गुर्जर आरक्षण पर राजस्थान उच्च न्यायालय की रोक: राजनेता देश को बांट रहे हैं
जयपुर 9.11.2017.
गुर्जर सहित पांच जातियों को आरक्षण देने को लेकर पिछले दिनों राजस्थान विधानसभा में पारित विधेयक की क्रियान्विति पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने गुरूवार 9.11.2017. को रोक लगा दी है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि राजनेता देश को बांट रहे हैं। राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस तरह के विधेयक लेकर आते हैं।
एक दशक से भी अधिक समय तक चले गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद वसुंधरा राजे सरकार ने 26 अक्टूबर को ही राज्य विधानसभा मे गुर्जर सहित पांच जातियों को आरक्षण देने को लेकर विधेयक पारित किया था । इसमें ओबीसी आरक्षण का कोटा 21 से बढाकर 26 प्रतिशत किया गया था,इसके बाद राजस्थान में कुल आरक्षण भी अधिकतम सीमा को पार कर 54 प्रतिशत तक पहुंच गया । सरकार की ओर से विधानसभा में पारित इस विधेयक को असैंवधानिक बताते हुए गंगासहाय शर्मा ने उच्च न्यायालय में चुनौति थी ।
याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से यथास्थिति रखने के आदेश के बावजूद आरक्षण विधेयक पारित कराया गया ।इस पर सुनवाई करते हुए गुरूवार को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के.एस. झवेरी और वी.के.व्यास की खंडपीठ ने ओबीसी आरक्षण विधेयक,2017 के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी । न्यायालय को तर्क दिया कि राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण विधेयक,2017 के जरिए गुर्जर,रैबारी,रायका,गाड़िया लुहार आदि जातियों को आरक्षण 5 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कुल आरक्षण का कोटा 35 प्रतिशत किया जाना इंदिरा साहनी और एम.नागराज मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन है ।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सरकार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दे सकती,विधेयक पास कराने से पहले राज्य में आरक्षण की सीमा 49 प्रतिशत थी जो बढ़कर 54 प्रतिशत हो गई । याचिका में कहा गया कि वर्ष 2015 में भी आरक्षण अधिनियम के तहत आरक्षण 50 फीसदी से अधिक दिया गया था,जिसे हाईकोर्ट रद्द कर चुका है । हाईकोर्ट के इस आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौति दी है । सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है । राज्य सरकार ने एसएलपी लंबित रखते हुए नया विधेयक विधानसभा में पारित कराया,ऐसे में इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाए ।
* * उच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण पर रोक लगाने के बाद राज्य के संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार गुर्जर सहित पांच जातियों को आरक्षण देने के लिए कटिबद्घ है । उच्च न्यायालय के फैसले का अध्ययन कर आगे की रणनीति तय की जाएगी,आवश्यकता होने पर आगे अपील की जाएगी ।
** गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के वकील शैलेन्द्र सिंह का कहना है कि सरकार ने गुर्जरों के साथ हमेशा छलावा किया है । सरकार ने जिस तरह का विधेयक पारित कराया था वह असैंवधानिक था,हमने पहले ही कहा था कि यह आरक्षण देने का सही तरीका नहीं है । अब समिति की बैठक में भविष्य की रणनीति तय की जएगी । समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह ने कहा कि गुर्जर समाज अब फिर रेल की पटरी और सड़कों पर बैठेगा । उल्लेखनीय है कि एक दशक से भी चले गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है ।