रविवार, 6 नवंबर 2016

राजस्थान में भी छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है- ध्यान रखने योग्य बातें-

- करणीदानसिंह राजपूत -
छठ पूजा का पर्व राजस्थान में भी धूमधाम से मनाया जाता है जहां पर पूर्वांचल के लोग बसे हुए हैं। वे लोग छठ पूजा करते हैं और राजस्थान के स्थानीय निवासी उनका भरपूर सहयोग करते हैं तथा इस धार्मिक आयोजन में शामिल भी होते हैं। छठ पूजा का पर्व सूरतगढ़ क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है। इसका कारण यह है कि सूरतगढ़ इलाके में भारत भर के लोग बसे हुए हैं। सूरतगढ़ क्षेत्र को मिनी भारत भी कहां जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। छठ पूजा का पर्व 4 नवंबर को शुरू हुआ है और यह 4 दिन चलेगा। इस धार्मिक आयोजन में भाग लेने वाले और व्रत करने वालों के लिए कुछ खास ध्यान में रखने योग्य नियम हैं जिनका पालन किया जाए तो छठ पूजा का लाभ अत्यधिक मिल सकता है,क्योंकि यह आयोजन धार्मिक है इसलिए इसमें पूजा-पाठ और  व्रत का मनाने का तरीका महत्वपूर्ण है। इस धार्मिक त्यौंहार में किन-किन बातों का ध्यान रखा जाए जरा इन पर गौर करें।
 ये नियम यहां दिए जा रहे हैंं।
इस साल 2016 में चार दिनों तक चलने वाली छठ पूजा 4 नवंबर से शुरू हो गई है। बिहार में छठ पर्व को  हिंदू धर्म में मान्यता है कि छठ देवी सूर्यदेव की बहन हैं इसलिए इस पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव को खुश किया जाता है। 
महापर्व के दौरान हिंदू धर्मावलंबी भगवान भास्कर (सूर्य देव) को जल अर्पित कर आराधना करते हैं। ऋग्वैदिक काल से सूर्योपासना होती आ रही है।
छठ पर्व या छठ कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ का व्रत करते समय व्रतियों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
छठ पूजा के दौरान इन नियमों ध्यान में रखना चाहिए।
– रसोई स्थान में प्याज और लहसुन बिल्कुल नहीं रखना चाहिए।

– व्रत रखने वाली महिलाओं को बिस्तर नहीं सोना चाहिए। व्रती महिला को जमीन पर सोना चाहिए

– छठ व्रतियों को पूजा में शराब या सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिए।

– पूजा का सामान इधर-उधर नहीं रखना चाहिए। किसी का पैर पूजा के सामान पर नहीं लगना चाहिए।

– व्रत के दौरान घर में मांसाहारी खाना बिल्कुल भी नहीं रखना चाहिए।

– व्रत में साधारण नमक का सेवन नहीं किया जाए।सिर्फ सेंचार दिनों तक चलने वाली छठ पूजा 4 नवंबर से शुरू हो गई है। बिहार में छठ पर्व को विशेष महत्व दिया जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि छठ देवी सूर्यदेव की बहन हैं इसलिए इस पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव को खुश किया जाता है। छठ महापर्व के दौरान हिंदू धर्मावलंबी भगवान भास्कर (सूर्य देव) को जल अर्पित कर आराधना करते हैं। ऋग्वैदिक काल से सूर्योपासना होती आ रही है। छठ पर्व या छठ कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ का व्रत करते समय व्रतियों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
छठ पूजा के दौरान इन बातों को रखें खास ख्याल
– किचन में प्याज और लहसुन बिल्कुल नहीं रखना चाहिए।

– व्रत रखने वाली महिलाओं को बेड पर नहीं सोना चाहिए। व्रती महिला को जमीन पर सोना चाहिए

– छठ व्रतियों पूजा में शराब या सिगरेट का सेवन नहीं करना चाहिए।

– पूजा का सामान इधर-उधर नहीं रखना चाहिए। जिससे की किसी का पैर पूजा के सामान पर नहीं लगना चाहिए।

– व्रत के दौरान घर में मांसाहारी खाना बिल्कुल भी नहीं रखना चाहिए।

– व्रत में साधारण नमक का सेवन कतई न करें। आप  सेंधा नमक खाना चाहिए।
सूर्यदेव की आराधना के लिए इन मंत्रों का जाप करें

नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्।

दिवीकरं रविं भानुं मार्तण्ड भास्करं भगम्।।

इन्दं विष्णु हरिं हंसमर्क लोकगुरूं विभुम्।


त्रिनेत्रं र्त्यक्षरं र्त्यडंग त्रिमूर्ति त्रिगति शुभम्।।
हिन्दू धर्म के पंच देवों में से एक सूर्य देव की पूजा से ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन पूजा करने से व्यक्ति में आस्था और विश्वास पैदा होता है। सूर्य की पूजा मनुष्य को निडर और बलवान बनाती है। इससे अंहकार, क्रोध, लोभ, इच्छा, कपट और बुरे विचारों का नाश होता है। मानव परोपकारी स्वभाव का बनता है तथा आचरण कोमल और पवित्र होता है।धा नमक खा सकते हैं।
सूर्यदेव की आराधना के लिए इन मंत्रों का जाप करें

नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्।

दिवीकरं रविं भानुं मार्तण्ड भास्करं भगम्।।

इन्दं विष्णु हरिं हंसमर्क लोकगुरूं विभुम्।

त्रिनेत्रं र्त्यक्षरं र्त्यडंग त्रिमूर्ति त्रिगति शुभम्।।
हिन्दू धर्म के पंच देवों में से एक सूर्य देव की पूजा से ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन पूजा करने से व्यक्ति में आस्था और विश्वास पैदा होता है। सूर्य की पूजा मनुष्य को निडर और बलवान बनाती है। इससे अंहकार, क्रोध, लोभ, इच्छा, कपट और बुरे विचारों का नाश होता है। मानव परोपकारी स्वभाव का बनता है तथा आचरण कोमल और पवित्र होता है।

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