* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 4 फरवरी 2024.सूरतगढ़ में खातेदारियों के 85 प्रकरण उच्च स्तरीय निरस्तीकरण जांच दायरे में अटक गये हैं। भारी भ्रष्टाचार
से अनियमितता और करोड़ों रूपये इधर उधर हो गये। यह भी राजस्थान का बहुत बड़ा घोटाला है।
73 प्रकरण में खातेदारियां होने के बाद निरस्तीकरण कार्यवाही में जांच में हैं जिनकी सनद मिलना फिलहाल पूरी तरह असंभव लग रहा है। इनमें तीस प्रकरण वे हैं जिनमें मृतकों के नाम खातेदारियां जारी हो गई।
* खातेदारियां अनियमित जारी होने के मामले में तत्कालीन जिला कलेक्टर सौरभ स्वामी, सूरतगढ़ के उपखंड अधिकारी संदीपकुमार काकड़,तहसीलदार रामकुमार जो 31 जुलाई 2023 को सेवानिवृत्त हो गये को चार्ज सीट मिली थी। आर एस आर 16 सीसी का नोटिस मिला था।
* 12 प्रकरण वे हैं जिनमें खातेदारी जारी नहीं हो पाई। कुल 85 प्रकरण हैं।इनकी जांच चल रही है। नये जिला कलेक्टर ने इन जारी खातेदारियों पर कार्यवाही कर दी जिससे ये जांच में अटक गई।
* अभी उपनिवेशन विभाग राजस्थान सरकार जयपुर और जिला कलेक्टर श्रीगंगानगर कार्यालय में जांच दायरे में हैं।
*अब आगे इनका सनद अधिकार मिलना खतरे में है और आज की स्थिति में असंभव है।
* सूरतगढ़ और रंगमहल की रोही और नगरपालिका पेराफेरी इलाके में जारी हुई खातेदारियां जांच में अटकी हैं जिनका मिलना मुश्किल हो गया है।* कुछ लोगों ने खातेदारियां जारी होते ही भावी संकट समझते होशियारी की और तुरंत बेच भी दी।* सरकारी नौकर भूमि अस्थायी भी आवंटन नहीं करा सकता था लेकिन तथ्य छिपा कर आवंटन कराया वे भी खातेदारी हो गयी।स्वयं और सद्भावी काश्तकार की रिपोर्ट भी हो गई।* भारी भ्रष्टाचार में नगरपालिका ईओ ने भी लिख दिया कि खातेदारी दी जाए तो नगरपालिका को एतराज नहीं है।
* कोलोनाईजरों का बड़े लोगों का इकरारनामों पर जमीनें लेने और खातेदारियां करवाने के भ्रष्टाचार के आरोप, खसरों की जमीनें सरका कर सड़कों पर लाई जाने, कालोनियां, घग्गर डिप्रेशन क्षेत्र में काल़ोनियां, खातेदारियां आदि के अनेक आरोप लगते रहे हैं ओर सरकार तक भी पहुंचे। कोलोनाईजरों में नेताओं के परिजनों की साझेदारी मामले भी हैं जो उछलते रहे हैं। ये काल़ोनियां और प्लाट खरीदार भी संकट में फंस गये हैं।इनका क्या होगा?* जहां खेती नहीं हुई वहां पटवारियों ने खेती और कब्जा काश्त दिखादी।अभी भी अचानक खेती और तारबंदी के मामले हो रहे हैं। अचानक प्रगट हुए काश्तकार नंदी शाला भूमि, राजकीय महाविद्यालय के पीछे तक घुसा दिए गए।
* राजस्व तहसीलदार हर्षवर्धन सिंह राठौड़ ने 2007-8 में 317 के करीब अस्थायी भूमि आवंटन निरस्त कर दिये थे कि यहां कृषि नहीं हो रही अन्य काम हो रहे हैं। असल में अनेक लोगों ने अस्थायी काश्त के लिए ली भूमि को बिना किसी अधिकार के गैरकानूनी प्लाट बना बेचना शुरू कर दिया जहां मकान नोहरे बनने लगे थे।जो सूरतगढ़ से चिपती भूमि। अब पटवारियों राजस्व कर्मचारियों ने अचानक खेती भी बतादी।
जहां खेती नहीं हुई वहां पटवारियों ने खेती और कब्जा काश्त दिखादी।अभी भी अचानक खेती और तारबंदी के मामले हो रहे हैं।
** खातेदारियां सनद नहीं मिली तो अवैध खरीद बेचान इकरारनामों आदि का क्या होगा?०0०
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