दुनिया की सनसनीखेज खबर:ईच्छामृत्यु मशीन 'सार्को 'को मिली मंजूरी, 1 मिनट में बिनादर्द मौत-
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* करणीदानसिंह राजपूत *
इस ईच्छामृत्यु मशीन से बिना किसी दर्द के एक मिनट में मौत हो जाती है।
इच्छामृत्यु और विशेष पस्थितियों में आत्महत्या को लेकर वर्षों से दुनिया के लगभग सभी देशों में बहस छिड़ी है।
इक्का-दुक्का देशों को छोड़कर दुनिया में ईच्छा मृत्यु पूरी तरह प्रतिबंधित हैं लेकिन इसी बीच स्विट्जरलैंड में इच्छामृत्यु के लिए ऐसी मशीन (euthanasia device) को अनुमति दे दी गई है, जिसमें लेटते ही व्यक्ति बटन दबा कर एक मिनट के भीतर मौत को गले लगा सकता है।
स्विट्जरलैंड की इस मशीन को सार्को नाम दिया गया है।ये डिवायस एक ताबूत के आकार की है.।
इस मशीन को लेकर दुनियाभर में बहस भी शुरू हो चुकी है। वैसे स्विट्जरलैंड ऐसा देश भी है, जहां अनुमति के बाद आत्महत्या भी की जा सकती है.
यह मशीन उन लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जो इच्छामृत्यु के तहत मौत को गले लगाना चाहते हैं। इनमें वे लोग भी हो सकते हैं जो ऐसी बिमारियों से सालों से परेशानियां भोग रहे हैं जिनका ईलाज नहीं है। ऐसे लोगों के पास धन नहीं है। अनेक कारण हो सकते हैं।
इस मशीन के जरिए किसी भी व्यक्ति की मौत एक मिनट के अंदर हो जाएगी। मशीन निर्माता कंपनी के मुताबिक़, इसके जरिये मृत्यु दर्दनाक नहीं होगी। समय लगेगा सिर्फ एक मिनट। ये मशीन खास तकनीक से काम करती है। इसी वजह से इसके द्वारा आत्महत्या करने पर दर्द नहीं महसूस होगा। इसमें लेटने के बाद आक्सीजन लेवल इतनी तेजी से कम होगा कि शरीर बेजान हो जाएगा।
इच्छामृत्यु के इच्छुक लोगों के लिए बनाई गई इस मशीन को बनाने का श्रेय डॉक्टर डेथ के नाम से मशहूर डॉक्टर फिलिप नित्स्चके को जाता है। वो एक एनजीओ के डायरेक्टर भी हैं। इस मशीन में अंदर लेटकर व्यक्ति खुद अपनी मौत को प्राप्त करेगा। जब वो पूरी तरह मृत्यु के लिए तैयार हो जाएगा, तब मशीन के अंदर लगे बटन को दबा देगा. इससे मशीन के अंदर ऑक्सीजन लेवल कम हो जाएगा. बेहोश होने के एक मिनट के अंदर ही शख्स की मौत हो जाएगी।
^ एक्जिट इंटरनेशनल के संस्थापक (Founder) डॉ. फिलिप निट्स्के (Dr Philip Nitschke) ने SwissInfo के साथ एक इंटरव्यू में बताया, ताबूत की तरह पॉड को बहुत आरामदायक बनाया गया है। व्यक्ति कैप्सूल के अंदर लेट जाएगा और उससे कुछ प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके बाद उन्हें प्रोसेस के लिए बटन दबाने का वक्त दिया जाएगा। इसे एक बार एक्टीवेट होने के बाद पॉड अपने अंदर नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ा देता है और ऑक्सीजन की मात्रा को तेजी से कम देता है। जिससे व्यक्ति अपनी चेतना खो देता है और अंदर लेटे व्यक्ति को कोई घबराहट या घुटन महसूस नहीं होगी। इस पूरी प्रकिया के दौरान सिर्फ एक मिनट में व्यक्ति की मौत हो जाएगी। डॉ. फिलिप निट्स्के को डॉ. डेथ भी कहा जाता है। ^
इस मशीन को बनाने का आइडिया एक्जिट इंटरनेशनल के निदेशक और 'डॉक्टर डेथ' कहे जाने वाले डॉक्टर फिलीप निटस्चके ने दिया। डॉक्टर डेथ का कहना है कि अगर कोई अप्रत्याशित कठिनाई नहीं हुई तो हम अगले साल तक इस सार्को मशीन को देश में उपलब्ध करा देंगे। यह अभी बेहद महंगा प्रॉजेक्ट है लेकिन हमें भरोसा है कि हम अब इसे सरल बनाने के बेहद करीब हैं।
हालांकि रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि यह मशीन ऐसे मरीजों के लिए मददगार है जो बीमारी के कारण बोल नहीं पाते हैं या हिल नहीं पाते हैं। इस मशीन को उपयोग करने वाले को अपनी पसंद की जगह पर ले जाना होगा। इसके बाद मशीन का नष्ट होने योग्य कैप्सूल अलग हो जाता है ताकि उसे ताबूत की तरह से इस्तेमाल किया जा सके।
स्विट्जरलैंड में सन् 1942 से ही कुछ खास मामलों में अस्स्टिेड सुसाइड यानि मदद के साथ आत्महत्या को वैध माना गया है. वहां आत्महत्या कानूनी रूप से वैध है लेकिन उसके लिए मंजूरी की जरूरत होती है और निगरानी में ही ऐसा किया जा सकता है।
एक तथ्य यह है कि पिछले साल 1300 लोगों ने इस सेवा का इस्तेमाल आत्महत्या करने के लिए किया।
लेकिन इस मशीन पर सवाल खड़े होने भी शुरू हो गए हैं। लोग डॉक्टर डेथ की भी आलोचना भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह एक गैस चेंबर की तरह से है। कुछ अन्य लोगों का यह भी कहना है कि यह मशीन आत्महत्या को बढ़ावा देगी।०0०
करणीदानसिंह राजपूत.
पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)
94143 81356.
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