शनिवार, 23 अप्रैल 2011

सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-1

सीबीआई जांच से ही खुलेंगे सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन के सुपर घोटाले-1
छठी इकाई मे महाघोटालों से त्रुटिपूर्ण निर्माण विस्फोट,अनियंत्रित कम्पन,बार बार बंद
फाऊंडेशन स्ट्रक्चर डिजायन बदलाव और निर्माण में घोटोलों के गंभीर आरोप
राजस्थान विद्युत निगम व ठेकेदार कंपनियों के अधिकारियों ठेकेदारों की संपतियों की हो व्यापक जांच
करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़, 23 अप्रेल। सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन की प्रत्येक 250 मैगावाट की 5 इकाईयां सफलता से विद्युत उत्पादन में उपयोगी साबित हो रही है वहीं 250 मैगावाट की छठी इकाई के निर्माण में भारी घोटाले और अनियमितताओं के कारण शुरू से ही विवादों में उलझती रही तथा चलाने के प्रयास ठप होते रहे, विस्फोट, अनियंत्रित कंपन आदि के कारण यह इकाई बंद पड़ी है। आरोप है कि इस इकाई के फाऊंडेशन स्ट्रक्चर में पांच इकाईयों के अनुरूप काम नहीं किया जाकर बदलाव किया गया जिससे ठेकेदार कंपनियों को भारी लाभ मिला। आरोप है कि इसके अन्य निर्माण में भी घोर अनियमितताएं हुई जिसके कारण इस इकाई से व्यावसायिक उत्पादन मिलना तो दूर अभी तो सही रूप में चलाना तक मुश्किल हो रहा है।
    इस इकाई का सही संचालन होता तो श्रीमती सोनिया गांधी को लोकार्पण के लिए आना तय था, लेकिन इन परिस्थितियों में सभी को भय हे कि एक तरफ लोकार्पण हो और उसके बाद यह इकाई बंद हो जाए या फिर लोकार्पण से पहले या उसी दिन ऐन वक्त पर बंद हो जाए तो क्या होगा? छठी इकाई के निर्माण में कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए जो अनियमितिताएं हुई और बदलाव किए गए उनकी जांच निगम के अधिकारी तो क्यों करेंगे? निगम के अधिकारी तो इसी थर्मल में काम कर चुके हैं वे खुद को ही दोषी कैसे बतायेंगे? इस इकाई के महा घोटालों की जांच और निगम तथा ठेकेदार कंपनियों के मालिक अधिकारी आदि की संपतियों की जांच भी सीबीआई से हो तो घोटालों का खुलासा हो सकता है तथा दोषी सामने आ सकते हैं।
    छठी इकाई में करीब 1200 करोड़ रूपए लगने का अनुमान है। इसका शिलान्यास 9 जनवरी 2007 को किया गया था तथा इससे व्यावसायिक उत्पादन 2 अगस्त 2009 में किए जाने की घोषणा थी मगर जब गड़बड़ी हुई तो बाहर से विशेषज्ञ बुलाए गए। बाद में बार बार कंपन से बाधा आती रही। कहने को 31 दिसम्बर 2009 को व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया गया और 4 दिन बाद ही 3 जनवरी 2010 को गंभीर खराबी के कारण 8 महीने के लिए बंद कर दी गई। यह किसी तरह शुरू की गई कि 28 जनवरी 2010 को इसमें भयानक विस्फोट हुआ इसके बाद यह किसी जरह से चलाई गई मगर पुन: बंद हो गई।
    सूरतगढ़ विद्युत उत्पादन मजदूर यूनियन इंटक और भारतीय मजदूर संघ से संबंधित संगठन अनेक बार उच्चाधिकारियों का व राज्य सरकार का ध्यान दिलाते रहे हैं जिनमें गंभीर घोटालों की जांचों की मांगे भी दोहराई जाती रही हैं। लेकिन जांचें नहीं किए जाने का कारण वही रहा है कि अनेक अधिकारी तो इसी थर्मल में पूर्व में काम कर चुके हैं। इस थर्मल में और छठी इकाई में इतने घोटाले हो चुके हैं कि सबकी जांच और सही जांच  से सीबीआई ही घोटालों का खुलासा कर सकती है तथा दोषियों को सामने ला सकती है।
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