सोमवार, 31 अक्तूबर 2016

सूरतगढ़ के अखबार सीमांत रक्षक की फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय क्यों दबी है?


अखबार के मालिक संपादक सत्यपाल मेघवाल ने सीएम पर आरोप लगाया:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ से प्रकाशित होने वाले एकमात्र रंगीन अखबार के मालिक संपादक सत्यपाल मेघवाल ने राजस्थान की मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है कि अखबार की सरकारी विज्ञापन की मंजूरी फाईल उनके कार्यालय में दबाई हुई पड़ी है। सत्यपाल ने अपने अखबार के दीपावली अंक में यह आरोप लगाया है।फाइल सीएम कार्यालय में कैसे पहुंची?
समाचार से इतना तो मालूम पड़ रहा है कि फाइल अखबार के मालिक द्वारा ही भिजवाई हुई है लेकिन सीएम सूरतगढ़ से निकलने वाले अखबार की फाइल क्यों दबाऐगी? कोई शिकायत हुई है या कोई जाँच है?
सीएम वसुंधरा राजे पर यह सीधा आरोप गंभीर प्रकृति का है।
मुख्यमंत्री ने किस कारण से अखबार की फाईल रोक रखी है? इसका निस्तारण जल्दी होना चाहिए।
अगर अखबार के विरूद्ध कोई शिकायत है तो उसकी जाँच जल्दी कर फाईल का निस्तारण किया जाना चाहिए। सत्यपाल ने जिस तरह से आरोप लगाया है उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उनकी फाईल का निपटारा होता हुआ लगा नहीं। अगर लगता कि निपटारा हो जाएगा,तब वे लिखते नहीं और आरोप नहीं लगाते। उनको निपटारे की संभावना लगी नहीं होगी तब सीधा वार किया है।
अखबार की ऐसी क्या शिकायत हो सकती है या अखबार पर ऐसे क्या आरोप हो सकते हैं कि मुख्यमंत्री फाईल को जाँच के लिए मंगवा ले और फिर उस पर निर्णय करने में देरी हो?
मुख्यमंत्री को पत्र तो जनता की ओर से भी लिखे जा सकते हैं कि अखबार की फाईल को क्यों दाब रखा है?


सीमांत रक्षक अखबार के लोकार्पण के वक्त मंच पर विधायक राजेन्द्रसिंह भादू,पूर्व विधायक गंगाजल मील और पूर्व विधायक अशोक नागपाल उपस्थित हैं। ये दिग्गज नेता सीएम को फाइल दाबे जाने का लिखें और शीघ्र निपटारे का लिखें तो संभव है फाईल जल्दी निपट जाए। वर्तमान विधायक राजेन्द्रसिंह भादू अखबार और सत्यपाल के नजदीकी हैं। भादू ही 
सीएम को कहदें तो फाईल का निस्तारण तुरंत हो सकता है। 

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शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016

एक दीवळौ मायड़ भाषा रे नांव रो~



प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषा राजस्थानी में दी जानी चाहिए- डा निमिवाल
सूरतगढ़ 27 अक्टूबर- मायड भाषा प्रेमी रामेश्वर दास स्वामी की अध्यक्षता में मायड़ भाषा राजस्थानी छात्र मोर्चा की एक बैठक का आयोजन किया गया। मायड़ भाषा राजस्थानी छात्र मोर्चा के प्रदेश संयोजक डा. गौरीशंकर निमिवाल ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषा राजस्थानी में दी जानी चाहिए। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 345 का हवाला देते हुए बताया कि राज्य सरकार के पास ये कानूनी अधिकार है कि वह प्रदेश में राजस्थानी भाषा को दूसरी राजभाषा का दरजा देकर प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषा में दिए जाने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
गौरीशंकर निमिवाल ने भाषा आंदोलन के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी। भाषा आंदोलन के नेता बलराम कुक्कडवाल ने कहा कि सगळी भासावानें मान्यता राजस्थानी नै टाळो क्यंू म्हारी जबान पर ताळो क्यंू। उन्होंने कहा कि चमकना है तो सूरज की तरह तपना भी होगा। बैठक में अमित कल्याणा ने कहा कि जिसके कलेजे में भाषा की मान्यता की टीस होगी वह लक्ष्य की प्राप्ति बिना नहीं बुझ सकती। यह बैठक रामेश्वरदास स्वामी की अध्यक्षता में हुई।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दीपावली के दिन वार्ड नं 4 के करणीमाता मंदिर परिसर में एक दिवळो मायड़ भाषा रै नाम का आयोजन किया जाएगा

