* करणीदानसिंह राजपूत *
नगर पालिका चुनाव से पहले काम करने के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए केवल 2 महीने का समय है। आचार संहिता अक्टूबर में लगेगी उसके बाद काम कुछ भी नहीं हो सकेगा।
नगरपालिका बोर्ड का अध्यक्ष पद भारतीय जनता पार्टी के पास में है इसलिए काम करने की नीति भारतीय जनता पार्टी के हाथ में है। कांग्रेस पार्टी के लिए विपक्ष की भूमिका निभाते हुए इतना ही समय है। दोनों राजनीतिक दलों के नेता कार्यकर्ता चुनाव लड़ने की ईच्छा तो रखते हैं और तैयारियां भी कर रहे हैं मगर नगरपालिका में भ्रष्टाचार और सफाई के मामलों में एकदम चुपी धारण किए हुए हैं। भ्रष्टाचार के मामले मीडिया में उजागर होने पर भी कुछ करना नहीं चाहते।
दोनों पार्टियों के नेता कदम आगे बढ़ाकर कार्यवाही करने की इच्छुक नहीं है। सफाई के मामले में पूरा शहर बंद नालों नालियों और कचरे के ढेरों से सड़ांध मार रहा है और इस गंदगी कचरे के बीच शहरवासी अपने हर कार्य और समारोह का आयोजन कर रहे हैं। दो वक्त का भोजन गंदगी और कचरे से उत्पन्न गंदी हवा और रोगाणुओं के फैलाव के बीच में करते हैं।
गंदगी के कारण जो बीमारियां फैल रही है उस पर सभी संस्थाएं और उनके समाजसेवी मौनी बाबा बने हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे लोगों को समारोह में अतिथि बनाना, उद्घाटन कराना, मंचों पर बिठाना और पुरस्कार बंटवाना समाजसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों को कैसे शोभा देता है और वे समाज के लोगों को इस तरह से कैसे जागरूक करते हैं।
* दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता चुनाव लड़ने के इच्छुक तो हैं लेकिन धरातल पर कोई भी काम करने की इच्छा नहीं रखता। दोनों पार्टियों के नेता शहर में भ्रमण करके अवलोकन करके जानना नहीं चाहते कि इस गंदगी को सफाई करने के लिए नगर पालिका में व्यवस्था कैसे सुधारी जाए।
अधिशासी अधिकारी ने शहर के बाजारों और वार्डों का निरीक्षण नहीं किया है।
पर्टियों के नेताओं के पास कोई नीति नहीं है। भाजपा के नगरपालिका बोर्ड के अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा,पूर्व विधायकों रामप्रताप कासनिया व अशोक नागपाल दो खेमों में बंटे हैं। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व विधायक गंगाजल मील का तो कहीं नाम ही नहीं आ रहा।
कांग्रेस पार्टी के विधायक डुंगरराम गेदर,पूर्व विधायक राजेन्द्र सिंह भादु और 120 दिन नगरपालिका के अध्यक्ष नियुक्त रहे परसराम भाटिया ने भ्रष्टाचार और गंदगी पर चुप की नीति अपना रखी है। भ्रष्टाचार के आरोपों से जो घिरे हैं उनसे कोई उम्मीद भी नहीं की जा सकती। शहर की गंदगी को जो 5-7 दिन में खत्म की जा सकती है वह महीनों से खत्म नहीं हो रही है।
* भारतीय जनता पार्टी के पास नगरपालिका बोर्ड का अध्यक्ष पद है इसलिए जिम्मेदारी अधिक है कि वह सभी वार्डों में निरीक्षण करे और व्यवस्था भी करे।
*पालिका में भ्रष्टाचार के कारण काम नहीं हो रहे या देरी से हो रहे हैं तो उस पर कोई गंभीरता होनी चाहिए। एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाने में एक दूसरे को फंसाने की कार्रवाई में ही समय निकलता चला गया है और आगे भी यह दो महीने इसी तरीके से बीतने की संभावना है।
👍नगर पालिका चुनाव के लिए पार्षद के रूप में अध्यक्ष बनने के रूप में तैयार तो अनेक लोग हैं मगर नगर पालिका के भ्रष्टाचार और सफाई की व्यवस्था, नगर पालिका में स्वर्ण जाति के अनेक सफाई कर्मचारियों की फर्जी हाजिरी पर सभी चुप है। कुछ भी कहना और करना नहीं चाहते।किसी एक नेता ने भी भ्रष्टाचार के प्रमाणित सबूतों के मामलों में भी उच्च स्तरीय शिकायतें नहीं की। जो मामले सामने है उन पर भी चुप्पी धारण किए हुए हैं।
*शहर में और कच्ची बस्तियों में निर्माण में अतिक्रमण निरंतर हो रहे हैं।मुख्य शहर में नगर पालिका की स्वीकृति के बिना अंडरग्राउंड निर्माण और बालकोनियों को बंद करके कमरों के रूप में बनाया जा रहा है। बालकोनी खुली रहनी चाहिए लेकिन उनमें व्यापार हो रहा है। नगर के मुख्य बाजारों में दुकानों में बिना स्वीकृति के अंडरग्राउंड निर्माण हो गये गई हैं और अनेक दुकानें बालकनी रोककर कमरों की तरह स्टोर बना दिए गए हैं या उन पर भी दुकानदारी शुरू है।मामला गंभीर है मगर नगर पालिका प्रशासन कुछ करना नहीं चाहता। सभी बाजारों की हालत बहुत बुरी है।
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी दोनों में शहर की सफाई व्यवस्था को सुधारने की सुध नहीं है। शहर के प्रति नागरिकों के प्रति दोनों ही पार्टियों के नेता कार्यकर्ता आंख कान बंद किए हुए हैं और हाथों को बांध करके पीछे किया हुआ है।
👍 भ्रष्टाचार को शह देने वाले निकम्मे लोग चुनाव लड़ेंगे और उन्हीं में से जनता को अपने पार्षद व अध्यक्ष का चुनाव मजबूरी में करना होगा। ०0०
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