गुरुवार, 14 जुलाई 2016

बलात्कार में आरोपित से सरकारी स्कूलों में बच्चे बच्चियों को बैग बंटवाए: तिरंगा फहरवाया:


सूरतगढ़:
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस समारोह में एक सरकारी स्कूल में बलात्कार के मुकद्दमें में आरोपित से राष्ट्रीय ध्यज तिरंगा फहरवाया गया व बच्चों को मिठाई तथा पुरस्कार बंटवाए गए। यह समाचार  पत्रिका में उक्त स्कूल की खबर में छपा। आरोपित व्यक्ति का नाम एवं एक पार्षद का नाम जिन्होंने संयुक्त रूप से तिरंगा फहराया। स्कूल प्रधान व स्टाफ ने ऐसे व्यक्ति को तिरंगा फहराने के लिए क्यों आमंत्रित किया?
अब 4 जुलाई को बलात्कार के मुकद्दमें में आरोपित व्यक्ति के सानिध्य में पांच सरकारी स्कूल के बच्चे बच्चियों को स्कूली बैग व कॉपियां बंटवाई गई। उस व्यक्ति के नाम सहित यह समाचार 5 व 6 जुलाई के अखबारों में छपा।



संस्था जिसने बैग कॉपियां बंटवाई ने अपनी खबर जारी करते हुए लिखा कि जरूरतमंद छात्र छात्राओं को स्कूली बैग व कॉपियां बांटी गई।
हिन्दुस्तान में ऐसा गरीब व जरूरतमंद कोई भी परिवार नहीं होगा जो बलात्कार के मुकद्दमें में आरोपित व्यक्ति से अपने बच्चों को बैग कॉपियां दिलवाने को मान जाए।
बहुचर्चित बलात्कार कांड के मुकद्दमें में आरोपित व्यक्ति नगरपालिका में करोड़ों रूपए के घोटालों के कई मामलों में भी फंसा हुआ है। एसीबी में मुकद्दमें हैं तथा प्रशासनिक जाँचों में भी घोटाले साबित हुए हैं।
संस्थाएं अपने मामूली खर्च को बचाने के लिए गणतंत्र दिवस पर इस प्रकार के आरोपित व्यक्ति से तिरंगा फहरवाने में और बच्चे बच्चियों को पुरस्कार दिलवाने में ग्लानि का अनुभव नहीं करती। बच्चों को शिक्षा देने वालों को तिरंगे की गरिमा का ध्यान क्यों नहीं रहा? गणतंत्र दिवस समारोह में स्कूल का पूरा स्टाफ मौजूद रहा। बच्चों को मिठाई बंटवाने के लिए किसी को भी आमंत्रित कर लिया जाए?
स्कूली बच्चों को चाहे किसी भी संस्था की ओर से बैग व कॉपियां बंटवाई जाए लेकिन कोई कार्यक्रम किसी अपराध से जुड़े व्यक्ति के सानिध्य में हो जाए तो संस्था प्रधान जाँच के दायरे में तो आ ही जाता है। संस्था प्रधान व स्टाफ को यह तो मालूम कर ही लेना चाहिए कि समाजसेवा करने वाली संस्था चाहे कितनी भी बड़ी व प्रसिद्ध हो लेकिन उसके साथ आने वाले का करेक्टर क्या है?
समाजसेवी संस्थाएं स्कूलों बैग कॉपियां,ड्रेस आदि व चिकित्सालयों में रोगियों को फल आदि बांटते रहते हैं लेकिन अच्छा कार्य भी तब बुरा हो जाता है जब कोई अपराध में आरोपित व्यक्ति सेवा के नाम पर जुड़ जाए या जोड़ लिया जाए।
काफी समय से हम यह कहते रहे हैं कि सामाजिक संस्थाएं आदि अपने मंचों पर व अन्य कार्यक्रमों में अपराधियों खासकर बलात्कार जैसे घृणित अपराध में आरोपित व्यक्तियों को सम्मानित करने का,अतिथि व अध्यक्ष बनाने का कार्य न करें,लेकिन संस्थाएं इसे धारण नहीं कर रही हैं,रोक नहीं रही है। संस्थाएं तो इसका समाचार व फोटो छपवाने में आगे रहती है। ऐसी घटनाओं पर आक्रोश और दुख होता है। निर्भया कांड के लिए हम मोमबत्तियां जलाएं दुख प्रगट करें और अपने आसपास के प्रकरणों को भूल जाएं।जब इस तरह की घटनाएं रोकी न जाए व रूक न पाएं तब इसके लिए कोई कानून नियम  सरकारी स्तर पर बनाये जाने के लिए कदम उठाना गलत नहीं होगा।
अब ऐसी कार्यवाही को रोका कैसे जाए?
इसके लिए तो जांच व कोई नियम बनाए जाएं ताकि ऐसी गलती या अपराध न हो पाए।
बलात्कार व दुराचार के आरोपों में फंसा व्यक्ति भविष्य में किसी स्कूल व चिकित्सालय आदि में न घुस पाए,इसके लिए कोई नियम तो बनाए ही जाने चाहिए।
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