शुक्रवार, 28 जून 2019

सूरतगढ़ सीवरेज में 2,78,64,150रू घोटाले का आरोप-2पार्षदों की शिकायत सीएम को*

-- माकपा और कांग्रेस के पार्षदों की शिकायत --


^ करणी दान सिंह राजपूत ^

नगर पालिका सूरतगढ़ के कांग्रेस पार्टी के पार्षद विनोद पाटनी व मार्क्स कम्युनिस्ट पार्टी के पार्षद लक्ष्मण शर्मा  ने मुख्यमंत्री को शिकायत की है कि नगर पालिका सूरतगढ़ ने सीवरेज कार्य निर्माण में 2 करोड़ 78 लाख 64 हजार 150 रू का भारी घोटाला किया है।


 इस घोटाले की जांच करवाने के लिए 27 जून 2019 को यह शिकायत की गई है जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जांच कराने की मांग की गई है।

1- आरोप लगाया गया है कि सीवरेज कार्य निर्माण के दौरान 4763 सेफ्टी टैंक समतल कराई गई इस समतलीकरण के नाम पर नगर पालिका के अभियंताओं और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा 1 करोड़ 60 लाख 98हजार 940 रू का भुगतान किया गया। मेजरमेंट बुक में कहीं भी कोई जगह दर्ज नहीं की गई और ना ही शहर में कोई सेफ्टी टैंक खाली कराए गए। 

2- सीवरेज कार्य निर्माण के तहत सूरतगढ़ शहर में 31 किलोमीटर पाइप लाइन डालने का भुगतान किया गया। यह भुगतान 96 लाख 42हजार 456 रुपए का है,जबकि शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सीवरेज सिस्टम से पहले ही वार्डों में पीने के पानी के पाइप डाले हुए थे।

3- जी आई पाइप 15 एमएम डाया के  14 से 15 किलोमीटर का भुगतान 21 लाख 22 हजार 700 रुपए का किया गया है जबकि शहर के लोगों द्वारा खुद के खर्चे पर जी आई पाइप डलवाए गए।


  इन तीनों पर जांच कराने की मांग की गई है। 

इसकी प्रतिलिपि जिला कलेक्टर श्री गंगानगर, उपखंड अधिकारी सूरतगढ़ और अधिशासी अधिकारी नगरपालिका सूरतगढ़ को भी दी गई है। शिकायत कर्ताओं में सावित्री स्वामी, किशन स्वामी, मदन ओझा के भी नाम हैं। 


( नगरपालिका के ईओ की स्वीकृति बिना कोई भी भुगतान नहीं होता। मुख्य मंत्री को शिकायत करने के बाद ईओ, उपखंड अधिकारी को प्रति देने का क्या अर्थ है? बोर्ड का कार्य काल दो तीन माह का ही बचा है तब शिकायत हुई है।पहले सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करवाने मेंं साथ रहे।)


सूरतगढ़ में सीवरेज सिस्टम निर्माण में शुरू से लेकर अब तक घोटालों के आरोप और गलत निर्माण के आरोप लगते रहे हैं। अभी भी निर्माण अधूरा सा पड़ा है। सीवरेज के सड़कों से ऊंचे मेनहोल दुर्घटना के कारण बने हुए हैं। कई जगह मेनहोल धरातल से नीचे हैं। 

समाचार पत्रों और चैनलों पर स्पेशल रिपोर्ट कई बार आ चुकी हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को की गई शिकायत पर जांच से असलियत सामने आएगी।

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मंगलवार, 25 जून 2019

मानव तस्करी का बड़ा मामला-सूरतगढ़ में 18 बंधक मुक्त कराए गए-

 -- करणी दान सिंह राजपूत --

सूरतगढ़ आजकल मानव तस्करी के मामलों में चर्चित हो रहा है। सिटी पुलिस थाने के थानाअधिकारी निकेत कुमार पारीक के नेतृत्व में 24 जून की शाम को औद्योगिक क्षेत्र में छापा मारकर बंधक बनाए गए और मारपीट कर काम करवाएं जा रहे अट्ठारह बालकों को बहुत बुरी हालत से मुक्त करवाया गया।

 निकेत कुमार पारीक को गुप्त सूचना मिली थी की औद्योगिक क्षेत्र वार्ड नंबर 8 के एक मकान में अनेक बच्चे बंधक बनाकर रखे गए हैं और उनसे मारपीट करके जबरदस्ती चूड़ियां बनवाने का कार्य करवाया जा रहा है। 

सूचना पर रात को करीब 8:30 बजे उस मकान पर छापा मारा गया।

मोहम्मद आमाद का यह मकान है जो मोहम्मद अकबर पुत्र मुस्किम को किराए पर दिया हुआ है। मोहम्मद अकबर इन छोटे-छोटे बच्चों से जबरन काम करवाता था। पुलिस ने मकान मालिक मोहम्मद अहमद और मोहम्मद अकबर दोनों पर मानव तस्करी का धारा 370 में मामला दर्ज किया है। 

(पुलिस नेअट्ठारह बच्चों को मुक्त करवाया है कानून के अनुसार उन नाबालिक बच्चों के नाम और फोटो आदि नहीं दिए जा सकते।)

पुलिस आगे की कार्यवाही करने में जुटी है।

 थाना अधिकारी के अनुसार इन बालकों से अमानवीय व्यवहार किया जा रहा था। चूड़ियां बनाने के काम में इनको लगाया हुआ था। काम अच्छा नहीं होने पर पिटाई करना दंड देना सामान्य बात थी।अक्सर पिटाई होती रहती थी।एक ही कमरे में 18 बच्चों का रहना खाना सोना सब कुछ था। इन बच्चों को बाहर निकलने की छूट नहीं थी। ये बालक कहां के हैं? इसका पूरा ब्यौरा तैयार किया जा रहा है।

 सूरतगढ़ में करीब 4 माह से चूड़ियां बनाने का कार्य चल रहा था। पुलिस के अनुसार चूड़ियां बनाने का कार्य पहले श्रीगंगानगर चल रहा था लेकिन वहां पर सख्ती होने के बाद मोहम्मद अकबर सूरतगढ़ आया और सूरतगढ़ में मकान किराए पर लेकर यह कार्य कराने लगा जिसमें छोटे छोटे बच्चों को जबरदस्ती काम में लगाया हुआ था। पुलिस का कहना है कि जिन बच्चों के साथ मारपीट हुई है और उन सभी का मेडिकल मुआयना करवाया जाएगा और गहन पूछताछ की जाएगी।

मोहम्मद अकबर( 25 वर्ष) बिहार के वजीदपुरा गया का निवासी है। अभी यही मालूम हो रहा है कि बच्चे भी बिहार से लाए गए हैं। मानव तस्करी के लिए जो मकान किराए पर होता है, उसका मालिक भी मुकदमे में आरोपी होता है।

