गुरुवार, 30 नवंबर 2017

भारतीय रेलवे में आज भी अंग्रेज दिमाग प्रशासन-रेलों को बंद करना तानाशाही

रेलों को तानाशाही तरीके से बंद करने की घोषणाओं के बाद यह प्रश्र पैदा हुआ है?

ऐसा लगता है कि ये आदेश भारतीय रेल विभाग की ओर से जारी नहीं हुए बल्कि अंग्रेजी शासन के रेल विभाग ने भारतीयों के लिए जारी किए हैं।


करणीदानसिंह राजपूत


श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय से 1 दिसंबर 2017 से 13 फरवरी 2018 तक कुछ दूरस्त रेलगाड़ियों को कोहरे काम हवाला देते हुए रोक  दिया गया है। 

3 दिसंबर 2011 को मैंने एक सामयिक लेख लिखा था। उस  हालत में मामूली सा बदलाव नहीं हो पाया। इलाके के जनप्रतिनिधि केवल सीएम पीएम की आरती करने के अलावा कुछ करते नजर नहीं आते।

पूर्व में लिखे विचार प्रस्तुत हैं।


राजस्थान जिले श्रीगंगानगर से हरिद्वार और इंटरसिटी और दिल्ली आवागमन की आभा तूफान रेलों को धुंध के कारण बंद करने का रेलवे विभाग का आदेश इस वर्ष भी जारी हो गया है जिसका विरोध हो रहा है। जनता के विरोध को रेल विभाग हर साल अनसुना करता है, इसलिए इस बार भी वहीं करेगा। रेलों को तानाशाही तरीके से बंद करने की घोषणाओं के बाद यह प्रश्र पैदा हुआ है, कि रेलें जनता की सुख सुविधा से यात्रा करने के लिए है या जनता रेल विभाग की सुख सुविधा के लिए है? यह प्रश्र मैं जनता के बीच में तथा राजनैतिक व सामाजिक संगठनों के बीच में इसलिए रख रहा हूं कि आजतक इस मूल महत्वपूर्ण प्रश्र पर मंथन नहीं हुआ और ऐसा सोचते हुए कोई कार्यवाही नहीं हुई। हर साल रेल विभाग बिना किसी से विचार विमर्श किए तानाशाही तरीके से आदेश जारी कर देता है। ये आदेश रेल विभाग के चंद अधिकारियों कील सोच पर आधारित होते हैं।

ऐसा लगता है कि ये आदेश भारतीय रेल विभाग की ओर से जारी नहीं हुए बल्कि अंग्रेजी शासन के रेल विभाग ने भारतीयों के लिए जारी किए हैं। इन आदेशों से रेलें बंद कर दिए जाने के बाद आम जनता किन साधनों से यात्रा करेगी और वह कितनी महंगी होगी? यह सोचना इन अग्रेजों  के लिए जरूरी नहीं है। हमारे प्रशासनिक अधिकारियों की सोच आज भी नहीं बदली। वे लोकतांत्रिक भारत के होते हुए नहीं सोचते। इन अधिकारियों की सोच बदलने की कार्यवाही हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि भी नहीं करते। जन प्रतिनिधियों की राय लेना तक रेल अधिकारी उचित नहीं मानते। इसलिए रेलवे के अधिकारियों को उस स्तर तक मजबूर किया जाना चाहिए कि वे जब भी कभी रेलों के बारे में निर्णय करें तो उससे पहले जन प्रतिनिधियों व उस इलाके की जनता और संगठनों से राय जरूर करे।

रेल विभाग के एक तरफा आदेश निरस्त होने चाहिए और इन रेलों का संचालन पूर्व की भांति शुरू होना चाहिए।

करणीदानसिंह राजपूत

राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,

मोबा. 94143 81356

दिनांक- 3 दिसम्बर 2011.

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