कोरोना वायरस कानून को सूरतगढ़ में कड़ाई से पालन कराना जरूरी
* करणीदानसिंह राजपूत *
कोरोना वायरस के संक्रमण और बचाव के तहत लोक डाउन में सतर्कता और तुरंत कार्यवाही के लिए सूरतगढ़ में चार बड़े अधिकारी अतिरिक्त जिला कलेक्टर अशोक कुमार मीणा उपखंड अधिकारी एसडीएम मनोज कुमार मीणा पुलिस विभाग में पुलिस उपाधीक्षक विद्याप्रकाश और सीआई सूरतगढ़ थाना अधिकारी रामकुमार लेघा की बहुत बड़े जिम्मेवारी है।
सूरतगढ़ शहर मैं करीब एक लाख लोग लोग निवास करते हैं। उनसे लॉक डाउन में पालना करवाना बहुत बड़ा कार्य है। शहर में लॉक डाउन तोड़ने वालों पर कार्यवाही और लॉक डाउन में सरकारी कानूनों का पालन किस तरह से हो रहा है और किस तरह से इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए इसके लिए इन चारों अधिकारियों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। लोक डाउन में प्रतिदिन अपने कार्यों की समीक्षा करना अनिवार्य है। जो सूचनाएं प्राप्त होती हैं उन पर तत्काल ही कार्यवाही करने की जिम्मेदारी है।
कोरोना वायरस से पूरा संसार पीड़ित है तथा इसे सोशल डिस्टेंस से ही जीता जा सकता है। इसी पर कानून है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने और श्रीगंगानगर के जिला कलेक्टर ने कानूनों का पालन करने के लिए अनेक बार कहा है।
सूरतगढ़ में इन कानूनों का पालन किस स्तर पर हो रहा है और किस स्तर पर होना चाहिए?इसकी समीक्षा करना इन चारों अधिकारियों की जिम्मेदारी है।
सूरतगढ़ में धारा 144 लगी हुई है ताकि लोग घरों में रहें।सोशल डिस्टेंस बनी रहे लेकिन जब कोई कानून लागू होता है तब अनेक लोग अपने को प्रभावशाली पैसे वाले समझते हुए कानून तोड़ने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखते। इस प्रकार की शिकायत मिले या ना मिले इन चारों अधिकारियों का दायित्व है कि अपने स्टाफ के साथ में मालूम करते रहें कि कोई कानून तोड़ा तो नहीं जा रहा है।
कानून जब तोड़ दिया जाता है तब अनेक लोग तोड़ने वाले के पक्ष में बचाव में भी खड़े हो जाते हैं। नेता और राजनीतिक दल इस अहम और वहम में होते हैं कि हम नहीं बोलेंगे तो अधिकारी कैसे कोई कार्यवाही करेंगे। मीडिया को भी यह अहम और वहम होता है कि हम समाचार नहीं छापेेंगे चैनल पर नहीं चलाएंगे तब अपराधी के विरुद्ध कोई भी प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस कार्रवाई कैसे करेगी। ऐसा सोच है जो अधिकारियों की जिम्मेदारी को और अधिक बढाता है। अनेक बार अधिकारी भी अपनी और अपने क्षेत्र की साफ सुथरी छवि ऊपर सरकार तक पहुंचाने के लिए कार्यवाही नहीं करते,ढीली और पेंडिंग रख देते हैं। ऐसी स्थिति में अनेक बार स्वयं भी शिकंजे में आ जाते हैं। कोरोना मामले में गफलत और अपराधियों के लिए कुछ गलत कदम उठाने पर महाराष्ट्र के गृह सचिव को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है। अधिकारियों को कोरोना मामले में लगाई गई धारा 144 और सामान्य शांति के लिए धारा 144 लगाने का बड़ा अंतर समझना चाहिए।
हमारे पास के जिले हनुमान गढ में कोराना वायरस के दो मामले सामने आने के बाद यहां के अधिकारियों की जिम्मेदारी बढ जाती है।
यहां पर अधिक सतर्कता बरती जाए और कहीं भी कानून तोड़ने की सूचना मिले तो अविलंब सख्त कार्वाई भी की जाए। होना तो यह चाहिए की सख्ती की जरूरत ही नहीं पड़े,मगर लोग मानते नहीं। 00
(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत पत्रकार)