मानव तस्करी के प्रकरण में 10 साल,उम्र कैद या संपूर्ण जीवन की कैद की सजा हो सकती है।

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सोमवार, 24 जून 2019

भाजपा राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी का निधन-राजनैतिक यात्रा



जयपुर:24-6-2019.
भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी का आज 24-6-2019 को निधन हो गया. वे कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्हें शुक्रवार को दिल्ली एम्स में उपचार के लिए लाया गया था. हाल ही में मदनलाल सैनी के फेफड़ों में इंफेक्शन की शिकायत सामने आई थी. इससे पहले तबीयत ज्यादा खराब होने पर मदनलाल सैनी को जयपुर में मालवीय नगर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. 
मदनलाल सैनी के निधन से भाजपा में शोक की लहर है. शुक्रवार को प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे  मदन लाल सैनी से मुलाकात करने अस्पताल पहुंची थी।  राजे ने मदनलाल सैनी के पास कुछ देर रुककर उनसे बातचीत की।  उनके हाल जाने। वसुंधरा राजे ने सैनी का उपचार कर रहे डॉक्टर्स ने उनके स्वास्थ्य के बारे में चर्चा की।
मदनलाल सैनी की राजनैतिक यात्रा
वे मूलत: सीकर जिले की मालियों की ढाणी निवासी सैनी राजनीति में आने से पहले भारतीय मजूदर संघ (भामस) से लंबे समय तक जुड़े रहे थे.
सैनी ने राजनीति के लिए सीकर मुख्यालय से सटे माली बहुल झुंझुनूं के उदयपुवाटी विधानसभा (पूर्व में गुढ़ा) को चुना था.
1990 में लड़ा था पहला चुनाव
सैनी ने वर्ष 1990 में अपना पहला चुनाव उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से लड़ा था और वे इसमें विजयी रहे. उसके बाद वे संगठन में भी सक्रिय हुए और 1991 में एक साल बीजेपी के झुंझुनूं जिलाध्यक्ष रहे. वहीं से संगठन में पदोन्नत होकर प्रदेश मंत्री बने तो जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. बाद में ओमप्रकाश माथुर के अध्यक्ष काल में वे प्रदेश महामंत्री रहे. बेहद साधारण जीवन शैली अपनाने वाले सैनी हमेशा बस में सफर करते रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में भी आजमाया था भाग्य
सैनी ने दो बार लोकसभा चुनाव में भी भाग्य आजमाया था, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए. सैनी ने 1993 में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे शीशराम ओला के सामने झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए. उसके बाद सैनी ने 1998 में फिर लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन सफल नहीं हुए. सैनी ने 2008 में उदयपुरवाटी से विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन सफल नहीं हो पाए. इस दौरान सैनी ने संगठन में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी.
लंबे समय से हैं अनुशासन समिति के अध्यक्ष रहे
सैनी लंबे समय तक बीजेपी अनुशासन समिति के अध्यक्ष रहे हैं. सैनी वर्तमान में राज्यसभा सांसद भी थे. सैनी की ससुराल झुंझुनूं के जिले के नवलगढ़ में है. उनके पांच पुत्रियां और एक पुत्र है. पुत्र मनोज सैनी पेशे से वकील हैं. वे हाईकोई में वकालत करते हैं.

बुधवार, 19 जून 2019

4,605 स्त्रियों की बच्चादानी निकाली गई,मंत्री द्वारा जांच के आदेश

मुंबई 19 जून 2019.

महाराष्ट्र विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे के एक बयान से सनसनी मच गई है। शिंदे के मुताबिक पिछले तीन साल में 4,605 महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति इस मामले की जांच करेगी। 


मजदूर वर्ग की ज्यादातर महिलाएं शिकार


बुनियादी रूप से यह मुद्दा शिवसेना विधायक नीलम गोर्हे ने विधान परिषद में उठाया था, उन्होंने कहा कि बीड जिले में गन्ने के खेत में काम करने वाली महिलाओं के गर्भाशय निकाल लिए गए। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि माहवारी के चलते उनके काम में ढिलाई न आए। 

 

 निजी अस्पतालों में किए गए ऑपरेशन


बीड जिले के सिविल सर्जन की अध्यक्षता में गठित समिति ने पाया कि ऐसे ऑपरेशन 2016-17 से 2018-19 के बीच 99 निजी अस्पतालों में किए गए। शिंदे ने सदन को बताया कि जिले में सामान्य प्रसवों की संख्या सिजेरियन की संख्या से कहीं ज्यादा है। उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए, उनमें से कई गन्ना खेत में काम करने वाली मजदूर हैं। 

 

दो महीने में पेश होगी रिपोर्ट


बता दें कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने अप्रैल में इस मामले के सामने आने के बाद राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया था। जांच समिति में 3 गाइनोकोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) और कुछ महिला विधायक होंगी। समिति दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।  राज्य सरकार ने सभी डॉक्टरों को आदेश दिया था कि वे अनावश्यक रूप से गर्भाशय न निकालें।

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पुलिस इंस्पेक्टर संजय बोथरा का मकान एसीबी द्वारा सील:नोटिस में पत्नी का भी नाम




भ्रष्टाचार के मामले में फंसे पुलिस निरीक्षक संजय बोथरा की पकड़ धकड़ के लिए एसीबी ने 19-6-2019 को बोथरा के हनुमानगढ़ में आवासन मंडल मकान को सील कर दिया। एसीबी हनुमानगढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गणेश नाथ ने भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय श्री गंगानगर से तलाशी वारंट लिया था। मकान में कोई रहता हुआ नहीं मिला। मकान पर ताले लगे थे, उन पर चपड़ी मोहर लगा सील कर हस्ताक्षर किए गए। इसके साथ ही नोटिस चिपकाया गया। इस नोटिस में संजय बोथरा के अलावा उनकी पत्नी का नाम भी है।

संजय बोथरा की तलाश में उसके नजदीकी रिश्तेदारों के यहां भी श्री गंगानगर, पीलीबंगा, जयपुर, जोधपुर मेंं भी एसीबी की छापेमारी हुई है।
जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में फंसे बासनी के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक संजय बोथरा को कोई अंतरिम राहत नहीं दी। एसीबी से बचने के लिए निरीक्षक बोथरा लम्बे समय से मेडिकल लीव पर चल रहे है। बोथरा ने आपराधिक विविध याचिका दायर करते हुए कोर्ट में एसीबी में दर्ज एफआईआर निरस्त करने की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने एसीबी को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है।
अवकाशकालीन न्यायाधीश डा.पुष्पेंद्रसिंह भाटी की एकलपीठ में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता धीरेन्द्रसिंह ने पैरवी करते हुए कहा कि बासनी थाने के सब इंस्पेक्टर गजेन्द्रसिंह को पिछले महीने रिश्वत लेते पकड़ा गया था, उस ट्रेप कार्यवाही में याचिकाकर्ता का नाम नहीं है। घटना के दिन याची की ड्यूटी सूरसागर एरिया में थी, जहां कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई थी। याची को न तो रंगे हाथों पकड़ा गया है और न ही उससे कोई बरामदगी हुई है। याची ने एक दिन पहले बजरी माफिया के खिलाफ कार्रवाई की थी, जिसके बदले की भावना से यह कार्यवाही करवाई गई। कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए एसीबी को जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी
बजरी डम्पर संचालन में रिश्वत व बंधी के मामले में एसीबी ने पुलिस निरीक्षक संजय बोथरा की तलाश में रातानाडा पुलिस लाइन व बोरानाडा के पास जैन एनक्लेव में दबिशें देकर छापे मारे।
दस मई को बासनी थाने में एसआई गजेन्द्रसिंह को बीस हज़ार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया था।

