रविवार, 19 फ़रवरी 2023

रात के अपराध में सूरतगढ- कैसे रुकें रात के अपराध?

 

*  करणी दान सिंह राजपूत  *

 रात के अपराध जिनमें विशेषकर हत्याओं के अपराध में सूरतगढ़ शहर का नाम होने लगा है।  बाहरी और कच्ची बस्तियों के इर्द गिर्द सूनी जगहों, खाली और खंडहर घरों में रात को नशा करने,शराब पीने पिलाने वाले एक दूसरे के जानकार परिचित दोस्त यार और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने वालों का मिलना विवाद होना और अगले दिन किसी का रक्त रंजित शव मिलना। ऐसी घटनाएं हुई हैं। 


 नशा शराब पैसा प्रेम पारिवारिक संपत्ति विवाद आदि में हुई हत्याओं को पुलिस ने खोला है लेकिन यह अपराध क्रम रुका नहीं। पुलिस एक अपराध खोलती है और कुछ महीने बीते कि नया हत्याकांड दर्ज हो जाता है।


रात को रात को होने वाले इन अपराधों को अंकुश लगाने के लिए पूर्व में एक लेख लिखा था कि परिवार वाले अपने परिवार के सदस्य नौजवान बच्चों को जो रात में बिना काम के या काम के बहाने रात के 10:00 बजे के बाद घर से बाहर जाते हैं तो उन पर परिजन जानकारी रखें नियंत्रण रखें। रात को घर से बाहर जाने वालों, बाहर घूमने वालों की किन से मित्रता है, किस के साथ बाहर गए हैं, कितने बजे तक लौटेंगे और कहां जा रहे हैं? यह जानकारी एक मिनट में ही ली जा सकती है। इसके बाद घर से बाहर जाने की अनुमति दी जा सकती है या रोक भी लगाई जा सकती है। 

रात को काम धंधे में आने जाने वालों के अलावा घर से बाहर रहने वाले युवाओं और व्यक्तियों का परिवारजनों को मालुम तो होता ही है। ऐसे पारिवारिक सदस्यों को बाहर जाते वक्त पूछना और रोकना क्यों नहीं होता? काम धंधे वाले के भी कार्य समय के हिसाब से पूछताछ होनी ही चाहिए यदि वह बाहर अधिक अनावश्यक समय लगाता है। अन्य पर नियंत्रण नहीं हो सकता, रोक नहीं हो सकती लेकिन अपने परिवार के सदस्य को तो रोका जा सकता है। यदि रात को कोई बुलाने आए और उससे ही सवाल हो जाए तो साफ हो जाता है कि काम है या तफरीह के लिए निकल रहे हैं। इससे रात्रि के अपराधों में कमी तो होगी ही अपने घर का व्यक्ति या युवा मौत का शिकार होने से या हत्या अपराधी होने, अपराध में सहयोगी होने से तो बच ही जाएगा। 

पुलिस का कार्य है अपराध और अपराधी खोजना और वह तो यह कार्य कर लेगी लेकिन यदि आमजन थोड़ा सा भी सजग रहें तो ये रात के अपराध रुक सकते हैं या कम हो सकते हैं।00


 प्रथम 31 जनवरी 2021. 

अपडेट 19 फरवरी 2023. पत्रकार तो लिखते रहे हैं. नेता लोग और संगठन ही नहीं जागते।




*******






यह ब्लॉग खोजें