ज्योति स्वरूप है परमात्मा इसलिए जलाते हैं दीप: बल्ब में ज्योति नहीं होती:


दीपावली ही नहीं बाद में भी दीप जला कर कार्यक्रम कर- करणीदानसिंह राजपूत -
प्राचीन युग में लौट कर यह जानने की कोशिश करें की हम पृथ्वी लोक भारत भूमि के लोग किसी भी पूजा अर्चना पर्व धार्मिक समारोह आदि में दीप प्रज्ज्वलित कर उसकी ज्योति में अनुष्ठान व कार्य करते हैं। दीप जलाने को और उसकी ज्योति रूपी प्रकाश को अहम मान कर धार्मिक रूप प्रदान कर दिया गया है ताकि लोग इसे हर तरह से अपनाए रख सकें। यह सब कार्य पद्धतियां पृथ्वी लोक में है। पाताल लोक  के लिए संभव है नहीं हो। हमारे जो धार्मिक ग्रंथ हैं और उनमें जो कुछ लिखा हुआ है उसकी सरसरी व्याख्या नहीं हो सकती। सूक्ष्म व्याख्या के बाद ही उसके छिपे हुए सार तत्व को समझा जा सकता है।
     दीप जला कर उसकी ज्योति में आखिर करने के पीछे जो सूक्ष्म तत्व है वह समझना चाहिए। मेरा यह मानना है कि परम आत्मा जिसे परम ब्रह्म नामों से पुकारते हैं वे ज्योति स्वरूप हैं उनका कोई अन्य आकार नहीं है। ज्योति एक बिंदु आकार में है। युगों से यही माना जाता है। जब हम कोई भी कार्य करने के लिए दीप जलाते हैं तो असल में उसी ज्योति स्वरूप के सामने ही हम कार्य करते हैं। दीपावली में वैसे अनेक कारण माने जाते हैं लेकिन इस सूक्ष्म तत्व को भी ध्यान में रखना चाहिए कि हमें दीप ही क्यों जलाने चाहिए?
दीप जलाने से उसकी ज्योति को छूती हुई समीर आसपास के वातावरण को आनन्दित और स्वच्छ करती है। लेकिन बल्ब की रोशनी से ज्योति नहीं निकलती प्रकाश तो होता है। वह अन्य प्रकार से भी किया जा सकता है। लेकिन उससे ज्योति नहीं निकलती जिसे छूकर समीर बहे।
स्पष्ट है कि रोशनी तो किसी भी प्रकार से की जा सकती है लेकिन दीप की ज्योति का लाभ उससे नहीं मिलता। दीपावली पर बार बार कहा जाता है कि दीप जरूर जलाएं।
दीपावली ही नहीं बाद में जब भी कोई कार्यक्रम हो उसमें दीप जलाएं।
केवल दीपावली ही नहीं अन्य पर्वाे पर भी घरो में दीप की ज्योति में ही शुभ कार्य करते हैं।

- करणीदानसिंह राजपूत -
- अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार लेखक,
23,करनाणी धर्मशाला,
सूरतगढ़।
94143 81356

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Dated 11-11-2015.
up dated 28-10-2016.

बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

राजशाही सरकार में महाराजा गंगासिंह ने गंगनहर बनाई और प्रजातंत्र की सरकारें उसमें पूरा पानी नहीं चला सकती?


