रविवार, 20 फ़रवरी 2022

जेठमल मूंधड़ा लायब्रेरी और पार्क को पालिका ने कचरा पात्र गैराज क्यों बनाया:पुस्तकें कहां है?




* करणीदानसिंह राजपूत * 


जेठमल मूंदड़ा लाइब्रेरी जिस पर अंग्रेजी में जे. एम मूंधड़ा लाइब्रेरी लिखा हुआ था हजारों पुस्तकें उसमें थी उनका क्या हुआ? एक बड़ा कमरा आगे बरामदा था। मूंधड़ा पार्क जहां नगरपालिका कार्यालय से चिपता है वहां थी लायब्रेरी। जे.एम.मूंधड़ा नाम सीमेंट से उभार में उकेरा हुआ था।

यह पार्क और लायब्रेरी नगरपालिका को सौंपी गई। उसके बाद इसका नष्ट होना शुरू हुआ।

नगर पालिका ने कुछ साल पहले पार्क को नया रूप दिया और लाखों रूपये लगाए। पार्क में गोल घुमावदार सड़कें बनी। लोग घुमते। गर्मियों में आराम करते। लाखों रूपये सुंदरता पर निर्माण पर काम किया। चोरड़िया ठेकेदार ने यह कार्य किया।

लाइब्रेरी का कमरा मेन गेट के पास बना दिया गया जो चोपड़ा धर्मशाला की ओर खुलता है।उसमें लाइब्रेरी नहीं रखी। हजारों पुस्तकें पालिका कार्यालय में कबाड़ रूप में डालदी। वे पुस्तकें कहां है? 

नगरपालिका से जैसे फाईलें गायब है और उसका कोई पूछता नहीं। मुकदमा ईओ नहीं कराते। ( आज भी फाईलें जांचे तो मालुम हो) बस ऐसे ही लायब्रेरी का किसी ने नहीं पूछा। 


शहर की समाजसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं कि पार्क को नष्ट कर दिया और वे फोटो छपवाने वाले चेहरे मुंह छिपाए क्यों बैठे रहे?


लायब्रेरी के कमरे में नगरपालिका के इंजीनियर बैठने लगे और नक्शे आदि बनाने लगे। उस समय भी मैंने समाचार पत्रों में यह विरोध प्रकट किया था। नगर पालिका ने हजारों रुपए की पुस्तकें खुर्द पोस्ट कर दी अनेक बार इस पार्क के बारे में लिखा गया। चोरड़िया ठेकेदार ने करीब ₹600000 का ठेका नगरपालिका से लिया और पार्क को नया रूप दिया। पार्क के अंदर सड़कें बनी और बड़ा सुंदर रूप था। इसके बाद में नगर पालिका ने इसे कचरा खाना बनाया। बाजार से और से खोखे उठाते सामान उठाते इसमें भरने लगे।

 बार-बार लिखने के बाद में अब नगर पालिका ने बजट 2022-23 के भाषण में बताया है कि गैराज को पार्क का रूप दिया जाएगा। पत्रिका में यह छपा। सवाल यह उठता है कि जब यह पार्क था तो नगरपालिका ने इसे गैराज क्यों बनाया और कब बनाया? नगरपालिका के पास गैराज बनाने के लिए जगह की तो कमी नहीं है। 

यह अपराधिक कार्य चाहे अदालत में दंड मिलने वाला न हो लेकिन सामाजिक अपराध तो है। यह अपराध पार्क पर लाखों रू खर्च करने के बाद किया गया। 

मूंधड़ा परिवार ने जब यह सामाजिक शिक्षा के लिए पार्क और लाइब्रेरी नगरपालिका को सौंपी तब यह नहीं सोचा होगा कि नगरपालिका की नालायकी से पार्क और लायब्रेरी का सत्यानाश कर दिया जाएगा।०0०







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