शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

राजपूत चुनाव में टिकट लेना हो तो स्वयं जागें:यह विधि अपनाएं.




* करणीदानसिंह राजपूत *


राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी में टक्कर के बीच चुनाव काल में राजपूत सरदार टिकट लेकर लड़ते हैं जीतते हैं और हारते भी हैं। 

राजस्थान में प्रमुख रूप से इन्हीं दोनों पार्टियों का दबदबा रहता है एक पार्टी हारती है दूसरी जीतती है। ऐसा पिछले कई सालों से चल रहा है। जब भी चुनाव आते हैं तब एक आवाज उठती है कि राजपूतों को भी टिकट मांगने चाहिए चुनाव लड़ना चाहिए। 

*यह आह्वान तो एकदम सही है लेकिन केवल चुनाव के लिए राजपूत जाति का होना ही जरूरी नहीं है इसके अलावा  कार्य भी महत्व रखते हैं जिनके कारण राजनीतिक दल टिकटों का वितरण करते हैं। 

*सबसे पहले जो राजपूत बंधु बहनें चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं राजनीति में रुचि रखते हैं राजनीतिक दल के कार्य करता है या किसी राजनीतिक दल की विचारधारा से प्रभावित है सबसे पहले तो यह सोचना है कि कौन से दल का टिकट मांगा जाए?

*यदि राजनीतिक दल में मेंबर हैं पदाधिकारी हैं तब केवल अपने कार्य बताते हुए टिकट मांगी जा सकती है,मांगनी चाहिए।

* यदि किसी राजनीतिक दल से प्रभावित है और उसके सदस्य नहीं है तो सबसे पहले उस राजनीतिक दल की भाजपा की या कांग्रेस की या किसी अन्य दल की सदस्यता ग्रहण की जानी जरूरी है।  कोई भी राजनीतिक दल एकदम से अचानक सदस्य बनने वाले को न तो पदाधिकारी बनाता है और न टिकट दे पाता है। 

* हां,यदि कोई बहुत प्रभावशाली है और चुनाव में अपना प्रभाव दिखा सकता है तब उसको भी पार्टी टिकट दे सकती है। 

*यदि पार्टी के पास में स्थान विशेष के लिए कोई टिकट मांगने वाला नहीं है तब किसी भी नए प्रवेश करने वाले को भी टिकट दी जा सकती है। ऐसा राजनीतिक दल करते रहे हैं।


** राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की स्थिति में विचारणीय बिंदु यह है कि किसी भी नए प्रवेश वाले को अचानक टिकट मिलना बहुत मुश्किल है। दोनों ही पार्टियां प्रभाव रखती है इनमें प्रमुखता से उन्हीं लोगों को टिकट मिलती है जो पार्टी में कई सालों से काम कर रहे हैं और जनता में लोकप्रिय है। 

**इन राजनीतिक दलों में अचानक प्रवेश को टिकट मिलने का मतलब है कि बहुत ऊंची कोई पहुंच हो प्रदेश राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से तब हो सकता है टिकट मिल जाए लेकिन संबंधित दल की सदस्यता बहुत जरूरी है। 


* जो व्यक्ति अभी चुनाव लड़ने के इच्छुक है उनको सबसे पहले संबंधित राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण करनी चाहिए। वैसे तो टिकट नहीं मिलने पर और टिकट नहीं मांगने पर चुनाव तो लड़ा जा सकता है निर्दलीय रूप से लेकिन उसकी कोई कीमत नहीं होती। 

*बहुत बड़ा प्रभावशाली ही तब निर्दलीय चुनाव जीत सकता है अन्यथा जीत संभव नहीं होती।


** जो राजपूत चुनाव लड़ना चाहते हैं उनके लिए दूसरा कोई भी क्या बोले और क्या लिखे? उनको खुद को पहले अपने मुंह से यह कहना चाहिए कि चुनाव लड़ूंगा और अपने किए हुए कार्यों को लिखित में उल्लेख करें। 

*** जो राजपूत चुनाव लड़ने के ईच्छुक हैं उनको  स्वयं को  अपनी बात अपना विवरण इलाके में चल रहे सोशल मीडिया पर लगाना चाहिए। चुनाव लड़ना चाहता हूं या फलां चुनाव लड़ना चाहता है, कहने लिखने से काम नहीं चलता। 

💐 चुनाव लड़ने के ईच्छुक राजपूत खुद जागें। 


देव उठनी एकादशी. 4 नवंबर 2022.


शुभेच्छु,

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार लेखक।

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356.

( कोई इस बाबत कहना चाहते हैं तो अपनी बात वाट्सअप पर भेजें। चैटिंग फोन कृपया नहीं करें)

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