* करणीदानसिंह राजपूत *
श्रीगंगानगर, 7 सितंबर 2024.
भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी डॉ. मंजू ने आज शनिवार को जिला कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट श्रीगंगानगर पद का कार्यभार ग्रहण किया।उन्होंने शनिवार को कलक्ट्रेट पहुंचकर पदभार लेने के पश्चात् उपस्थित अधिकारियों से जिले की कानून व्यवस्था व विकास योजनाओं और विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी ली।
जिला कलक्टर डॉ. मंजू ने जिले में चिकित्सा व्यवस्था, शिक्षा, सड़क विकास, पेयजल, कृषि, नगर परिषद, नगर विकास न्यास, पौधारोपण, पंचायती राज विभाग और मनरेगा से संबंधित कार्यां की विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने क्षेत्र में नशे की बढती प्रवृत्ति और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों पर चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से चर्चा की।
इस अवसर पर जिला परिषद के सीईओ श्री मृदुल सिंह, नगर विकास न्यास सचिव श्री कैलाशचंद्र शर्मा, प्रशिक्षु आईएएस श्री रजत यादव, एसडीएम गंगानगर श्रीमती जीतू कुलहरी, एसडीएम पदमपुर श्री संदीप काकड, सीएमएचओ डॉ. अजय सिंघला, पीएमओ डॉ. दीपक मांगा, जल संसाधन विभाग के एसई श्री धीरज चावला, पीएचईडी एसई श्री आशीष गुप्ता, पीडब्ल्यूडी के श्री पदमप्रकाश कोठारी, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सहायक निदेशक श्री अनिल कुमार शाक्य, सहायक जनसम्पर्क अधिकारी श्री रामकुमार राजपुरोहित, लेखाधिकारी श्री गुरदीप चावला, निजी सहायक श्री कृष्ण बलाना सहित अन्य मौजूद रहे।
डा.मंजु की कार्य विशेषता।
श्रीगंगानगर के जिला कलेक्टर पद पर डा.मंजु का पद स्थापन हुआ है जो मूलतः झुंझुनूं जिले की रहने वाली हैं। अलसीसर गांव के पास एक ढाणी में चौधरी परिवार में 10 जुलाई 1986 को जन्मी मंजु ने उदयपुर संभाग के बड़गांव के एसडीएम पद पर रहते आदिवासियों के उत्थान में रूचि लेकर कार्य करने और उनमें फैली शराब की आदत छुड़ाने के अभियान से लोकप्रिय हुई।
* ग्रामीण वातावरण में पली, सरकारी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा करने वाली मंजु दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण आगे बढी।
* दिल्ली के लेडी हॉर्डिंग कॉलेज से एमबीबीएस व गुरु तेग बहादुर मेडिकल कॉलेज से मेडिकल में पीजी किया। स्त्री रोग गायनी विशेषज्ञ के पद पर काम किया।
* भारतीय प्रशासनिक सेवा में पहुंचने की ईच्छा से अध्ययन किया और सन् 2016 में पहले प्रयास में ही 59 वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस बनी।
** आदिवासी महिलाओं के बीच काम करने की रूचि संकल्प के रूप में रही। सरकार ने उदयपुर संभाग के आदिवासी इलाके में बड़गांव में एसडीएम के रूप में नियुक्ति किया। वहां प्रशासनिक दायित्वों के साथ ही आदिवासी महिलाओं के कल्याण के लिए व्यक्तिगत प्रयास किये। आदिवासी इलाके में प्रशासनिक कामकाज के साथ ही महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल भी की, उन्हें पढ़ाया। आदिवासी महिलाएं अपने परिवार का सदस्य मानने लगी। आदिवासियों में ‘अफसर जीजी’ के रूप में ख्याति प्राप्त की।
*पहली बार ड्यूटी पर गई तो आदिवासियों के साथ हर क्षेत्र में दोहरा व्यवहार देखा। राशन डीलर से लेकर बैंक कर्मचारियों तक का व्यवहार आदिवासियों के साथ अच्छा नहीं था। चिकित्सक कई-कई दिन तक अस्पताल में आते ही नहीं थे। एक-एक कर समस्याओं का समाधान करना शुरू किया। जहां जरूरत पड़ी वहां चिकित्सक की भूमिका भी निभाई और स्वास्थ्य कर्मी की भी। महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की जांच, निगरानी और देखभाल का कैलेंडर तैयार किया। आदिवासियों में शराब की लत देखी तो उसे छुड़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया।०0०
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