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मंगलवार, 18 जून 2019

पत्रिका समूह के निदेशक मिलाप कोठारी का निधन: 'कड़वा मीठा सच्च:व 'मंथन:के लिए याद रहेंगे




-- करणीदानसिंह राजपूत --
पत्रिका समूह के निदेशक मिलापचंद कोठारी का  18 जून 2019 को सुबह निधन हो गया। राजस्थान पत्रिका में लोकप्रिय 'कड़वा मीठा सच्च' स्तंभ शुरू करने और 'मंथन' स्तंभ लिखने के लिए वे सदैव याद रहेंगे।
मिलाप कोठारी 69 वर्ष के थे। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्होंने जयपुर में अंतिम सांस ली।
15 दिसम्बर, 1950 को जन्मे मिलाप कोठारी राजस्थान पत्रिका के संपादक और निदेशक भी रहे हैं। वे पत्रिका समूह के संस्थापक स्व. कर्पूरचंद कुलिश के छोटे पुत्र और प्रधान संपादक गुलाबचंद कोठारी के छोटे भाई थे।
शवयात्रा उनके निवास "स्वस्ति, 11, हॉस्पिटल मार्ग, सी स्कीम" से आज शाम को 5:15 बजे आदर्शनगर मोक्षधाम जाएगी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए श्री मिलाप कोठारी के निधन पर दुःख जताया है। ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'पत्रिका ग्रुप के निदेशक श्री मिलाप कोठारी जी के निधन पर मेरी गहरी संवेदना। दुःख की इस घड़ी में मेरे विचार और प्रार्थनाएँ उनके परिवार के सदस्यों के साथ हैं। ईश्वर उनके परिवार को इस दुःख की घडी करने की शक्ति प्रदान करे। दिवंगत आत्मा को शांति मिले।' 
जीवन परिचय 
मिलाप कोठारी 'सुमंत' का जन्म 15 दिसंबर 1950 को जयपुर में हुआ। उन्होंने यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि ग्रहण की लेकिन कार्यक्षेत्र पत्रकारिता को ही चुना।
वे 1977 से राजस्थान पत्रिका तथा इसके सहयोगी प्रकाशनों से संबद्ध रहे।
कोठारी ने पत्रिका के जोधपुर संस्करण के प्रबंध संपादक एवं स्थानीय संपादक सहित अन्य पदों का निर्वहन किया। इसके बाद 1988 में अंग्रेजी आर्थिक दैनिक और जुलाई 1990 में हिंदी दैनिक राजस्थान पत्रिका के संपादक का दायित्व संभाला
उन्होंने राजस्थान पत्रिका के परामर्शी एवं पत्रिका के निदेशक मंडल के सदस्य का दायित्व भी सम्भाला। राजस्थान पत्रिका में उनका देश-विदेश की समसामयिक घटनाओं पर 'मंथन' पाठकों में काफी लोकप्रिय रहा है। कोठारी की 'सुमन' नाम से कुछ कविताएं भी प्रकाशित हो चुकी हैं।
मिलाप कोठारी ने सन 1990 में राजस्थान पत्रिका में कड़वा मीठा सच्च स्तंभ शुरू कराया जो बहुत लोकप्रिय हुआ। सरकार का ध्यान भी उसमें छपी सामग्री पर रहता था जिन पर सरकार निर्णय भी लेती थी। इस स्तंभ में तीन बार राज्य स्तरीय प्रथम और एक बार राज्य स्तरीय द्वितीय पुरस्कार मुझे मिले,जिन पर समारोहों में सम्मानित हुआ। 
मिलाप कोठरी सूरतगढ़ अनेक बार आए। पत्रकारिता पर बहुत चर्चाएं होती।
अन्य स्थानों जयपुर, जोधपुर उदयपुर आदि में भी मिलना और चर्चा करने का अवसर मिला। वे सदा याद रहेंगे। ( राजस्थान पत्रिका से 33 साल तक जुड़ाव रहा है।अभी भी संपर्क है)
- करणीदानसिंह राजपूत,
राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,
सूरतगढ़।
9414381356.


रविवार, 16 जून 2019

मनोज स्वामी ने साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्ति पर वरिष्ठ पत्रकार करणीदानसिंह से आशीर्वाद लिया


* विशेष समाचार *
केन्द्रीय साहित्य अकादमी की ओर से 2018 का अनुवाद पुरस्कार लेकर सूरतगढ़ लौटने पर मनोजकुमार स्वामी ने वरिष्ठ पत्रकार लेखक करणीदानसिंह राजपूत से आशीर्वाद प्राप्त किया।
मनोज कुमार स्वामी ने 'हथाई' कार्यालय स्थल पर करणीदानसिंह राजपूत के हाथों में पुरस्कार सौंपा। राजपूत ने मनोज कुमार स्वामी के उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद दिया।
सूरतगढ़ के राजस्थानी साहित्यकार मनोजकुमार स्वामी को मलयाली के अकादमी पुरस्कृत उपन्यास चैम्मीन के राजस्थानी अनुवाद 'नाव अर जाळ'के लिए दिया गया। मलयाली लेखक तकषी शिवशंकर पिल्लै द्वारा मछुवारों के जीवन पर सजीव उपन्यास लिखा गया उसका भाव पूर्ण अनुवाद राजस्थानी भाषा में मनोज कुमार स्वामी द्वारा किया गया।
करणीदानसिंह राजपूत ने 'नाव अर जाळ' की राजस्थानी भाषा में समीक्षा लिखी जो राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की पत्रिका 'जागती जोत' के मार्च 2019 के अंक में प्रकाशित हुई।


 

केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा 2018 के अनुवाद पुरस्कार:मनोजकुमार स्वामी राजस्थानी वास्ते पुरस्कृत


- विशेष समाचार: करणीदानसिंह राजपूत -

सूरतगढ़ 16 जून 2019.

केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा 24 भारतीय भाषाओं में दिया जाने वाला अनुवाद पुरस्कार 2018 का वितरण समारोह त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में 14 जून 2019 को आयोजित हुआ। समारोह में राजस्थानी के लिए सूरतगढ़ के राजस्थानी साहित्यकार मनोजकुमार स्वामी को मलयाली के पुरस्कृति उपन्यास चैम्मीन के राजस्थानी अनुवाद नाव अर जाळ के लिए दिया गया। मलयाली लेखक तकषी शिवशंकर पिल्लै द्वारा मछुवारों के जीवन पर संजीव उपन्यास का उतना ही भाव पूर्ण अनुवाद राजस्थानी भाषा में किया गया। इस अवसर पर असमीया में अनुवाद पुरस्कार पार्थ प्रतिम हाजरिका को, बागला के लिए मबिनुल हक, बोडो के लिए नबीन ब्रहा्र, डोगरी के लिए नरसिंह देव जम्वाल, अग्रेजी के लिए सुबाश्री कृष्णास्वामी, गुजराती के लिए वीनेश अंताणी , हिन्दी के लिए प्रभात त्रिपाठी, कन्नड़ के लिए गिरडि गोविंदराज, कश्मीरी के लिए मो. जमॉ आजुर्दा, कोंकणी के लिए नारायण भास्कर देसाय, मैथिली के लिए सदरे आलम गौहर, मलयालम के लिए एम लीलावती, मणिपुरी के लिए राजकुमार मोबी सिंह, मराठी के लिए प्रफुल्ल शिलेदार, नेपाली के लिए मणिका मुखिया, उडि़या के लिए श्रद्धांजलि कानूनगो, पंजाबी के लिए के एल गर्ग, संथाली के लिए रूपचंद हसदा, सिंधी के लिए जगदीश लछाणी, संस्कृत के लिए दीपक कुमार शर्मा, तमिल के लिए कुलच्चल यूसुफ, तेलुगु के लिए ए कृष्णा राव ,उर्दू के लिए जकिया मशहदी, को पुरस्कार प्रदान किए गए पुरस्कार वितरण एकेडमी के अध्यक्ष पदम श्री डॉक्टर चंद्रशेखर कम्बार ने सभी अनुवाद पुरस्कार विजेता साहित्यकारों को तांम्र उत्किरण समृति चिन्ह शॉल व 50 हजार राशि का चेक प्रदान किया। 


इस मौके पर केंद्रीय साहित्य अकादमी में राजस्थानी भाषा के समन्वयक मधु आचार्य ने सभी पुरस्कार विजेताओं व राजस्थानी के लिए मनोज कुमार स्वामी को बधाई दी। राजस्थान से इस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए माधवाचार्य एडवोकेट अशोक बबेरवाल इंजीनियर वीरेंद्र महिला कमल आचार्य आदि ने शिरकत की। 





सोमवार, 10 जून 2019

राजस्थान-193 नगर पालिका में वार्डों की संख्या बढ़ाई गई- आपका शहर देखें


**  करणी दान सिंह राजपूत ** 
राजस्थान की 193 नगर पालिका में वर्तमान वार्डों में बढ़ोतरी की गई है।
 यह अधिसूचना 10 जून 2019 को जारी हुई और तत्काल लागू हो गई है।
इस पर वार्डों का पुनर्गठन आदि का कार्य तुरंत शुरू हुआ है। पूरा विवरण पढ़ें।
कृपया क्रम से लगा कर पढें।












जांच करती पुलिस भी गैंगरेप में शामिल -3 को उम्र कैद व 3 को 5 साल सजा-

- कठुआ गैंगरेप-

पिछले साल 2018 जनवरी में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची से गैंगरेप और हत्या से देश को हिला कर रख देने के मामले में करीब अट्ठारह माह बाद सोमवार को फैसला आया।
विशेष अदालत ने मंदिर के पुजारी सांझी राम, दीपक खजूरिया और प्रवेश कुमार को उम्रकैद की सजा के साथ तीनों पर एक.एक लाख का जुर्माना लगाया है। तीन अन्य दोषियों आनंद दत्ता, सुरेंद्र कुमार और तिलक राज को सबूतों को मिटाने का दोषी मानते हुए पांच साल की सजा सुनाई है। यह तीनों पुलिसकर्मी हैं। उम्र कैद की सजा पाया खजूरिया भी पुलिस अधिकारी था।       
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को जम्मू-कश्मीर से बाहर भेजने का आदेश दिया और इसके बाद मामले को पठानकोट की अदालत में हस्तांतरित किया गया। 
इस मामले में कुल गिरफ्तार आठ आरोपियों में एक नाबालिग था। किशोर आरोपी के खिलाफ अभी मामला शुरु नहीं हुआ है क्योंकि उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है।

सांझी राम ने रची थी सारी साजिश

इस घटना का मास्टर माइंड सांझी राम राजस्व विभाग का सेवानिवृत्त अधिकारी है और उसी ने इस झकझोर देने वाली घटना की साजाशि रची। सांझी राम रासना गांव में मंदिर का सेवादार था और उसने बकरवाल समुदाय को इलाके से हटाने के लिए मासूम बालिका के सामूहिक बलात्कार का षडयंत्र बना। पुलिस ने बताया था कि आरोपियों ने बालिका के अपहरण के तीन दिन बाद 13 जनवरी को उसकी हत्या कर दी थी। मौसम बहुत ठंडा होने की वजह से उन्हें इसके सड़ने की चिता नहीं थी और 16 जनवरी तक बालिका के शव को भ के अंदर ही रखे रहे। 

 कठुआ कांड के दोषियों को किन धाराओं के तहत दोषी पाया गया, जानिए यहां-

सांजी राम- आरपीसी की धारा 302 (हत्या), 376 (रेप), 120 बी (साजिश) के तहत दोषी करार देन के बाद कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। रासना गांव में देवीस्थान, मंदिर के सेवादार सांजी राम को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। मास्टरमाइंड संजी बकरवाल समुदाय को हटाने के लिए इस घिनौने कृत्य को अंजाम देना चाहता था। इसके लिए वह अपने नाबालिग भतीजे और अन्य छह लोगों को लगातार उकसा रहा था।

आनंद दत्ता- आरपीसी की धारा 201(सबूतों को नष्ट करना) के तहत दोषी करार देने के बाद दत्ता को 5 साल की कैद की सजा सुनाई है। सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता ने सांजी राम से चार लाख रुपये रिश्वत लेकर महत्वपूर्ण सबूत नष्ट किए।

परवेश कुमार- आरपीसी की धारा 120 बी, 302 और 376 के तहत दोषी करार देने के बाद परवेश को उम्रकैद की सजा दी गई है। पवरेश मामले की साजिश रचने में शामिल था। परवेश ने बच्ची के साथ रेप किया और गला दबाकर उसकी हत्या की।

