प्रस्तुत कर्ता- करणीदानसिंह राजपूत
हिंदुस्तान में राजस्थान प्रदेश के श्रीगंगानगर जिले में एक कस्बा है सूरतगढ़ जो बालुई टीब्बे और हरियाले खेतों के बीच में बसा है। यह कस्बा विभिन्न परंपराओं और कारणों से विश्व भर में प्रसिद्ध है।
यह कस्बा रेलवे स्टेशन बीच में होने से दो भागों में बंटा है। एक भाग को लाईन पार का क्षेत्र कहा जाता है जहां पर शिवबाड़ी से कुछ ही दूरी पर रेलवे सीमा के पास में एक छोटे से मकान में महाकाली की प्रतिमा प्रतिष्ठित है और उसके उपासक हैं पंडित परमानन्द दर्द। परमानन्द करीब तेरह वर्ष पूर्व शांति और ज्ञान की प्रप्ति के लिए पहाड़ी ओर निर्जन स्थानों पर,तीर्थ स्थलों पर भ्रमण कर रहे थे तब ऋषिकेश में महाकाली के उपासक नित्यानन्द महाराज के दर्शन हुए जिन्होंने परमानन्द की सोच बदल दी। शांति और ज्ञान वह सर्व शक्तिमान तो उसके स्वयं के आस पास ही है; केवल पहचानने की आवश्यकता है। मिलेगा तो आसानी से मिल जाएगा। श्रद्धा और विश्वास होना चाहिए। नित्यानन्द जी महाराज असम प्रांत के डिब्रूगढ़ में रहते हैं तथा काफी वृद्ध हो चुके हैं। उन्हीं के दिए संत वाक्यों ने ग़ज़ल गायक परमानन्द दर्द का जीवन बदल दिया और परमानन्द दर्द लोगों के दर्द और पीड़ाओं को दूर करने के ध्येय से आस्थाओं के संसार से जुड़ गए।
महाकाली महाकाली के दर्शन को प्रातः काल से ही श्रद्ालुओं का आना शुरू हो जाता है। के दर्शन पूजन के साथ ही अनेक प्रकार की समस्याओं से हैरान परेशान लोग समाधान और परामर्श के लिए विनती शुरू करते हैं। लोगों का आना जाना और अपनी समस्याएं बताते हुए तथा पंडित परमानन्द को समाधान परामर्श बताते हुए देखना भी कौतुहल सा लगता है और चकित करता है। समाधान और परामर्श चाहने वालों में हर प्रकार के लोग आते हैं। महिलाएं भी हैं तो पुरूष और युवक भी हैं। वे लोग भी हैं जो अपने परिजन की रिश्तेदार की तो कोई अपने परिचित की परेशानी का समाधान लेने को मिलते हैं। कस्बे के और दूर दराज के तथा आसपास के प्रदेशों के लोग समस्याएं बतलाते हैं। उनको बडे़ धैर्य से सुनना और कोई कमी रही हो तो बारीकी से एक एक बात पूछना भी एक खासियत नजर आती है।
पंडित परमानन्द का मानना है कि सर्वाधिक मानसिक परेशानियों से पीड़ित लोग या उनके परिजन आते हैं तो उनको उसी प्रकार के समाधान और परामर्श से समझाया जाता है। कई बार लोग मोबाईल से ही समाधान परामर्श चाहते हैं। उनको भी परामर्श दिया जाता है, लेकिन पंडित जी का कहना है कि व्यक्ति स्वयं आए तो ज्यादा उचित रहता है। उसको सामने देख कर अधिक समझा जा सकता है और अधिक समझाया भी जा सकता है।
विभिन्न प्रकार की बीमारियों से पीड़ित लोग भी आते हैं और बच्चों को भी लाया जाता है, जिनको नाना प्रकार के देशी नुस्खे बताए जाते हैं।
पंडित परमानन्द मंत्र तंत्र यंत्र के साथ टोटके व नुस्खों का उपयोग करते हैं। लेकिन उनकी प्राथमिकता तंत्र में रहती है। उनका कहना है कि मानव शरीर में किसी देवता और देवी की छाया नहीं आती। देवी देवता मानव शरीर में क्यों आऐंगे? यह केवल प्रचार होता है। परमानन्द का मानना है कि लोग छोटी छोटी बातों की तरफ ध्यान नहीं देते और बाद में वह छोटी समस्या परेशान करती हुई बड़ी समस्या बन जाती है। परमानन्द सूरतगढ़ के इस मुख्यालय से चंडीगढ़ और दिल्ली व निमंत्रण पर अन्य स्थानों पर भी परामर्श देने को जाते हैं।
उनका यह भी मानना है कि किसी से भी अपनी समस्या और परेशानी का समाधान व परामर्श परख करके ही लिया जाना चाहिए,क्योंकि यह विश्वास और पवित्र श्रदृधा से जुड़ा हुआ होता है।
प्रस्तुत कर्ता- करणीदानसिंह राजपूत
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26-3-2015
up date 19-3-2018.
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