गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022

पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर पट्टों के मामले में लटक सकती है तलवार

 

लालचंद सांखला


* करणीदानसिंह राजपूत *


लालचंद सांखला सेवानिवृत्ति से पहले आखिरी दिनों में 70 पट्टे अपने अकेले के हस्ताक्षर से ओमप्रकाश कालवा के अध्यक्ष काल में बांट गया और यह करोडों रूपयों का मामला सरकार को बताया नहीं गया। आज अभियान में लोगों के आवेदन पड़े हैं और राज्य सरकार के बार बार आदेश के बावजूद अध्यक्ष जी से  पट्टे नहीं बनाए जा रहे। यह कांग्रेस बोर्ड का चिंतन का विषय होना चाहिए कि अध्यक्ष शहर में यह कमजोरी क्यों दिखा रहा है।  

अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने 2 दिसंबर 2019 को भव्य समारोह में कार्य ग्रहण किया उस समय अधिशासी अधिकारी के पद पर लालचंद सांखला कार्यरत थे जिनकी 31 मार्च 2020 को सेवानिवृत्ति हुई। लालचंद सांखला ने  सरकार की योजना और नगर पालिका एक्ट के विरुद्ध जाकर करीब 70 पट्टे जारी किए जिन पर उनके अकेले के हस्ताक्षर थे।अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा को मालुम पड़ गया। अपने कार्यकाल में हुए इस महान गड़बड़ी का संकेत तक राज्य सरकार को न देकर इस गड़बड़ी को छुपाया। जब जब लोगों ने कहा तब एक वाक्य कहा कि उपखंड अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं लेकिन इस जांच का क्या हुआ यह जनता को आज तक मालूम नहीं। पूर्व चेयरमैन बनवारीलाल मेघवाल ने लिखित में रजिस्टर्ड शिकायतें की। 

सबसे बड़ी बात। अध्यक्ष पर यह बड़ा गंभीर आरोप है कि राज्य सरकार से इतनी बड़ी हेराफेरी को छुपाया गया। अध्यक्ष इसके पूर्ण जिम्मेदार हैं यह पट्टे अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी दोनों के हस्ताक्षर से ही जारी होते हैं और मान्य होते हैं। 


इनको अवैध जारी करने वाला और लाभ उठाने वाला दोनों ही आपराधिक कार्य के जिम्मेदार हैं।  यह प्रकरण अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा द्वारा राज्य सरकार को उसी समय भिजवाना चाहिए था जिसके लिए 2 साल बिता दिए। यह 2 साल अध्यक्ष की जिम्मेदारी और आरोप को अधिक मजबूत बनाते हैं। 

अध्यक्ष ओम प्रकाश कालवा ने यह प्रकरण गंभीर होते हुए भी राज्य सरकार से क्यों छुपाया? इसके लिए भी वे पूर्ण रूप से दोषी है और कार्यवाही भी इनके विरुद्ध हो सकती है।

यदि अध्यक्ष ने कोई कार्यवाही की और राज्य सरकार को सूचना दी तो वह आजतक किसी को मालूम नहीं। यदि सरकार को सूचना दी होती तो अब तक कोई कार्यवाही जरूर होती।

अध्यक्ष की ओर से कोई सूचना सरकार को दी गई थी तो वह आज भी सभी को खासकर बोर्ड को,प्रेस को बताई जा सकती है।

 

आरोप यह है कि लालचंद सांखला ने जो पट्टे जारी किए उनमें दस्तावेज व स्थान आदि की अनेक कमियां होते हुए भी यह सब कुछ मालूम होते हुए भी अध्यक्ष ने आखिर किन कारणों से चुप्पी धारण किए रखी? क्या अध्यक्ष के नजदीकी लोग भी या नेता लाभ लेने वालों में है? आरोप है की जिन स्थानों के पट्टे जारी हुए वे बहुत कीमत रखते हैं। 

इस मामले में अध्यक्ष के विरुद्ध राज्य सरकार को शिकायत होती है तो बहुत कुछ कार्रवाई हो सकती है। अध्यक्षीय पद पर तलवार लटक सकती है और जवाब मांगा जा सकता है और आरोपों में दोषी भी बनाया जा सकता है।


अभी यह मामला दबे और रुका हुआ है। इतने गंभीर मामले पर कार्रवाई नहीं हुई दूसरी और राज्य सरकार के अभियान में निर्देश के बावजूद लोगों की पत्रावलियां नगर पालिका में रुकी पड़ी है। आखिर अध्यक्ष जी लोगों को पट्टे देना क्यों नहीं चाहते?

राज्य सरकार की स्टेट ग्रांट योजना के तहत भी फाईलें पड़ी है। जो परिवार चालीस पचास सालों से एक स्थान पर रह रहे हैं। सभी कागजी कार्यवाही करके फाईलें दी गई। 

आश्चर्य यह है कि नगर पालिका अध्यक्ष ने अभी तक पत्रावलियों की जांच और भूखंडों की माप के लिए कार्रवाई शुरू नहीं करवाई। अध्यक्ष जी फाईलों में आखिर क्या कार्यवाही चाहते हैं जिसका इंतजार कर रहे हैं। यदि फाईलें सभी जांचों में पूर्ण हो चुकी है तो एक दिन भी रोकना अनुचित है। पट्टे जारी करने की मांग भी उठ चुकी है।०0० 

दि 10 फरवरी 2022.

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