दीपक खजुरिया-आरपीसी की 120 बी, 302, 34, 376D, 363, 201, 343 के तहत दोषी करार दिए जाने के बाद खजुरिया को उम्रकैद की सजा दी गई है। विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया ने बच्ची को नशीली दवाएं देकर रेप किया। इसके बाद उसका गला घोंटकर मार दिया।

सुरेंदर वर्मा- आरपीसी की धारा 201 के तहत दोषी करार दिए जाने के बाद वर्मा को पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई है। जम्मू-कश्मीर में विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंदर वर्मा ने भी सबूत नष्ट करने किए।
तिलक राज- आरपीसी की धारा 201 के तहत दोषी करार दिए जाने के बाद तिलक राज को पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई है। हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज ने भी सांजी राम से रिश्वत लेकर महत्वपूर्ण सबूत नष्ट किए।
कठुआ गैंगरेप और मर्डर केस में सातवें आरोपी सांजीराम के बेटे विशाल को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस की चार्जशीट के अनुसार, एक नजर में घटनाक्रम-

4 जनवरी 2018: साजिशकर्ता सांजी राम ने बकरवाल समुदाय को क्षेत्र से हटाने के लिए खजुरिया और प्रवेश कुमार की योजना में शामिल होने के लिए अपने नाबालिग भतीजे को तैयार किया।

7 जनवरी 2018: दीपक खजुरिया और उसका दोस्त विक्रम ने नशे की गोलियां खरीदीं। सांजी राम ने अपने भतीजे को कहा कि वह बच्ची का अपहरण कर ले।
8 जनवरी 2018: नाबालिग ने अपने एक दोस्त को इस बारे में जानकारी दी।
9 जनवरी 2018: नाबालिग ने भी कुछ नशीली दवाएं खरीदीं।
10 जनवरी 2018: साजिश के तहत नाबालिग ने मासूम बच्ची को घोड़ा ढूंढने में मदद की बात कही। वह उसे जंगल की तरफ ले गया। बाद में बच्ची भागने की कोशिश की लेकिन आरोपियों ने उसे धर दबोचा। इसके बाद उसे नशीली दवाएं देकर उसे एक देवी स्थान के ले गए, जहां रेप किया।

11 जनवरी 2018: नाबालिग ने अपने दोस्त विशाल को कहा कि अगर वह मजे लूटना जाता है तो आ जाए। परिजनों ने बच्ची की तलाश शुरू की। देवीस्थान भी गए लेकिन वहां उन्हें सांजी राम ने झांसा दे दिया। दोपहर में दीपक खजुरिया और नाबालिग ने मासूम को फिर नशीली दवाएं दीं।

12 जवनरी 2018: मासूम को फिर नशीली दवाएं देकर रेप।
12 जनवरी 2018.पुलिस में मामला दर्ज हुआ।
पुलिस की जांच शुरू। दीपक खजुरिया खुद जांच टीम में शामिल था जो सांजी राम के घर पहुंचा। राम ने उसे रिश्वत की पेशकश की। हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज ने कहा कि वह सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता को रिश्वत दे। तिलक राज ने 1.5 लाख रुपये रिश्वत दिए।

13 जनवरी 2018: विशाल, सांजी राम और नाबालिग ने देवी स्थान पर पूजा-अर्चना की। इसके बाद लड़की के साथ रेप किया और उसे फिर नशीली दवाएं दीं। इसके बाद बच्ची को मारने के लिए वे एक पुलिया पर ले गए। यहां पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया ने कहा कि वह कुछ देर और रुक जाएं क्योंकि वह पहले रेप करना चाहता है। इसके बाद उसका गला घोंटकर मार दिया गया।

15 जनवरी 2018: आरोपियों ने मासूम के शरीर को जंगल में फेंक दिया।
17 जनवरी 2018: जंगल से मासूम बच्ची का शव बरामद।
पोस्टमॉर्टम में बच्ची से सामूहिक बलात्कार और हत्या की पुष्टि हुई। 
22 जनवरी, 2018: मामला जम्मू कश्मीर अपराध शाखा को सौंपा गया। 16 फरवरी, 2018: दक्षिणपंथी समूह ‘हिंदू एकता मंच' ने एक आरोपी के समर्थन में प्रदर्शन किया। 
एक मार्च, 2018: बच्ची के अपहरण और बलात्कार की घटना के संबंध में ‘देवीस्थान' (मंदिर) के प्रभारी के भतीजे की गिरफ्तारी के बाद राज्य में सत्तारूढ़ पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में दो मंत्री भाजपा के चंद्र प्रकाश गंगा और लाल सिंह ‘'हिंदू एकता मंच' द्वारा आयोजित रैली में शामिल हुए।
नौ अप्रैल, 2018: पुलिस ने आठ आरोपियों में से सात के खिलाफ कठुआ अदालत में आरोपपत्र दायर किया।
10 अप्रैल, 2018: आठवें आरोपी के खिलाफ भी आरोपपत्र दायर किया गया जिसने नाबालिग होने का दावा किया था। पुलिस ने अपराध शाखा के अधिकारियों को नौ अप्रैल को आरोपपत्र दायर करने से रोकने की कोशिश करने और प्रदर्शन करने के आरोप में वकीलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। 
14 अप्रैल, 2018: हिंदू एकता मंच की रैली में शरीक हुए भाजपा के मंत्रियों ने राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इस अपराध को ‘‘खौफनाक'' बताया और प्रशासन से शीघ्र न्याय के लिए कहा।
16 अप्रैल, 2018: कठुआ में प्रधान सत्र अदालत के जज के समक्ष सुनवाई शुरू हुई। सभी आरोपियों ने खुद को निर्दोष कहा। 
सात मई, 2018: उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई के लिये मामला कठुआ से पंजाब के पठानकोट स्थानांतरित किया। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई शीघ्रता से करने का निर्देश दिया। साथ ही यह भी कहा कि सुनवाई मीडिया से दूर, बंद कमरे में हो। 
तीन जून, 2019: सुनवाई पूरी हुई और 10 जून को सजा सुनाई गई।
(10 जून 2019.
नई दिल्ली:)

रविवार, 9 जून 2019

लोकसभा चुनाव 2019 समाचारों वास्ते करणीदानसिंह राजपूत सहित कई पत्रकार सम्मानित



सूरतगढ़।लोकसभा आमचुनाव 2019 में अधिक मतदान के लिए जनता को प्रेरित करने सहित सभी प्रकार की चुनाव संबंधी समाचारों का श्रेष्ठ प्रकाशन व प्रसारण करने में अग्रणी पत्रकारों को उपखंड सूरतगढ़ के सम्मान समारोह में एसडीएम सहायक निर्वाचन अधिकारी रामावतार कुमावत द्वारा प्रशस्तिपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

करणीदान सिंह राजपूत( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार)

जितेंद्र औझा( राजस्थान पत्रिका)

ब्रह्म प्रकाश शर्मा ( दैनिक भास्कर)

शिवशंकर सारड़ा (सीमा संदेश)

हरिमोहन सारस्वत ( संपादक हाईलाइन)

नवलकिशोर भोजक( हांसल समाचार)

** इलेक्ट्रॉनिक मिडिया के **

राजेंद्र उपाध्याय( अध्यक्ष प्रेस क्लब)

संजय चौधरी

विजय स्वामी

प्रेम सुथार 

को सम्मानित किया गया।

यह समारोह एसडीएम सरकारी आवास परिसर में दि 8-6-2019 की संध्या को आयोजित किया गया। इस सम्मान कार्य से पहले सुंदर काण्ड का पाठ किया गया।

लोकसभा चुनाव के कार्य में लगे अधिकारियों व कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया।

- सूरतगढ़ 8-6-2019.

