मंगलवार, 11 जुलाई 2017

आय से अधिक संपत्ति: 2 मामले: एसीबी कोर्ट से सालों बाद सजा

- करणीदान सिंह राजपूत  -

नगरपालिका बिजली बोर्ड पुलिस और राजस्व विभाग के सर्वाधिक मामले रिश्वत लेते आय से अधिक संपत्ति के दर्ज होते हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की  अदालत के दो फैसलों से रिश्वतखोरों को अकल आ जानी चाहिए कि सालों बाद ढलती उम्र में भी कठोर सजा भुगतनी पड़ जाती है। फर्जी परीक्षा, फर्जी डिग्री, फर्जी प्रमाण पत्र के मामले भी सालों बाद जेल में पहुंचा सकते हैं।


पढ़ें दो फैसले।


कोटा। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की अदालत ने आज 11जुलाई 2017 को एक फैसले में आय से अधिक सम्पत्ति रखने के 25 साल पुराने मामले में तत्कालीन सहायक अभियंता को पांच साल के कठोर कारावास ओर 20 लाख रूपए जुर्माने से दंडित किया है। विशिष्ट लोक अभियोजक अहसान अहमद ने बताया की आरोपी मोहनदास मरचुनिया 1992 में नगर निगम में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत था। जिसने अपने कार्यकाल के दौरान आय से अधिक संपत्ति इकठ्ठी कर ली थी। जिसपर एसीबी ने कार्रवाही की थी। कोर्ट में आरोपी के खिलाफ केस चल रहा था। वहीं कोर्ट ने सजा ओर जुर्माने के साथ आरोपी की संपत्ति कुर्क कर करोड़ों रूपए वसुलने के भी आदेश दिए है। विशिष्ट लोक अभियोजक का कहना है की ये राजस्थान का पहला मामला है जिसमें कोर्ट ने करोड़ों की संपत्ति कुर्क करने के आदेश दिए हैं। मोहन दास मरचूनिया की उम्र 82 साल है  व 25 साल पुराने मामले में आज 11 जुलाई 2017 को फैसला आया है जिसके बाद उसे अब बुढ़ापे में जेल की हवा खानी पड़ेगी। 

विशिष्ट लोक अभियोजक एहसान अहमद खान ने बताया कि मामला साल 1992 का है, जब आरोपी मोहनदास मरचुनिया नगर निगम में सहायक अभियंता के पद पर तैनात था। उस दौरान एसीबी ने आय से 23 लाख रुपए अधिक पाए जाने पर केस दर्ज किया था। 

 अदालत ने 20 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा कोर्ट ने आरोपी की संपति से चक्रवृद्धि ब्याज सहित तकरीबन 80 लाख रुपए की राशि वसूलने के भी आदेश दिए हैं।

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इससे पहले 6-6-2017 को भी हुआ एक फैसला: अधीक्षण अभियंता को हु सजा


कोटा की एसीबी कोर्ट ने मंगलवार 

6- 6-2017 को 18 साल पुराने आय से अधिक सम्पति रखने के मामले में फैसला सुनाते हुए विद्युत विभाग के रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता को 4 साल कैद की सजा सुनाई  व साथ ही 15 लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया। मामला सन 1999 का था जब आरोपी आंनदी लाल माथुर ने बिजली विभाग में अधीक्षण अभियंता के पद पर रहते हुए इन्द्रसिंह नाम के ठेकेदार से 3 हजार रूपए  कमीशन के रूप में रिश्वत ली थी। एसीबी ने माथुर को रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। इसके बाद घर पर दबिश के दौरान एसीबी को आय से अधिक सम्पति भी मिली थी।जिसके बाद से मामला कोर्ट में विचाराधीन था अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट ने आय से अधिक सम्पति मामले 4 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई  और 15 लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया । यहीं नहीं कोर्ट ने चल अचल संपति 11 लाख 96 हजार 459 रूपए भी जमा कराने के आदेश दिए।

आरोपी आनंदी लाल को सजा सुनाएं जाने के बाद जेल जाया जा रहा था तब वे लड़खड़ाते हुए पुलिस वाहन में बैठे।  रिश्वत के मामले में पूर्व में हो चुके हैं दोषमुक्त सरकारी वकील अहसान अहमद ने बताया कि 1999 में रिश्वत के मामले में एसीबी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद कोर्ट ने आरोपी आनंदी लाल माथुर को रिश्वत लेने के आरोप में दोषमुक्त कर दिया था लेकिन 18 साल तक कोर्ट में आय से अधिक सम्पति रखने का मामला चला, जिसमें कोर्ट ने अब फैसला सुनाया है।

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