मंगलवार, 29 सितंबर 2020

साहबजी मास्क लगालो.लोग आने लगे हैं. सेठजी मास्क लगालो* सामयिक लेख- * करणीदानसिंह राजपूत*

 


अब इन तीन शब्दों की ताकत ही कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्ति दिलाएगी।
कार्यालयों में चपरासियों को और व्यवसायिक संस्थानों में नौकरों को ये  शब्द अपनत्व अधिकार से बोलने होंगे। इन शब्दों का चमत्कार भारत में और आगे चल कर भारत से दुनियां में फैलेगा।
सरकारी अर्ध सरकारी कार्यालयों और व्यावसायिक संस्थानों में जहां लोगों का आना जाना अधिक हो रहा है,वहां से कोरोना विषाणु का संक्रमण हो रहा है।
सरकारों के प्रशासनिक कार्यालयों सचिवालय,संभाग जिला और उपखण्ड कार्यालयों, पुलिस, जल, सा.नि.वि,सिंचाई,कृषि बागवानी, चिकित्सा,शिक्षा,स्वशासी संस्थान निगम,जिला परिषद,पंचायत समितियां,नगरपालिकाएं,बैंक,बीमा,
परिवहन,विद्युत,रेलवे आदि जहां लोगों का आवागमन अधिक होता है और रोका नहीं जा सकता। ऐसे अनेक कार्यालय और भी हो सकते हैं जहां आवागमन और संपर्क से कोरोना संक्रमण हो रहा है।
ऐसे कार्यालयों में सबसे अधिक सावधानी की आवश्यकता है। आने वाले किस व्यक्ति से कोरोना आ रहा है? यह केवल देखने से तो मालूम नहीं हो सकता।
यहां आने वाले सभी लोग बड़े साहब से ही मिलते हैं। बस। यहां से सावधानी रखना आवश्यक है। काम के घंटों में व्यस्तता और थकान से अधिकारी का मास्क हट भी जाता है और अधिकारी स्वयं भी हटाता रहता है। हर वक्त मास्क लगाए रखना संभव भी नहीं होता। ऐसे में सबसे नीचे की पोस्ट चपरासी यानि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को महत्वपूर्ण माना है। वह अधिकारी के संपर्क में हर समय अन्य से अधिक रहता है।
वह अधिकारी को कहेगा,' साहबजी मास्क लगालो, लोग आने लगे हैं। मेज पर पड़ा मास्क उठा कर अधिकारी के हाथ में भी पकड़ा देगा। पूरे अपनत्व भाव से वह कहेगा और अधिकारी उसकी बात को टाल नहीं सकेगा। यह बात कार्यालय के अन्य कर्मचारी जिनमें लिपिक वर्ग है,वह भी कह सकता है।
हमें कहना है और कहलाना है। यह बहुत साधारण कार्य लगता है मगर बहुत कीमती यानि अमूल्य कार्य है।
इस पर मनन करें सोचें कि इतने साधारण कार्य से हम कोरोना का संक्रमण अधिक से अधिक रोक पाने में सफल होंगे।
बाहर से आने वाले एक दो के मास्क नहीं हों,हटाए हुए हों या अधिकारी से भेंट करते वक्त हट जाएं तो अधिकारी के तो मास्क लगा होगा। यह बहुत बड़ा बचाव है जिसे अत्यंत साधारण तरीके से किया जा सकता है।
यही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही मिलने वालों को 6-7 फुट दूर भी रखेगा। अधिकारी के कक्ष  में अधिक लोगों को एक साथ प्रवेश से भी रोकेगा।
अधिकारियों को मांग पत्र और ज्ञापन देते समय फोटो खिंचवाने और अखबारों,चैनलों सोशल साईटों पर प्रसारित करने की बीमारी भी प्रचलित है,जिसे सख्ती से रोकना आवश्यक है। सरकारों को यह रोक आदेश से लगानी चाहिए। अधिकारी अपने स्तर पर भी यह लागू कर सकता है। कार्यालय परिसर में फोटोग्राफी पर कोरोना संकट का हवाला देकर सूचना से रोक लगा सकता है।

जनता की पहुंच वाले ऐसे सरकारी और अर्ध सरकारी कार्यालयों में सैनेटराइजेशन की व्यवस्था अभी यदा कदा है जो प्रतिदिन आवश्यक रूप में आदेशित की जानी चाहिए। हर कार्यालय में अपने स्तर पर यह व्यवस्था हो।
सरकार जैसी ही व्यवस्था निजी क्षेत्र में जिसे व्यावसायिक,संस्थागत कहते हैं में भी लागू होनी चाहिए।
यहां भी चपरासी बड़े को संबोधित करते कहेगा। सेठजी मास्क लगालो।

निजी क्षेत्र में भी प्रबंधक आदि होंगे जिनके पास भेंट करने वाले शहर के विभिन्न भागों से और बाहर से आने वाले होते हैं। उन्हें यथा पद नाम से संबोधित करते हुए मास्क लगाने का कहा जा सकता है।
बाजारों में आसपास के दुकानदार एक दूसरे को मास्क लगाए रखने का कह सकते हैं और लापरवाही पर सतर्क भी कर सकते हैं। इसे रोकना टोकना नहीं अपनत्व भाव का आग्रह मानते हुए कहें और अपनत्व मानते हुए ही स्वीकार करें। इससे कोई बुरा नहीं मानेगा और बुरा लगेगा भी नहीं।
यदि संपूर्ण सावधानी रहे तो फिर लोकडाउन की कोई। जरुरत ही नहीं रहेगी। वैसे भी जब तक कोरोना की कोई दवा नहीं आती तब तक बचाव के हर तरीके को सहजता से अपनाने में ही सभी की भलाई है।
सरकारों ने जीवन व्यवस्था के लिए समय समय पर गाईड लाइन ( निर्देश) जारी कर रखे हैं जिनका पालन भी करते चलें। एक बात ध्यान में रखनी है कि हमें कोरोना से बचना है और दूसरे को भी बचाना है।
दि.29 सितंबर 2020.
**
करणीदानससिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार,
राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत.
सूरतगढ़ ( राजस्थान) भारत.
91 9414381356.
*******
( लेखकीय निवेदन*
आप अपने साथियों,परिचितों को। भी भेजें.अखबार भी प्रकाशित करने को आगे बढें।००

यह ब्लॉग खोजें