मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

मंत्री डा. रामप्रताप के राजस्थानी भाषा मान्यता पर दिए बयान की निंदा की गई:



सूरतगढ 19.12.2017.

 राजस्थान सरकार के जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप द्वारा राजस्थानी भाषा को लेकर दिए गए बयान के बाद राजस्थानी भाषा प्रेमियों में आक्रोश फैल गया है। सूरतगढ़ में अखिल भारतीय राजस् थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति की ओर से जल संसाधन मंत्री  के प्रति निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।

 इस मौके पर संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष परसराम भाटिया की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में भाषा प्रेमियों ने जल संसाधन मंत्री के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की और विरोध जताया। 


इन भाषा प्रेमियों नें की निंदा

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अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रदेश मंत्री मनोज कुमार स्वामी ने जल संसाधन मंत्री के बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया और जल संसाधन मंत्री से बयान वापस लेने की मांग की। 

वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक करणीदान सिंह राजपूत ने कहा कि केवल रामप्रताप की ही नहीं राजस्थान सरकार की भी निंदा की जानी चाहिए क्योंकि अकादमी कहां अध्यक्ष मनोनीत नहीं किया जिससे सारे कार्य रुके हुए पड़े हैं। जिला परिषद सदस्य डूंगरराम गेदर ने कहा कि एक तरफ तो सरकार राजस्थानी को बढ़ावा देने की बात कर रही है। दूसरी ओर ऐसे बयान राजस्थानी संस्कृति के लिए अपमान रूप से देखे जाने चाहिए। 

युवा पत्रकार योगेश मेघवाल ने कहा कि राजस्थान के युवाओं की आजीविका से जुड़ा हुआ राजस्थानी भाषा की मान्यता का सवाल जो वर्षो से संघर्ष के मार्ग पर है। ऐसे में डॉक्टर रामप्रताप के गैर जिम्मेदाराना बयान की कड़े शब्दो में युवा निंदा करते है। 

डॉ. गौरीशंकर निमिवाल ने कहा कि 25 अगस्त 2003 को कांग्रेस सरकार ने सर्वसम्मति से 200 विधायकों के हस्ताक्षर युक्त संकल्प प्रस्ताप को केन्द्र सरकार को भिजवाया था। उस वक्त डाॅ. रामप्रताप प्रतिपक्ष के नेता थे और उनके भी हस्ताक्षर थे। 

महावीर भोजक ने कहा कि जब डाॅ. रामप्रताप सूरतगढ़ आएंगे हम उन्हें काले झण्डे दिखाएगे। 

व्योवृद्व भाषा प्रेमी दिलात्मप्रकाश जैन ने कहा कि ऐसे बयान से डॉ. रामप्रताप के सार्वजनिक स्थानों पर पुतले लटकाकर विरोध किया जाना चाहिए।

 निंदा प्रस्ताव बैठक में अध्यक्षीय उद्बोधन में परसराम भाटिया ने कहा कि भाजपा सरकार ने 2013 के चुनाव में अपने घोषणापत्र में राजस्थानी भाषा की मान्यता व संवर्धन की बात की थी लेकिन उसी राजस्थान सरकार के मंत्री का ऐसा बयान बौखलाहट भरा है।

 पवन सोनी नें कहा कि ऐसे बयान का खामियाजा भाजपा को आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा। 

इस निंदा प्रस्ताव बैठक में अवस्थ्य कुमार, पीताम्बरदत शर्मा, शिव सेना के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र कांडा आदि बड़ी संख्या में भाषा प्रेमी शामिल हुए। गौरतलब है कि पीलीबंगा तहसील के बहलोल नगर में आयोजित जनसुनवाई में राजस्थानी भाषा प्रेमियों के शिष्टमंडल से वार्ता के दौरान सिंचाई मंत्री ने राजस्थानी भाषा को लेकर गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की थी। जिसके बाद से प्रदेश भर के राजस्थानी भाषा प्रेमियों में आक्रोश है।

भाषा के प्रति ये दिया था बयान

डाॅ. रामप्रताप ने कहा कि राजस्थान में अलग अलग तरीके से बोली जाती है राजस्थानी। आप किस राजस्थानी भाषा की मान्यता की बात कर रहे हो। राजस्थानी भाषा मान्यता का सवाल ही नहीं है। मै इस मुददे पर कोई बात नहीं करना चाहता।

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