रविवार, 22 अक्तूबर 2023

सूरतगढ़:भाजपाई व कांग्रेसी टिकटार्थियों ने जोर खूब लगाया.टिकटें लटका दी.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

भाजपा और कांग्रेसी टिकटार्थियों ने अपना अपना जोर सिफारिशें दबाव जयपुर और  दिल्ली में इतना ज्यादा लगाया कि भाजपा और कांंग्रेस की टिकटें लटका कर रखवादी। अब जोर लगाने के बाद टिकट तो एक पार्टी में किसी एक को ही मिलेगी। 


भाजपाई नेता और कार्यकर्ता कमल खिलाने में लगें। चेहरा तो लोप कर दिया। पहले ही घोषणा हो गई थी कि वोट कमल को देना है। कमल खिलाना है तो फिर किसी को भी टिकट मिले। 


कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता अपने चुनाव चिन्ह हाथ को मजबूत करें और वोट दें टिकट अब किसी को भी मिले।

* दोनों ही पार्टियों में मौजूदा का विरोध पिछले एक साल से हो रहा है। भाजपा से निर्वाचित  विधायक रामप्रताप कासनिया पर आरोप है कि उन्होंने काम नहीं करवाए। वे कहते रहे कि सरकार कांग्रेस की है और उनके कहने से काम नहीं होते। उनकी चलती नहीं। पूरे पांच साल निकाल दिए लेकिन अब भी टिकट की दावेदारी में आगे है। चालीस साल से राजनीति और उम्र 72 साल हो गई। टिकट दूसरे नये चेहरे के लिए छोड़ना नहीं चाहते। इनकी टिकट रुकेगी तब ही नये चेहरे को मिलेगी। नये सभी टिकटार्थियों ने विरोध किया वह सही है कि कासनिया को टिकट रुकेगी तभी नये को मिल पाएगी। 

* कांग्रेस में 2008 से मील परिवार ही रहा। 2008 2013 तक गंगाजल मील विधायक रहे। पांच साल जैसा काम किया या जनता राजी नहीं थी सो 2013 में उनको हरा दिया। जनता को राजी नहीं किया इसलिए 2018 में जनता ने हनुमान मील को हरा दिया। प्रदेश में सरकार कांंग्रेस की बन गयी। गंगाजल मील और हनुमान मील ने अपनी खूब चलाई जिसे लोग तानाशाही कहते हैं। अभी भी भारी विरोध के हनुमान मील टिकटार्थी हैं। इनकी टिकट रुकेगी नहीं तो नये को मिलेगी नहीं। अन्य 12 टिकटार्थी हैं उनका विरोध में बोलना सही है। 

तर्क और राजनीति में  भाजपा में कासनिया का विरोध और कांंग्रेस में मील का विरोध जायज है। बिना विरोध के ये खुद हटने वाले नहीं। 

* निर्णय भाजपा और कांंग्रेस पार्टियों को सोच समझ कर करना है कि आखिर किन नये चेहरों को टिकट देनी है या पुरानों को ही दौड़ाएंगे।

 दि. 22 अक्टूबर 2023* ०0०  

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