रविवार, 18 जून 2023

नंदीशाला भूमि:खातेदारी 7 दिन में निरस्त करना असंभव:एक तरीका है.

 

* करणीदानसिंह राजपूत.

नगर पालिका शिव नंदी शाला की जय सुधा भूखंड पर खातेदारी अधिकार का मामला इतना आसान नहीं है कि मील साहब उसे 7 दिन में पुरानी स्थिति में ले आएंगे और खातेदारी रद्द करवा देंगे।

* भाषण देना आश्वासन देना अलग बात है और असलियत में काम होना अलग बात है।  खातेदारी एक आदेश से रद्द नहीं हो सकती। खातेदार को भी सुनना पड़ता है इसलिए मील साहब का 7 दिन का समय और आश्वासन ऐसा है कि उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। जिसने अनेक प्रयास और तरीके अपना कर खातेदारी ली है वह चुपचाप देखता नहीं रहेगा। उसके पास तो पक्का अधिकार है। अगर किसी के पास में पट्टा नहीं है तो वह है नगरपालिका। मालिक होते हुए भी पीड़ित पक्ष है और खुद की ढील से इस हालत में है।

 नंदीशाला के मामले में अध्यक्ष अनिल धानुका सचिव नरेंद्र चाहर सहित पूर्व विधायक गंगाजल मील पूर्व विधायक अशोक नागपाल और शहर के अनेक लोग बैठक में विचार विमर्श करने के बाद तुरंत अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरविंद कुमार जाखड़ से रविवार को ही मिले। उनके सामने समस्या रखी और उन्होंने देखने का आश्वासन दिया।

*कोई भी मामला हो चाहे वह जमीन का हो दोनों पक्षों को सुने बिना उसका निस्तारण नहीं हो सकता और इसीलिए 1 सप्ताह में भूखंड का खातेदारी अधिकार भी खत्म नहीं हो सकता।

 इसमें महीनों लगेंगे। 

👍  प्रशासन चाहे तो एक काम हो सकता है कि इस पर ऐसी रोक लगा दी जाए जिससे खातेदार और अन्य कोई भी उस जमीन में किसी प्रकार का कार्य नहीं कर सकें। ऐसी रोक प्रशासन लगा सकता है। पुलिस भी अपनी रिपोर्ट में झगड़े का अंदेशा बता कर एसडीएम से ऐसी कार्रवाई का निवेदन कर रोक की कार्यवाही करवा सकती है। * उसके बाद में फैसला होने में चाहे दिन या महीने लगे रोक लगाने का काम तुरंत हो सकता है।

* खातेदारी दिए जाने का मामला बड़ा गंभीर मामला है। इसमें फर्जीवाड़ा गड़बड़ी होने की आशंका स्पष्ट नहीं तो कम से कम प्राथमिक रूप से प्रगट हो रही है। 

नगर पालिका,प्रबुद्ध जन नंदीशाला संचालक चाहे तो यह मामला पुलिस को प्रस्तुत कर सकते हैं।

* खातेदारी के दस्तावेज तैयार करना, करवाना, रिपोर्ट तैयार करवाना आदि इस तरीके का खेल है कि पुलिस जांच से ही इसकी असलियत सामने आ सकती है।  फर्जीवाड़े की जांच पुलिस ही कर सकती है। दस्तावेज फर्जी तरीके से तैयार हुए हैं तो उसकी जांच पुलिस प्रभावी ढंग से कर सकती है और अपराध हुआ तो अदालत के समक्ष पेश कर सकती है। प्रशासनिक अधिकारी भी यह जांच तो कर सकते हैं कि फर्जीवाड़ा हुआ है या नहीं हुआ है? जांच की रिपोर्ट के बाद खातेदारी निरस्त हो सकती है।

खातेदारी लिया हुआ व्यक्ति ऊपर से ऊपर तक अपील में जाता रहेगा। फर्जीवाड़े की जांच पुलिस को सौंपने का निर्णय नगर पालिका प्रशासन को करना होगा। 

👍अब यह नगरपालिका अधिशासी अधिकारी पर निर्भर है कि वे पुलिस जांच करवाने के लिए कार्रवाई करेंगे या जिला कलेक्टर तक पहुंचेंगे? अधिकारिक जिम्मेदारी अधिशासी अधिकारी की बनती है।

०0०18 जून 2023.

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