रविवार, 21 मई 2023

सूरतगढ़ में कोचिंग लेने आए और नशा व उससे आगे कुछ करने लगे तो...जिम्मेदारी किसकी?

 





* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ में सस्ती कोचिंग और आईएएस आर ए एस बनाने के प्रचार में अपनी संतान को यहां  लेकर आना,भर्ती कराना और फिर लगातार ध्यान नहीं देना। ऐसी गलती है जो फिर सुधारी नहीं जा सकती। 

सूरतगढ़ में कोचिंग लेने आएं नशा और उससे आगे भी कुछ करने लगें  तो......।

यहां सबसे बड़ा सवाल है।

देर रात का घूमण,दारू,मेडिकल नशा। अखबारों में तो सालों से छप रहा है। बड़ी बड़ी रिपोर्ट्स छपती रही है। इन सबके बावजूद ध्यान नहीं दिए जाने से उदंडता और आगे निकल गई। इससे आगे जो उदंडता निकल गई उसको देखेंगे,बांटेंगे,दिखाएंगे और फिर उस पर कोई भी क्यों बोलेगा और कोई अखबार क्यों लिखेगा?उनकी लिखने की जिम्मेदारी भी नहीं है कि घृणित अपराधों पर लिखें। बात मां बाप तक पहुंचेगी और वे देखेंगे तो हैरान होंगे। जो इस लाइन में बढ गए उन बहके हुओं को फिर रास्ते पर लाना कठिन होगा। 

आखिर जिम्मेदारी किसकी है और होनी चाहिए?

कोचिंग सेंटर और पीजी हॉस्टल चलाने वाले कहेंगे हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। स्टूडेंट्स बाहर क्या करते हैं, इसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं। यही जवाब होगा। वे केवल सस्ती कोचिंग के नाम पर आने वालों से कमाई तो करते रहेंगे मगर जिम्मेदारी नहीं लेंगे। क्या नैतिकता के नाम पर भी कोई जिम्मेदारी नहीं है। जब अच्छाई की जिम्मेदारी में संस्था अपना नाम का यशोगान समाचार पत्रों में कराती है। उससे खुश होती है और उसका प्रचार करती है तो बुराई में भी उसकी जिम्मेदारी है। कोई भी संस्था इससे मुकर नहीं सकती। अभिभावक सूरतगढ़ में संस्था के भरोसे पर ही तो प्रवेश दिला गए। स्टुडेंट्स क्या कर रहे हैं? यह संस्था को पता नहीं चले,ऐसा संभव नहीं है। केवल पैसा आता रहे। यही सोच है,तो कभी दब रही घटनाएं एकदम से बाहर उछल जाएंगी तब संस्था को जो झटका लगेगा उसकी सोच भी रखनी चाहिए। पूरे घटनाक्रम उजागर हो जाएंगे। उसके बाद कुछ बचेगा ही नहीं जिससे संस्था चलती रह सकेगी। कोचिंग संस्थानों से किसी न किसी समाजसेवा रूप में जुड़ी संस्थाओं को सूरतगढ़ में चल रही घटनाओं से सतर्क हो जाना चाहिए,क्योंकि आफत में समाजसेवी कहलाने वाली संस्थाएं भी परेशान होंगी। समाजसेवी संस्थाओं को समझदारी कर लेनी चाहिए।


कोचिंग इलाके में बढते नशे आदि पर पुलिस की जिम्मेदारी बताई जाएगी। ऐसा लगेगा कि पुलिस की अनदेखी से अपराध नशा बढा। लेकिन पुलिस अधिकारी तो डेढ दो साल के लिए लगाए जाते हैं,वे किस किस पर नजर रखेंगे? 