गुरुवार, 6 जून 2019

महान योद्धा महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा

प्रस्तुतकर्ता - करणीदानसिंह राजपूत



नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)
जन्म - 9 मई, 1540 ई.
जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान
पुण्य तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई.
पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी
माता - राणी जीवत कँवर जी
राज्य - मेवाड़
शासन काल - 1568–1597ई.
शासन अवधि - 29 वर्ष
वंश - सुर्यवंश
राजवंश - सिसोदिया
राजघराना - राजपूताना
धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म
युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध
राजधानी - उदयपुर
पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह
उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह
अन्य जानकारी -
महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था,
जिसका नाम 'चेतक' था।
राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर,
मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे।
वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि
राणा प्रताप का जन्म हुआ।
महाराणा का नाम
इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है।
महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर
के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती
है।
महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-
1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।
2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने
अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर
आए| तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि
हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ” लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था | “बुक ऑफ़
प्रेसिडेंट यु एस ए ‘किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |
3.... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|
कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।
4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान
उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |
5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी|
लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |
6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और
अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |
7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |
8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारों लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं| इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाड़िया लोहार कहा जाता है|
9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।
आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |
10..... महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे
जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |
11.... महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |
12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में
अकबर की फौज को अपने तीरो से छेद डाला था वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे|
आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं तो दूसरी तरफ भील |
13..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट की नदी पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह नदी पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |
14..... राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके
मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी
की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|
15..... मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया
हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलों  को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे |
16.... महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।
महाराणा प्रताप के हाथी
की कहानी:
आप सब ने महाराणा
प्रताप के घोड़े चेतक के बारे
जाना, लेकिन उनका एक हाथी
भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में यह जानकारी है।
रामप्रसाद हाथी का उल्लेख
अल- बदायुनी (जो मुगलों
की ओर से हल्दीघाटी के
युद्ध में लड़ा था) ने अपने एक ग्रन्थ में किया है। उसने लिखा है की जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढाई की
थी तब उसने महाराणा
और दूसरा उनके हाथी
रामप्रसाद को ही बंदी बनाने की हिदायत दी थी।
अल बदायुनी ने आगे लिखा कि
वह हाथी इतना समझदार
व ताकतवर था की उसने
हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही
अकबर के 13 हाथियों को मार
गिराया था।
वो आगे लिखा कि उस हाथी को पकड़ने के लिए हमने 7 बड़े हाथियों का एक
चक्रव्यूह बनाया और उन पर 14 महावतों को बिठाया तब
कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।
अब जानें उस
जानवर हाथी की स्वामी भक्ति।
उस हाथी को अकबर के समक्ष
पेश किया गया जहां  अकबर ने
उसका नाम पीरप्रसाद रखा।
रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने
और पानी दिया।
पर उस स्वामिभक्त हाथी ने
18 दिन तक मुगलों का न
तो दाना खाया और न ही
पानी पिया और वो शहीद
हो गया।
तब अकबर ने कहा था कि
जिसके हाथी को मैं अपने सामने
नहीं झुका पाया उस महाराणा
प्रताप को क्या झुका पाउँगा?
ऐसे ऐसे देशभक्त चेतक व रामप्रसाद जैसे तो यहाँ जानवर थे।
जय महाराणा
जय मेवाड़
जय भारत माता
आग्रह -  हमेशा अपने
भारतीय होने पर गर्व करो।


इस जानकारी को पढ़कर निश्चित ही आपका सीना चौड़ा हुआ होगा।
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( हल्दीघाटी में से गुजरते हैं तब उस युद्ध की कल्पना और महाराणा की वीरता के जोश में तन मन में आश्चर्यजनक झनझनाहट होने लगती है। मैंने स्वयं ने यह 1997 में महसूस किया- करणीदानसिंह राजपूत)




बुधवार, 5 जून 2019

1 करोड़ से अधिक ये कौन हैं भयभीत उईगुर मुसलमान?चीन सरकार ने क्यों लगा रखी है सख्त पाबंदियां*

*चीन के शिनजियांग में  मस्जिदें ढहाने के  बाद  उइगुर मुसलमानों का फीका गुजरा रमजान*

होतन (चीन)5 जून 2019.


चीन के अशांत शिनजियांग क्षेत्र में हेयितका मस्जिद के इर्द-गिर्द एक वक्त रौनक सी रहती थी, लेकिन ऊंची गुंबददार इमारत की निशानी मिटने के साथ यह जगह अब वीरान हो चुकी है। दुनिया भर के मुसलमान खुशी और उत्साह के साथ ईद मना रहे हैं लेकिन हालिया समय में शिनजियांग में दर्जनों मस्जिदों को ढहाए जाने के कारण उइगुर और अन्य अल्पसंख्यक आबादी सुरक्षाकर्मियों की भारी मौजूदगी वाले इस क्षेत्र में दबाव का सामना कर रहे हैं और उनका रमजान भी फीका गुजरा। 

न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, होतन शहर में इस जगह के पीछे एक प्राथमिक स्कूल की दीवार पर लाल रंग में लिखा है 'पार्टी के लिए लोगों को पढ़ाएं और इस स्कूल में प्रवेश से पहले छात्रों को अपना चेहरा स्कैन कराना पड़ता है। पास के बाजार के एक दुकानदार ने कहा कि मस्जिद की बनावट 'शानदार थी। वहां पर कई लोग रहते थे। उपग्रह से मिली तथा अन्य तस्वीरों को खंगालने से पता चलता है कि 2017 के बाद से 36 मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को गिराया जा चुका है।

जो मस्जिद खुले हैं, वहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना पड़ता है और सर्विलांस कैमरा से लगातार उनपर निगरानी रखी जाती है । दमन के डर से पहचान नहीं उजागर करने का अनुरोध करते हुए एक उइगुर मुसलमान ने कहा कि यहां पर हालात बहुत सख्त है, दिल कड़ा करके रहना पड़ता है।