जवाब दो प्रजातंत्र के हुक्मरानों:जल नहीं तो तुम्हारा कल भी नहीं:
- करणीदानसिंह राजपूत -
प्रजातंत्रीय सरकारें राजशाही को सामंतशाही कह कर आलोचना करते नहीं थकते लेकिन कितना आश्चर्य होता है जब प्रजातंत्रीय सरकारों में राजशाही को याद किया जाता है और बीकानेर के महाराजा गंगासिंह को नमन किया जाता है। श्रीगंगानगर की स्थापना पर 26 अक्टूबर को महाराजा गंगासिंह को याद किया गया व उनकी याद में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इसका जो सवाल है उसका उत्तर देना आसान नहीं है।
बीकानेर रियासत के महाराजा गंगासिंह ने अपने किसानों की पीड़ा देखी कि अकाल में उनकी कितनी दुर्दशा हो जाती थी। चाहे मानव हो चाहे पशु हो सभी लाचार हो जाते थे। महाराजा ने दरदर्शी निर्णय लिया और गंगनहर का निर्माण करवाया। इस इलाके को सरसब्ज करने के लिए पंजाब के किसानों सिखों को लाकर बसाया ताकि यहां के किसान भी उनसे नहरी खेती करना सीख सकें। महाराजा ने किसानों के लिए नहर बनाई ओर प्रजातंत्रीय चुनी हुई सरकारें उस नहर में पूरा पानी नहीं चला पा रही है। इस नहर पर केवल राजस्थान का हक बनता है लेकिन पंजाब ने अपने इलाके में सारी नैतिकता  को तोड़ कर  दो नहरें निकाल ली। नहर की संपत्ति खुर्दबुर्द कर दी लेकिन प्रजातंत्रीय राजस्थान की सरकारें व केन्द्र की सरकारें सही निर्णय नहीं कर पाई। यह हाल आजतक कायम है।
बस इतना ही समझ लेन काफी है कि उस महाराजा को इतने सालों बाद राजशाही खत्म हो जाने के बावजूद याद किया जाता है और प्रजातंत्रीय सरकारों को पांच साल के बाद भूल जाते हैं।
गंगनहर में वर्तमान में भी पानी पूरा नहीं चल रहा है। गंगनहर की हालत बहुत खराब हो चुकी है तथा जगह जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। किसान नेता लगातार कई महीनों से पूरे पानी की मांग कर रहे हैं लेकिन प्रजातंत्रीय व्यवस्था की राजस्थान सरकार को सोचने तक की फुर्सत नहीं है।
राजस्थान की सरकार जनता को पीने के पानी के वास्ते सीख देने के लिए एक नारा लगवा रही है जल नहीं तो कल नहीं।
लेकिन यह नारा सिंचाई पानी के लिए सरकार पर भी लागू होता है। सरकार का जीवन भी इसी नारे पर टिका है जल नहीं तो कल नहीं।
करणीदानसिंह राजपूत-
राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क सचिवालय से अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,
सूरतगढ़। राजस्थान।
संपर्क- 94143 81356.

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सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

पूर्व में उगते सूरज का स्वागत करता हुआ पश्चिमी आकाश में छाया चन्द्रमा=



नजारा 17 अक्टूबर के प्रात:काल का: फोटो करणीदानसिंह राजपूत:
सूरतगढ़। प्रकृति का यह नजारा भी अद्भुत था। पूर्व दिशा में जब सूरज उदय हो रहा था तब पश्चिम आकाश में चन्द्रमा भी विराजमान था। दृश्य यो लग रहा था मानो उगते हुए सूरज का चन्द्रमा स्वागत कर हा था।

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

दीप विजुएल सूरतगढ़ की सफलता के 25 वर्ष:


9 अक्टूबर 2016 को 25 साल पूर्ण:अब दीप आई हॉस्पीटल:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़। दीप विजुएल का शुभारंभ भगतसिंह चौक के पास रेलवे रोड पर उपखंड अधिकारी पद पर नियुक्त वासुदेव शर्मा ने किया था। भारत विकास परिषद के जोन अध्यक्ष तक पदों पर पहुंचे राष्ट्रीय विचार धारा के घनश्याम शर्मा इसके संचालक मालिक ने इसे गति दी। श्रीगणेश के समय से ही आधुनिक मशीनों से नेत्र जाँच करने का कार्य लोगों को प्रभावित करने लगा था। उस समय जापान का उपकरण काफी महंगा था मगर इस कस्बे को उसकी सुविधा दी गई।
घनश्याम शर्मा ने अपने कार्यों से लोगों को प्रभावित किया। नेत्रों की दृष्टि वाले चश्मों की जरूरत हर जन को उम्र के हिसाब से पड़ ही जाती है।
समय की आवश्यकता के अनुसार इसका विकास हुआ।
अब ऑप्टम सर्वेश शर्मा यहां अति आधुनिक मशीनों से नेत्र दृष्टि की जाँच करते हैं। इस इलाके का सर्वश्रेष्ठ नेत्र जाँच का केन्द्र बन गया है दीप आई हॉस्पीटल।


मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016

सूरतगढ़ सनसनी: अपके गहनों में कितना सोना कितना तांबा है?


बड़े बैंक के 3 कांट्रेक्ट पारखी सुनार नकली गहने,असली बता कर लोगों के माध्यम से बैंक में जमा करवाते रहे:
सोना जमा करवा कर लाखों रूपए लोन /ऋण उठाया:

कितने ठुकराए नेताओंभ्रष्टाचारियों से रामलीला में संचालकों ने राम की आरती करवाई


देशभर में नवरात्रों पर रामलीलाओं का मंचन हुआ राम के आदर्शों का बखान हुआ और अभिनय हुआ। विजयादशमी पर रावण के पुतले को जलाने पर बुराइयों पर अच्छाइयों की जीत का बखान करते हुए हर वर्ष भाषण दिए जाते हैं। एक तरफ तो हम सभी लोग राम के आदर्शों के अनुरूप संपूर्ण देश को स्थापित करना चाहते हैं लेकिन जब ठुकराए हुए राजनेताओं से भ्रष्ट राजनेताओं और लोगों से वह दुराचारी लोगों से रामलीलाओं में भगवान राम की आरती करवाते हुए नहीं हिचकते तथा ऐसे लंपट बड़े के लाए जाने वाले लोगों से आरती करवाते हैं तो राम के आदर्शों वाला देश कैसे बना पाएंगे अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को तो दंडित किया जाना चाहिए वहीं उनको हम रामलीलाओं के मंच के माध्यम से जनता में सुशोभित करते हैं जब हम ऐसे लोगों को जानते हुए समाज में सम्मान देते हैं या सम्मान दिलाते हैं तो राम के आदर्शों वाला देश स्थापित नहीं किया जा सकता वर्तमान समय में एक तरफ पाकिस्तान को आतंकवादियों को सबक सिखलाने का आह्वान किया जा रहा है अपील की जा रही है तो ऐसे समय में हम देश के भीतर जब ठुकरा नहीं सकते तब सीमाओं पर देश के दुश्मनों से कैसे लड़ सकते हैं और जीत सकते हैं हमें देश के भीतर भी बदलाव करना पड़ेगा । समाज के अंदर दोहरी और दोगली नीति अपनाने से भ्रष्टाचारी और दुराचारी कभी भी खत्म नहीं हो सकेंगे ।चाहे हम कितनी ही रामलीलाओं का मंचन करते रहे।

सोमवार, 10 अक्तूबर 2016

करणी माता देशनोकवाली सूरतगढ़ मंदिर में शारदीय नवरात्रा की नवमी पर हवन:

 
नवरात्रा पर माता की प्रतिमा को विशेष रूप से सजाया गया।
- स्पेशल रिपोर्ट-करणीदानसिंह राजपूत -
 