जो कोचिंग सेंटर और पीजी हॉस्टल चलाते हैं और यहां के स्थाई निवासी हैं, वे जिम्मेदारी से मुक्त,केवल कमाई करेंगे? किसी भी कोचिंग संस्थान ने नशे के विरुद्ध स्टुडेंट्स की कार्यशाला, सेमिनार आदि आयोजित नहीं की। नशे के विरुद्ध स्टुडेंट्स को प्रेरित नहीं किया। 

सस्ते कोचिंग के नाम पर होने वाले प्रचार के कारण स्टूडेंट्स आते हैं। हजारों में से कितने प्रतिशत बने अधिकारी। चार पांच प्रतिशत। इस रिजल्ट प्रतिशत पर कभी गौर नहीं किया जाता।

यदि स्टुडेंट होशियार है तो वह अपने शहर में या एकदम नजदीक के संस्था में भी कोचिंग लेकर सफलता प्राप्त कर सकता है। 

👍अभिभावक सस्ती कोचिंग के चक्कर में यह जानकारी भी नहीं लेते कि  विषय से संबंधित शिक्षक उस विषय में दक्ष ( कवालिफाइड) हैं या नहीं है? केवल संबंधित विषय के साधारण ज्ञाता ही हैं। वास्तविकता यह है कि तीक्ष्ण बुद्धि वाले स्टुडेंट्स अपनी योग्यता से सफल हो जाते और अन्य भाग्य मान कर और किसी कार्य में लग जाते हैं।*

👍👍 सफलता के प्रचार में जिन स्टुडेंट्स का नाम दिया जाता है, उनमें से कई सूरतगढ़ के अलावा अन्य शहरों की कोचिंग संस्थानों से भी कोचिंग ले चुके होते हैं। यहां से तीन चार साल पहले कुछ महीने कोचिंग ली। सफल नहीं हुए अन्य शहरों के कोचिंग सेंटरों में प्रवेश कर सफल हो गए। उनके नाम भी प्रचार में शामिल। अभिभावकों के पास इतनी खोजबीन का समय नहीं होता। बस,सस्ती कोचिंग के चक्कर में आ जाते हैं। इस सस्ती कहलाने वाली कोचिंग के सारे खर्च जोड़ कर भी देखा जाना चाहिए।* (अभिभावक यहां नशे के मामले क्या हो रहा है? यह जाने।)


सूरतगढ़ में स्टूडेंट्स अधिकारी कितने बनते हैं? सूरतगढ़ में क्या हो रहा है? इस पर ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी हो गया है। सूरतगढ़ में अनेक कोचिंग सेंटर और सैंकड़ों पी जी हॉस्टल हैं। हर साल हजारों स्टूडेंट्स यहां आते हैं। पी जी हॉस्टल और लायब्रेरियां ओवरलोड हैं। इस स्थिति में पढाई और सफलता की शिखर पर चढाने का प्रचार। हमारे देश में प्रचार से भीड़ जुट जाती है। सूरतगढ़ में सस्ती कोचिंग के प्रचार से भीड़ जुट रही है।


सस्ती कोचिंग के नाम स्टूडेंट्स नशे में पहुचने वाले बरबाद हो रहे हैं। 

कोचिंग सेंटर और पी जी हॉस्टल मालामाल हो रहे हैं। आगे जो होगा उस पर भी विचार करें कि सूरतगढ़ का क्या होगा?एज्युकेशन हब के नाम से प्रचारित किये जा रहे सूरतगढ़ में अपराध बढते रहे तो इसका नुकसान शहर के लोगों को भी भोगना पड़ेगा। 


अपनी संतान को अधिकारी बनाने के लिए सूरतगढ़ में कोचिंग दिलाना उचित समझते हैं तो उन पर नजर रखें और संभालते रहें या अपने नजदीक कोचिंग दिलाएं। आजकल एक संतान और किसी के दो होती है। यदि वह एक भी बिगड़ गई तो सारे सपनों का क्या होगा?०0०

दि.17 जून 2022. 

अपडेट 26 नवंबर 2022. 

अपडेट 21 म ई 2023.



करणीदानसिंह राजपूत

पत्रकार

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़।( राजस्थान)

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