बुधवार को ईद मनाने वाले मुसलमान बड़ी खामोशी से ईदगाह मस्जिद पहुंचे। इस मस्जिद को प्रशासन ने मंजूरी दे रखी है और यह चीन की सबसे बड़ी मस्जिदों में एक है। आसपास की सड़कों, इमारतों पर सादी वर्दी में सुरक्षाकर्मी आने-जाने वालों पर कड़ी नजर रखे हुए थे। 

शिनजियांग में मुस्लिमों के लिए इस बार भी रमजान पर कोई रौनक नहीं थी। जब मुसलमान रोजा रखते थे, रेस्तरां में उमड़ी भीड़ को पूरे दिन भोजन परोसा जाता था। शुक्रवार को होतन में सूर्यास्त के बाद भी यह इकलौती मस्जिद सुनसान थी। इससे पहले दिन में करीब 100 लोग नमाज पढ़ने आए थे, लेकिन उनमें ज्यादातर बुजुर्ग मुसलमान थे। 

चीन के ला त्रोबे विश्वविद्यालय में जातीय समुदाय और नीति के विशेषज्ञ जेम्स लीबोल्ड ने कहा कि सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी धर्म को खतरा मानती है। लंबे समय से चीन सरकार चीनी समाज को धर्मनिरपेक्ष बनाना चाहती है।  शिनजियांग सरकार ने कहा कि वह धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करती है और नागरिक कानून की सीमा के दायरे में रहते हुए रमजान मना सकते हैं । 

घातक हमले की आशंका के मद्देनजर सरकार ने पूरे क्षेत्र में कैमरे लगा रखे हैं। मोबाइल पुलिस थाने और जगह-जगह जांच चौकी बनायी गयी है। अनुमानों के मुताबिक दस लाख उइगुर और तुर्की भाषी लोगों को अस्थायी शिविरों में रखा गया है। शुरुआत में उनकी मौजूदगी से इनकार करते हुए चीनी प्रशासन ने पिछले साल माना कि वे व्यावसायिक शिक्षा केंद्र चला रहे हैं, जिसका मकसद है कि लोग मंदारिन और चीनी कानूनों से वाकिफ होकर धार्मिक चरमपंथ का रास्ता त्याग दें। इन केंद्रों में रमजान को लेकर कोई उत्साह नहीं था।

शिनजियांग सरकार ने कहा कि लोगों को धार्मिक गतिविधियों की इजाजत नहीं दी गयी क्योंकि चीनी कानून शैक्षिक केंद्रों में इस पर रोक लगाते हैं, लेकिन सप्ताहांत में वापसी पर उन्हें ऐसा करने की इजाजत होगी । 

उइगर कौन हैं ?

इस्लाम को मानने वाले उइगर समुदाय के लोग चीन के सबसे बड़े और पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग प्रांत में रहते हैं. इस प्रांत की सीमा मंगोलिया और रूस सहित आठ देशों के साथ मिलती है. तुर्क मूल के उइगर मुसलमानों की इस क्षेत्र में आबादी एक करोड़ से ऊपर है. इस क्षेत्र में उनकी आबादी बहुसंख्यक थी. लेकिन जब से इस क्षेत्र में चीनी समुदाय हान की संख्या बढ़ी है और सेना की तैनाती हुई है तब से यह स्थिति बदल गई है.


चीनी सरकार के साथ तनाव का कारण


शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' चला रहे हैं जिसका मकसद चीन से अलग होना है. दरअसल, 1949 में पूर्वी तुर्किस्तान, जो अब शिनजियांग है, को एक अलग राष्ट्र के तौर पर कुछ समय के लिए पहचान मिली थी, लेकिन उसी साल यह चीन का हिस्सा बन गया. 1990 में सोवियत संघ के पतन के बाद इस क्षेत्र की आजादी के लिए यहां के लोगों ने काफी संघर्ष किया. उस समय इन लोगों के आंदोलन को मध्य एशिया में कई मुस्लिम देशों का समर्थन भी मिला था लेकिन, चीनी सरकार के कड़े रुख के आगे किसी की एक न चली.


बीते कुछ समय के दौरान इस क्षेत्र में हान चीनियों की संख्या में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी हुई है. उइगरों का कहना है कि चीन की वामपंथी सरकार हान चीनियों को शिनजियांग में इसीलिए भेज रही है कि उइगरों के आंदोलन 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' को दबाया जा सके. चीनी सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियां भी कुछ ऐसा ही दर्शाती हैं. शिनजियांग प्रांत में रहने वाले हान चीनियों को मजबूत करने के लिए चीन सरकार हर संभव मदद दे रही है यहां तक कि इस क्षेत्र की नौकरियों में उन्हें ऊंचे पदों पर बिठाया जाता है और उइगुरों को दोयम दर्जे की नौकरियां दी जाती हैं. कुछ जानकार चीनियों को नौकरियों में ऊंचे पदों पर बिठाने का एक कारण यह भी मानते हैं कि सामरिक दृष्टि से शिनजियांग प्रांत चीन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और ऐसे में चीनी सरकार ऊंचे पदों पर विद्रोही रुख वाले उईगरों को बिठाकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती.


उइगरों और हान चीनियों के बीच हिंसक झड़पें


चीन की वामपंथी सरकार के इस रुख के चलते इस क्षेत्र में हान चीनियों और उइगरों के बीच टकराव की खबरें आती रहती हैं. 2008 में शिनजियांग की राजधानी उरुमची में हुई हिंसा में 200 लोग मारे गए जिनमें अधिकांश हान चीनी थे. इसके बाद 2009 में उरुमची में ही हुए दंगों में 156 उइगुर मुस्लिम मारे गए थे, उस समय तुर्की ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए इसे एक बड़े नरसंहार की संज्ञा दी थी. इसके बाद 2010 में भी कई हिंसक झड़पों की खबरें आईं. 2012 में छह लोगों को हाटन से उरुमची जा रहे एयरक्राफ्ट को हाइजैक करने की कोशिश के चलते गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने इसमें उइगरों का हाथ बताया. 2013 में प्रदर्शन कर रहे 27 उइगरों की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी. सरकारी मीडिया का कहना था कि प्रदर्शनकारियों के पास हथियार थे जिस वजह से पुलिस को गोलियां चलानी पड़ीं. इसी साल अक्टूबर में बीजिंग में एक कार बम धमाके में पांच लोग मारे गए जिसका आरोप उइगरों पर लगा. ये भी वे मामले ही हैं जो विदेशी मीडिया की सक्रियता से सामने आ गए वरना माना जाता है कि ऐसे सैकड़ों मामले चीनी सरकार ने दबा दिए.


