शुक्रवार, 11 मार्च 2016

पानी सच में नहीं? लाठी गोली सच में है:


- करणीदानसिंह राजपूत -
राजस्थान में पानी मांगने वालों के लिए सच में पानी नहीं है। सरकार की लाठी गोली सच में है। यह सच बार बार प्रमाणों के साथ सामने आता रहा है। यह सच श्रीगंगानगर जिले में पहले रावला घड़साना में कुछ साल पहले आया जिसमें 6 मौतें पुलिस कार्यवाही में हुई। उस समय राजस्थान में भाजपा का राज था और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थी।
सूरतगढ़ तहसील में ऐटा सिंगरासर माइनर के लिए आँदोलन चल रहा है और लोगों को पानी की जगह पुलिस कार्यवाही मिली है। पानी नहीं हे लेकिन पुलिस की लाठी गोली है। यह सच एक बार फिर उजागर हो गया है।
इस मांग को सबसे पहले राजेन्द्र भादू ने सत्ता में आने की तड़प के लिए उठाया था जो अब विधायक बन चुके हैं लेकिन जनता से मीलों दूर चले गए हैं।
राजेन्द्र भादू ने जब यह मुद्दा उठा कर आँदोलन चलाया था तब भाजपा का राज था। सन 2008 में चुनाव में यह मुद्दा गंगाजल मील ने हड़प लिया और तेजी से प्रचार कर अपना मुद्दा बना लिया। मील जीत गए। उन्होंने कागजी कार्यवाही करवाई। जिसमें हेराफेरी रही। पहले पानी मांगा जा रहा था इंदिरागांधी नहर से। वहां से एक बूंद पानी मिलना संभव नहीं था और चल रहे पानी में से कोई भी सरकार एक बूंद पानी निकाल नहीं सकती थी। वह मामला केन्द्र सरकार की स्वीकृति से ही निपट सकता था।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने गोलमाल किया। इसे लघु सिंचाई का रूप देकर अपने स्तर पर ही मंजूर कर लिया। इंदिरागांधी नहर के बजाए पानी घग्घर बाढ़ की झीलों में उपलब्ध दिए जाने का निर्णय हो गया। पांच गांवों के लिए वह योजना बना दी गई जिसका खूब प्रचार किया गया।
उनका राज चला गया। राज भाजपा का आ गया और विधायक राजेन्द्र भादू बन गए। चुनाव से पहले भादू भी बोलते रहे। भादू इस मुद्दे को इन्कार भी नहीं कर सकते क्यों कि यह उनका ही शुरू किया हुआ था।
सवाल अभी भी कायम है कि क्या पानी उपलब्ध है?
मेंने मील के समय एक लेख लिखा था कि बिना दुल्हन के बयाह जैसी यह कार्यवाही है। बयाह हो जाने के बाद दुल्हल की तलाश होगी। लगता है कि बयाह भी अधूरा है और दुल्हन की तलाश भी है। नेता न जाने कब जनता के सामने सच बोलेंगे? 



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