गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

नए साल पर नेताजी की बधाई:कविता


नेताजी की नए साल की बधाई आई है
अब क्या लेना चाहते हैं नेताजी
अभी भी कुछ बचा रह गया हैï
सारा तो ले लिया बीते सालों में।
नेताजी बड़े पक्के पारखी हैं
अब किसी खास पर नजर है
तो जरूर कोई चीज बची है
जो उनकी नजर में चढ़ी है।
मोहल्ले में इंटरलोकिंग बनाई
तब अपना हाल पूछ रहे थे
अपनी झोंपड़ी और खुला चौगान
घूम घूम कर देख रहे थे।
साल का पहला दिन आया
नेताजी ने कोठी पर बुलवाया
अरे,तूं और तेरी घरवाली
कितनी जमीन दाबी सरकारी।
ना जी ना दाबी नहीं माई बाप
इसका पट्टा बना है पक्का
बीस साल से निवास है।
मुझे कानून सिखलाता है
फर्जी कागजातों से बनाये
पट्टे का रौब दिखाता है
बोल जेसीबी कब भिजवाऊं?
माई बाप ऐसा क्यों करते हो
हम तो तुम्हारे रहम पर हैं
खुद खाली कर देंगे जब कहें
आप कोठी बनाएं 

मैं कहीं झोंपड़ी बना लूंगा
/ मन ही मन/
जहां आपकी नजरें नहीं पड़ें।
 

- करणीदानसिंह राजपूत -
स्वतंत्र पत्रकार,
विजयश्री करणी भवन,
सूर्योदयनगरी,
सूरतगढ़।
94143 81356
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