इस क्षेत्र में उइगर मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता पर भी सरकार ने अंकुश लगा रखा है. 2014 में शिनजियांग की सरकार ने रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों के रोजा रखने और मुस्लिम नागरिकों के दाढ़ी बढ़ाने पर पाबंदी लगा दी थी. 2014 में ही राष्ट्रपति जिनपिंग के सख्त आदेशों के बाद यहां की कई मस्जिदें और मदसों के भवन ढहा दिए गए.


आरोप-प्रत्यारोप


चीनी सरकारी मीडिया की बात मानें तो इस सब के लिए उइगरों का संगठन 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' दोषी है. सरकार का कहना है कि इस हिंसा के लिए विदशों में बैठे उइगर नेता जिम्मेदार हैं. उसने 2014 में इन घटनाओं के लिए सीधे तौर पर वरिष्ठ उइगर नेता लहम टोहती को जिम्मेदार ठहराया था. इसके अलावा इन घटनाओं में डोल्कन इसा का हाथ बताते हुए उन्हें 'मोस्ट वांटेड' की सूची में रखा गया है. इन मामलों को लेकर चीन में कई उइगर नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया है.


वहीं, उइगर नेता और यह संगठन इन सभी आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत बताते हैं, उनका कहना है कि इन सभी मामलों के लिए चीनी सरकार दोषी है. जहां तक बाकी दुनिया की बात है तो अमेरिका ने 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' को उइगरों का एक अलगाववादी समूह बताया है.

 (इंटरनेट सामग्री।5-6-2019.)

रविवार, 2 जून 2019

बालवाहिनी संचालन के नियम : छात्र छात्राओं की सुरक्षा जरूरी


शैक्षणिक संस्थानों के छात्र छात्राओं को सुरक्षित, सुविधाजनक एवं सुलभ वाहन व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए परिवहन विभाग द्वारा बाल वाहिनी योजना लागू की गई  है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए परिवहन विभाग ने दिशा निर्देश जारी किये हैं।

इन दिशा निर्देशों के अनुसार वाहन चालक को कैब, बस, आटो श्रेणी के वाहन चलाने का 5 साल का अनुभव हो तथा उसके पास कम से कम 5 वर्ष पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस हो। आटो की बजाय बस, वैन एवं कैब जैसे सुरक्षित वाहनों को प्राथमिकता दी जावे। बाल वाहिनी योजना के अन्तर्गत संचालित वाहनों की बैठक क्षमता सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों से निर्धारित क्षमता की डेढ़ गुना से अधिक नहीं होगी। 

आटो में बच्चों की सुरक्षा हेतु बायीं ओर चढ़ने एवं उतरने वाले गेट पर लोहे की जाली लगा कर बन्द किया जाएगा। दुर्घटना और आपात स्थिति में छात्रों के लिए शिक्षा संस्था की वैन, कैब, बस, आटो में अनिवार्य रूप से प्राथमिकता सहायता बाॅक्स तथा अग्निशामक यंत्र लगाया जाये। वाहन में पानी की बोतल व स्कूल बैग रखने के लिए रैक लगी होगी। वैन, बस, कैब में चालक अनिवार्य रूप से नियमानुसार सीट बेल्ट लगा कर ही वाहन चलाएगा। आटो में ड्राइवर सीट पर बच्चों का परिवहन नहीं किया जाएगा। वैन, बस, कैब में चालक के पास वाली सीट पर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का परिवहन नहीं कि
या जाएगा। बाल वाहिनी वाहन चालक एवं कन्डक्टर नियमानुसार खाकी वर्दी पहनेंगे।

बाल वाहिनी में अनिवार्य रूप से जी.पी.एस लगाया जाए जिसके लाॅगिंग नम्बर व कोड स्कूल प्रशासन को उपलब्ध करवाये जायेंगे जिससे स्कूल प्रशासन द्वारा उसकी माॅनिटरिंग की जायेगी। यदि वाहन चालक का लाल-बत्ती का उल्लघंन करने, तेज व खतरनाक तरीके से वाहन चलाने, शराब पीकर वाहन चलाने, वाहन चलाते समय मोबाईल फोन पर बात करने जैसे अपराध के लिए एक से अधिक चालान हुआ तो स्कूल प्रशासन द्वारा उसे हटाया जाएगा। बस में छात्रों को उतारने व चढ़ने में सहायता के लिए एक परिचालक होगा। चालक व परिचालक को निर्धारित वर्दी पहन कर वाहन चलाना होगा। 

दो वर्ष में कम से कम एक बार बाल वाहिनी की सड़क एवं जीवन दायनी प्रक्रिया का प्रशिक्षण एवं एक बार मेडिकल चेकअप नेत्र व स्वास्थ्य जांच करवाना आवश्यक होगा। बाल वाहिनी वाहनों में डोर लाॅक की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। बाल वाहिनी वाहनों में स्पीड  गवर्नर अनिवार्य रूप से लगाया जाये एवं उसकी क्रियाशीलता सुनिश्चित की जावे। 


विद्यालय एवं महाविद्यालय के कर्तव्य


शैक्षणिक संस्थान प्रमुख द्वारा सड़क सुरक्षा क्लब के माध्यम से बाल वाहिनी योजना सख्ती से लागू कराई जाएगी। संस्थान प्रमुख द्वारा सड़क सुरक्षा क्लब में एक वरिष्ठ अध्यापक एवं व्याख्याता स्तर का यातायात संयोजक नियुक्त किया जाएगा। प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान द्वारा एक विस्तृत ट्रेफिक प्लान तैयार करके बाल वाहिनी के वाहनों द्वारा छात्र छात्राओं को विद्यालय एवं महाविद्यालय द्वारा विद्यालय परिसर में विद्यार्थियों को चढ़ाने उतारने के निर्धारित स्थान पर विद्यालय के बाहर सड़क की ओर देखते हुए सीसीटीवी कैमरा लगाया जाना अनिवार्य होगा।

शैक्षणिक संस्थान द्वारा बाल वाहिनी वाहन चालक को विशेष फोटो युक्त परिचय पत्र सुनहरे पीले रंग के कार्ड पर नीले रंग से लिखा  जाएगा जो वाहन चालक के अनुबंधित बाल वाहिनी वाहन चलाने तक ही वैध होगा। प्रत्येक जिले में बाल वाहिनी योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस कमीशनरेट में उपायुक्त की अध्यक्षता में एक स्थाई संयोजक समिति गठित होगी, जो शैक्षणिक संस्थानों में छात्र छात्राओं को लाने-जाने के लिए बाल वाहिनी योजना के नियमों का सख्ती से पालन करायेगी। बैठक की रिपोर्ट जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित यातायात प्रंबधन समिति के समक्ष नियमित रूप से प्रस्तुत की जायेगी। 

(जयपुर,  4 जुलाई 2017.

 न्यूज अपडेट 2-6-2019.)

सफेद रंग होना भी कानून का उल्लंघन। बालवाहिनी का रंग पीला होना कानूनी अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर संस्था की जिम्मेदारी है। 


खतरनाक




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