सूरतगढ़ 10 अक्टूबर 2016.
राजपूत क्षत्रिय संगठन के करणी माता मंदिर में शारदीय नवरात्रा की नवमी पर पर माता के पूजन अर्चन के साथ ही मंदिर प्रांगण में हवन किया गया। पंडित मदन सारस्वत ने पूजन व हवन कराया। राजपूत क्षत्रिय सरदारों ने सपत्नी हवन किया। इस अवसर पर नौ कन्याओं को भोजन करवाया गया। समाज के नर नारियों व बच्चों ने व अन्य समाज के श्रद्धालुओं ने भी मां करणी के दर्शन किए व धोक लगाया। भैरूं का पूजन व दर्शन भी किया गया। सभी ने प्रसाद ग्रहण किया।
यहां मंदिर में मां करणी की देशनोक वाली प्रतिमा की अनुकृति है। यह मंदिर श्रीगंगानगर हनुमानगढ़ की बाईपास सड़क पर बसंत विहार कॉलोनी के  पास में बना हुआ है।
यह प्रतिमा शिला पर है। नवरात्रा पर माता की प्रतिमा को विशेष रूप से सजाया गया। श्रद्धालुओं ने मंदिर में मां के सिंगार की सामग्री भेंट की एवं चुनरियां ओढ़ाई।
इस हवन की चित्र झांकी यहां पर प्रस्तुत है।


शनिवार, 8 अक्तूबर 2016

राजस्थानी भासा री वेब साइटां अर ब्लॉग

 

राजस्थानी भाषा री  वेबसाईटा 

www.aapanorajasthan.org
www.dhartidhoranri.blog.co.in

 www.marwad.org
www.manak.org
  www.rajasthanimanak.com
www.hathai.wordpress.com
www.beawarhistory.com 


राजस्थानी भाषा रा ब्लोग
 



गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

एक देश एक टैक्स ~बजट की पुरानी अवधारणा को भी बदलेगेंः- अर्जुन राम मेघवाल

 
श्रीगंगानगर, 6 अक्टूबर। केन्द्रीय वित्त एवं कॉर्पारेट राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में कई सुधार किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू करना सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि पहली बार कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक राष्ट्र एक कर लागू किया जा रहा है। 

रविवार, 2 अक्तूबर 2016

राजस्थानी रामलीला देखने उमड़े दर्शक- मायड़ भाषा में संवाद सुनकर हुए रोमाचित



 सूरतगढ  2 अक्टूबर -  मायड भाषा राजस्थानी लोककला रंगमच की ओर से वार्ड नं 4 स्थित करणीमाता मंदिर परिसर में खेली जाने वाली देश की पहली राजस्थानी रामलीला को देखने को दर्शक उमडे अपनी मायड़ भाषा में संवाद सुनकर दर्शक रोमाचित हुए। 

सूरतगढ में शहीद गुरूशरण छाबड़ा प्रतिमा स्थल पर 2 अक्टूबर को धरना-नजदीक राजकीय चिकित्सालय:


जस्टिस फोर छाबड़ा संगठन का आयोजन:शहरवासी शामिल:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 2 अक्टूबर 2016.
राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी और सशक्त लोकपाल की मांग को लेकर आमरण अनशन करते जयपुर में शहीद हुए सूरतगढ़ के पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा की प्रतिमा के आगे धरना है जो सुबह 10 बजे से 2
बजे तक चलेगा।
यह आयोजन जस्टिस फोर छाबड़ा संगठन की ओर से है जिसमें यहां के नागरिक व संगठन शामिल हैं। यह सांकेतिक धरना छाबड़ा जी के साथ हुए सरकार के समझौते को लागू कराने की मांग को लेकर है। वर्तमान भाजपा सरकार ने छाबड़ा जी के साथ जो समझौता किया वह लागू नहीं किया। छाबड़ा जी के आमरण अनशन में संसार त्यागने के बाद जयपुर में उनकी पुत्रवधु पूजा छाबड़ा के आमरण अनशन पर भी समझौता हुआ वह भी सरकार ने लागू नहीं किया। सरकार को राजकीय महाविद्यालय का नाम गुरूशरण छाबड़ा के नाम पर करना था,वह भी अभी तक नहीं किया।

आज के सांकेतिक धरने में छाबड़ाजी के पुत्र अंकुर छाबड़ा व उनकी पुत्रवधु पूनम अंकुर छाबड़ा व उनकी टीम के सदस्य शामिल हैं।

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