बुधवार, 3 जनवरी 2024

श्रीकरणपुर चुनाव: राज्यमंत्री की कम,कुन्नर को श्रद्धांजलि चर्चा अधिक.क्या होगा?

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

प्रथानमंत्री की ओर से राज्यमंत्री का गिफ्ट प्राप्त भाजपा उम्मीदवार सुरेन्द्रपालसिंह और कांग्रेस के प्रसिद्ध नेता स्व.गुरमीतसिंह कुन्नर के बेटे रुपिंदर कुन्नर के बीच ही सन् 2023 के चुनाव में मुख्य टक्कर और परिणाम को लेकर धुकधुकी में दोनों पार्टियों में हैं। श्रीकरणपुर में कांग्रेस टिकट तो गुरमीत कुन्नर को ही मिला था लेकिन उनके निधन के बाद चुनाव स्थगित हो गये थे। कांग्रेस ने स्व.कुन्नर के बेटे को उम्मीदवार घोषित किया। अब 5 जनवरी को मतदान होगा।

* अब सुरेंद्र पाल सिंह को प्रधानमंत्री के उपहार "राज्यमंत्री पद" पर वोट मिलेंगे और रुपिंदर कुन्नर के पास पिता के श्रद्धांजलि वोट हैं। ( प्रधानमंत्री का उपहार इसलिए है कि राजस्थान में मंत्री उनकी स्वीकृति से बनाया गया है तो सुरेंद्र पाल सिंह को चुनाव के बीच में राज्य मंत्री पद उनकी स्वीकृति के बिना नहीं मिल सकता) 

* श्रीकरणपुर विधानसभा  क्षेत्र में हर ओर चर्चा एक ही है कि राज्यमंत्री पद के वोट जीतेगें या श्रद्धांजलि के वोट जीतेंगे? वर्षों से दोनों परिवारों में ही चुनाव समर होते रहे हैं। 

* वोटों के हिसाब से कुन्नर ही भारी रहे हैं। सन् 2018 में कुन्नर जीते और मतदाताओं ने सुरेंद्रपाल को तीसरे क्रम पर धकेल दिया था।

सन्ः 2013 में सुरेंद्र पाल ने कुन्नर को हराया तो था लेकिन बहुत कम  3853 वोटों से और 2018 में कुन्नर ने सुरेन्द्र पाल को 29,797 वोटों से हराया था। 2018 के चुनाव में पृथीपाल संधु निर्दली दूसरे क्रम पर रहे जो इस चुनाव में भी हैं और इस बार आप के उम्मीदवार हैं।

सुरेन्द्रपालसिंह चुनाव जीते बिना ही राज्यमंत्री बना कर आम मतदाताओं को प्रमावित करने का देश में पहला उदाहरण है। क्या इससे सुरेंद्र पालसिंह को मजबूती मिल सकेगी? क्योंकि 2013 में जीतने के बाद वे राज्यमंत्री बने थे। उस समय कोई विशेष लाम श्रीगंगानगर हनुमानगढ़ जिलों को दिलवाया हो,ऐसा कुछ ऐतिहासिक नहीं है। उस समय खनन विमाग इनके पास था। झुंझुनूं सीकर जिलों में पहाड़ों के अवैध खनन को रोकने के लिए आर ए सी को लगाने का समाचार था। उस समय सूरतगढ़ और घड़साना तहसीलों में जिप्सम का अवैध खनन खूब चल रहा था । समाचार भी छप रहे थे। इन क्षेत्रों में भी अवैध खनन को रोकने की मांग उठती रही लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। 2018 से 2023 तक पांच सालों में अवैध खनन और माफिया के विरुद्ध कोई सक्रियता नहीं रही। आखिर यह चुप्पी भाजपा नेताओं में क्यों रही? 

श्रीकरणपुर और आसपास मंडियों के लोग लम्बी दूरी की एक्सप्रेस और अमृतसर को ट्रेन से जोड़ने की मांग करते रहे। श्रीगंगानगर सूरतगढ़ के बीच में दो जोड़ी यात्री गाड़ियों की मांग करते रहे। रेलों की मांग में भी सुरेन्द्र पालसिंह जनता के साथ कहीं दिखाई नहीं दिए। पांच साल का काल जनता से दूरी क्यों रही? ये सवाल बहुत गंभीर और बड़े हैं। चुनाव में ऐसे सवाल पावर बनाते बिगाड़ते हैं।  

भाजपा नेता मंचों पर कुछ भी कहते रहें लेकिन जनता से रही दूरी की कमजोरी को खत्म करने भुलाने के लिए राज्यमंत्री बनाया।ऐसा तो है नहीं कि भाजपा के नेता ही बुद्धिमान हैं और वे ही सोच सकते हैं। जनता में भी सोचने की बुद्धिमत्ता होगी।

* सुरेन्द्रपालसिंह को जिताने के लिए हर संभव कोशिशें हुई है तथा सरकार के मंत्री आते रहे हैं। इनका कितना प्रभाव रहेगा? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पीलीबंगा आए और भाषण दिया कमल को खिलाने का। लेकिन जनता ने पीलीबंगा में और चिपती हुई दो सीटों सूरतगढ़ व हनुमानगढ़ में कमल खिलने ही नहीं दिया। पीलीबंगा और सूरतगढ़ में कांग्रेस को तथा हनुमानगढ़ में निर्दलीय को जीत की माला पहना दी। प्रधानमंत्री मोदी की बात नहीं मानी। ऐसे में "राज्यमंत्री" पद से प्रभावित होने पर भी शंका है। राज्यमंत्री पद से अधिक चर्चा  कुन्नर को श्रद्धांजलि की जूनून चढे जैसी हो रही है।

3 जनवरी 2024.

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