान हजारीराम मील और युवा हनुमान मील की राजनीति शून्य से भी नीचे हो चुकी है। भाजपा वाले कांग्रेस से आने वालों को पूछ नहीं रहे। मील किसी कार्यक्रम तक में नहीं दिखते।
एक और चेहरा है श्रीभगवान सेवटा जो भाजपा में मूल ओबीसी की नाव चलाने के लिए पावरगेम गुप्त रूप से खेल रहे हैं।
* इंडियन नेशनल कांग्रेस में विधायक डुंगरराम गेदर की राजनीति विधायकी के कारण ही चलती हुई कुछ दिखती है।
गेदर से अधिक सक्रिय ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया नजर आते हैं जो सूरतगढ़ में भाजपा की केंद्र व राजस्थान सरकार और विभागों के स्थानीय कार्यालयों पर कुछ धरना प्रदर्शन करने की अगुवाई में दिखते हैं। भाटिया के अलावा एकदम शून्य।
पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादू भाजपा छोड़कर चुनाव में हारने के बाद कांग्रेस में घुसे लेकिन पावर में कहीं नजर नहीं आते। धरना प्रदर्शन में राजेंद्र भादू और बलराम वर्मा की उपस्थिति रहती है। कामों के मामलों में कहीं नहीं दिखते।
* भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी( मार्क्स वादी में लक्ष्मण शर्मा और मदन औझा ही जनता की समस्याओं पर आवाज उठाते हुए पावरफुल दिखते हैं।
बसपा में महेंद्र सिंह भादू केवल एक ही हैं लेकिन पावर कुछ नहीं दिखती। जेजेपी नेता पृथ्वीराज मील विधानसभा चुनाव पराजय के बाद ऐसे हो गये कि कुछ भी नहीं रहे। जनता के बीच रहने वाला वादा हार में दब गया। आम आदमी पार्टी में नेता छोड़ पार्टी ही नजर नहीं आती। ०0०