रविवार, 25 अगस्त 2024

सूरतगढ:संस्थाओं को कीमती जमीनें रियायत पर मिल सकेंगी:प्रस्तावों पर रिपोर्ट

 



* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ 25 अगस्त 2024.

सूरतगढ नगरपालिका बोर्ड की 28 अगस्त को होने वाली बैठक की गर्मागर्म चर्चाएं शहर में हो रही है जिसमें कीमती जमीनें शिक्षा सामाजिक संस्थाओं को रियायती कीमत पर दी जाने के पांच प्रस्ताव हैं। इस समय सूरतगढ में हर क्षेत्र की जमीनें कीमती हैं और संस्थाओं को आवंटन शहरी जमीनों में ही सामाजिकता और चहुंमुखी विकास के लिए जरूरी है।

संस्थाओं में एक विवेकानंद संस्था जाखड़ावाली की है। जाखड़ावाली पहले सूरतगढ तहसील का ही गांव था जो हनुमानगढ़ जिला बनने के बाद उसका हिस्सा बन गया। विवेकानंद पब्लिक स्कूल जाखड़ावाली को करीब 25 -30 साल पहले यहां भूमि का आवंटन कीमतन नगरपालिका क्षेत्र में मंडी समिति के एरिया में हुआ था। जमीन की कीमत जमा करवाली गई लेकिन संस्थान को जमीन दी गई उस पर अतिक्रमण थे। संस्था ने अतिक्रमण का हवाला देते हुए अन्य स्थान पर देने की मांग रखी। दुबारा जमीन दी गई वहां ईंट भट्ठों के गहरे गड्ढे थे जिनमें पानी भरा रहता था। वहां कंटीली झाड़ियों से घिरे पानी भरे गड्ढों में कोई भी  जमीन लेने को तैयार नहीं होता था। विवेकानंद संस्था को वह घटिया जमीन दी गई। जिसे अब कीमती माना जा रहा है। सच्चाई यह है कि

सूरतगढ में जमीनों की कीमतें हर क्षेत्र में दिन दूनी रात चौगुनी के हिसाब से बढती रही। उस गड्ढों की जमीन के रेट बढने लगे और आज उसकी चर्चा हो रही है।

एक बार विवेकानंद संस्था को जमीन देने का प्रस्ताव 20 साल पहले नगरपालिका मेंं आया मगर उस पर कोई निर्णय नहीं हुआ और आगे किसी बैठक में रखा जाने का कहा गया। विवेकानंद संस्था का मामला एक राजनीतिक नेता के इशारे पर एक व्यक्ति ने उच्च न्यायालय में रिट लगा कर पेश किया। वहां कुछ वर्षों  तक यह मामला विचाराधीन रहा। बाद में अदालत का फैसला आया जिसमें जमीन देने पर कोई रोक नहीं लगाई गई। नगरपालिका जमीन दे सकती है।

राजस्थान सरकार के संबंधित मंत्रालय की ओर से लिखा गया कि नगरपालिका जमीन दे सकती है। कहीं भी रोक नहीं लगी। संस्था कोई खास जगह चाहती थी।

* विवेकानंद संस्था जमीन के लिए बड़ी अदालत में पहुंची। बड़ी अदालत ने कहा समतुल्य जमीन दी जाए। संस्था ने करीब 9000 वर्ग मीटर जमीन की कीमत भरी हुई है। उसकी कीमत भी बढती रही। विवेकानंद संस्था को जमीन बिना किसी पेचीदगी वाली दे दी जाती तो सन् 2005 के लगभग शहर में निर्माण होता और अब 2024 तक संस्था बहुत विकसित हो जाती जिसका लाभ बीस सालों में शहर के विद्यार्थियों को मिलता। भवन निर्मित संस्था की कीमत 100 करोड़ से अधिक हो जाती। लगभग 10 हजार विद्यार्थियों को अब तक लाभ मिल जाता।

* शहर की कुछ सामाजिक संस्थाओं गुरूद्वारा श्रीगुरु सिंघ सभा,राजस्थान मेघवाल समाज, ब्राह्मण धर्मशाला, सिंधु फाऊंडेशन ( नायक समाज) को रियायती कीमतों पर जमीनें देने के प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को भेजे जाएंगे। विवेकानंद संस्था को रियायती कीमत पर दी हुई जमीन का प्रस्ताव भी पारित कर राज्य सरकार को भेजा जाएगा।

* नगरपालिका बोर्ड की 28 अगस्त 2024 की बैठक में ये सभी प्रस्ताव हैं। विवेकानंद संस्था को दी हुई जमीन का प्रस्ताव 30 से अधिक पार्षदों की मांग पर रखा गया है। नगरपालिका में अध्यक्ष सहित कुल 45 सदस्य हैं। पार्षदों की मांग पर रखा गया यह प्रस्ताव और संस्थाओं को रियायती कीमत पर जमीनें दिए जाने के सभी प्रस्ताव पारित होने की संभावना है। 

सूचना है कि कांग्रेस के पार्षद और नगरपालिका में प्रतिपक्ष नेता परसराम भाटिया एक संस्था विवेकानंद को जमीन देने के विरोध पर हैं लेकिन बैठक में विरोध करने के लिए पार्षदों में भी कोई मान नहीं रहा है। भाटिया के कहने में कांग्रेस के भी सभी पार्षद नहीं है। नगरपालिका के आगामी चुनाव में उतरने के ईच्छुक सभी पार्टियों के पार्षद आगे की सोच रहे हैं और ऐसी स्थिति में सभी प्रस्ताव पारित होने की संभावना है।०0०







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