हरेक बंद में बाजार दुकानें बंद क्यों?
* करणीदानसिंह राजपूत *
* 21 अगस्त के भारत बंद का व्यापारिक संगठनों की ओर से राजस्थान स्तर पर कोई सहमति नहीं है। राजस्थान व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुरेंद्र गुप्ता ने इसका विरोध किया है। 👍 सच्चाई यह है कि कोई भी बंद हो उसका बाजारों दुकानों दुकानदारों से कोई लेना देना नहीं होता। व्यापारिक संगठनों की कोई लिखित सहमति नहीं होती। व्यापारिक संगठन के अध्यक्ष पदाधिकारी से सहमति अधिकतर लिखाली जाती है जिसका सभी दुकानदारों से कोई संबंध नहीं होता। व्यापारिक संगठनों की सहमति होने का झूठा प्रचार लाऊडस्पीकर घूमा कर बाजारों में कर दिया जाता है।
* एक दिन के बंद से दुकानदारों को भारी नुकसान होता है। हर दुकानदार को 5 से 10 हजार रुपए प्रतिदिन का घाटा और बिजली पानी का खर्च अलग से हो जाता है। दुकानों में बहुत सारा सामान एक दिन में नष्ट हो जाता है। दुकानदारों की कोई सहमति नहीं होती।
👍 21 अगस्त के बंद में भी दुकानदारों की आम सहमति नहीं है और आम लोगों की आम जनता की सहमति भी नहीं है।
* सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के आरक्षण पर दिए निर्णय का सही रूप से स्वागत किया जाना चाहिए कि जिन लोगों को अभी तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है उन लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा। जो लोग आरक्षण का लाभ लेकर ऊंचे ऊंचे पदों पर पहुंच गए हैं करोड़ों के मालिक बन गए हैं सामाजिकता में उनका दर्जा ऊंचा हो चुका है ऐसे लोग परिवार अब आरक्षण के पात्र नहीं रहे हैं,उनके परिवारों को लाभ नहीं दिया जा सकता। आरक्षण का लाभ अभी तक वंचित लोगों को मिले जो आगे बढ़ नहीं पाए हैं और उनके परिवारों में किसी को आरक्षण नहीं मिला है।
👌राजस्थान में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने स्पष्ट रूप से अपना बयान जारी किया है और आरक्षण के मामले में 21 अगस्त के बंद का विरोध किया है। किरोड़ी लाल मीणा ने स्पष्ट कहा है कि बंद करने की मांग कर रहे लोग राजनीतिक रोटियां सेकना चाह रहे हैं। किरोड़ी लाल मीणा के बयान में सच्चाई छुपी हुई है। हर व्यक्ति देख रहा है समझ रहा है कि बंद का आह्वान करने वाले बंद कराने वाले लोग सच में राजनीतिक रोटियां सेकने वाले हैं।
* अन्यत्र जाने की जरूरत नहीं अपने अपने शहर में ही इस स्थिति को समझा जा सकता है। जहां पर एक लाख की जनता है वहां पर 50,100, लोग रैली निकालें जुलूस निकालें तो इस स्थिति को समझा जा सकता है कि ये लोग सच में राजनीतिक रोटियां सेकने वाले कुछ लोग हैं। इनमें वे राजनैतिक लोग व पार्टियां भी हैं जो किसी न किसी रूप में सत्ता से बाहर हैं। उनकी कोई पूछ नहीं हो रही है सो अपना चेहरा बंद करवा कर दिखाना चाहते हैं।
** ऐसे जो लोग आगे आ रहे हैं आम जनता को दुकानदारों को उनकी गतिविधियों से सावधान रहना चाहिए। किसी मजबूरी से दुकान बंद भी करनी पड़े तो अपना विरोध प्रशासन के अधिकारी को लिखित में दे दिया जाना चाहिए। चाहे विरोध पत्र देने वाले एक हों या 5,10 हों बताना चाहिए कि हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के साथ हैं।
👍 जो लोग राजनीतिक रोटियां सेकना चाह रहे हैंं बाजारों को दुकानदारों को बंद करवा कर परेशान कर रहे हैं, उन लोगों को आगे आने वाले अवसरों खास कर चुनावों में सबक सिखाने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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21 अगस्त 2024.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकारिता 60 वर्ष.
( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ ( राजस्थान )
94143 81356
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