सूरतगढ कांग्रेस के पास सही ज्ञापन लिखने वाला भी नही:

- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 28 जून 2018.
कांग्रेस पार्टी के टिकटार्थियों पूर्व विधायक गंगाजल मील, पूर्व पंचायत समिति प्रधान परमजीत सिंह रंधावा और अमित कड़वासरा की ओर से हस्ताक्षर किया हुआ एक ज्ञापन आज 28 जून को उपखंड अधिकारी के मार्फत मुख्यमंत्री राजस्थान को भिजवाया गया।
इस ज्ञापन में तारीखें सही नहीं है जिसके कारण पूरा मैटर ही गलत सिद्ध हो रहा है।
ऐसा लगता है कि टिकटार्थी कांग्रेसियों ने हस्ताक्षर तो कर दिए लेकिन उस में लिखे हुए मैटर को पढ़ने की किसी को फुर्सत नहीं थी। मैटर लिखा गया उसको समझने जितना ध्यान तो होना ही चाहिए था।
कांग्रेस जब जब सत्ता से बाहर रही है तब तब नेता संज्ञा सुन्न जैसी हालत में हो जाते हैं। ऐसी मुद्रा जिसमें किसी प्रकार का होश नहीं रह पाता।
गंगाजल मील 2013 में बुरी तरह से हारने और तीसरे क्रम पर पहुंचने के बाद पुनः 2018 में टिकट मांगने वालों की लाइन में है और गांवों में मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि मील के प्रति लोगों की ओर से किसी प्रकार की रूचि ही प्रगट नहीं हो रही।
कांग्रेस के पास अपनी सही विज्ञप्ति ज्ञापन आदि लिखने के लिए भी कोई राजनीतिक बुद्धिमान व्यक्ति नहीं है। आश्चर्य यह है की इस ज्ञापन अनेक कार्यकर्ताओं ने भी हस्ताक्षर किए लेकिन मैटर नहीं पढा। क्योंकि ज्ञापन देने का एक काम पूरा करना था। संख्या बल भी नहीं होने जैसा था।
यह ज्ञापन 28 जून को दिया गया जिसमें लिखा गया कि 11 जून की भाखड़ा ब्यास प्रबंध मंडल की बैठक 15 जून को टाली गई और 15 जून को जो पानी छोड़ा गया वह 18 जून तक खेतों में पहुंच पाएगा इसकी संभावना तक नहीं।
अब समझने वाली बात यह है कि 18 जून के बाद 28 जून तक के समय में कांग्रेस यह नहीं देख पाई कि पानी खेतों में पहुंचा या नहीं पहुंचा?
आश्चर्यजनक यह भी है कि सत्ता से बाहर रहने की कारण आर्थिक हालात भी कमजोर हो जाते हैं और कांग्रेस के पास पार्टी का अपना लेटर पैड भी नहीं। यह ज्ञापन ब्लॉक के अध्यक्ष परसराम भाटिया के लेटर पैड पर दिया गया और इसी के साथ दूसरा ज्ञापन सफेद कागज पर दिया गया।
कांग्रेस के कार्यक्रमों में कार्यकर्ता कम रहने का कारण भी चर्चा में रहता है। चर्चा यह रहती है की मील को ही प्रचारित करने की नीति के तहत अनेक लोगों को बुलाया नहीं जाता व कार्यक्रमों की सूचना तक नहीं दी जाती। भाजपा से सत्ता लेने के लिए तड़प रहे काग्रेसी नेता एक नहीं है। एक दूसरे को देखकर राजी नहीं। दस टिकटार्थी और दस दिशाएं। ऐसी हालत में कैसे जीत पाएगी कांग्रेस?