गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

सरदार पटेल लौह पुरूष थे और अब मोम के पुतले - करणीदानसिंह राजपूत-





सरदार पटेल लौह पुरूष थे और अब मोम के पुतले जिनमें प्राण नहीं। देश की स्वतंत्रता के इतने वर्ष बाद राष्ट्रवादी देश भक्त कहलाने वाले नाम के देश भक्त और राष्ट्रवादी रह गए हैं,उनमें एक भी नेता लौह पुरूष जैसा चरित्र नहीं बना पाया। देश की एकता अखंडता के लिए रियासतों के एकीकरण के लिए सरदार पटेल कठोर थे जिसके कारण देश का यह स्वरूप बन पाया। बड़ी बड़ी रियासतों के राजाओं को चेतावनी देना बड़ा कठिन कार्य ही था। लेकिन सरदार पटेल ने वह चुनौति पूर्ण कार्य किया और सफल भी हुए।

लेकिन आज के देश भक्त राष्ट्रवादी कहलाने वाले नेताओं व राजनैतिक दलों में यह चरित्र और आत्मबल देखने को ही नहीं मिलता। आज के नेताओं में सत्ता लोलुप, परिवार लोलुप,धन लोलुप और चारीत्रिक पतन को लिए हुए हैं। बड़े नेताओं को तो सत्ता लोलुप हैं मगर छोटे से छोटे नेता और कार्यकर्ता स्वार्थी हो गए हैं। एक एक पैसे के लिए ईमान बेचने में क्षण भर की देरी नहीं करते। चोरों लुटेरों धोखेबाजों ठगों और नारी से दुराचार करने वालों से मित्रता साझेदारी कर लेते हैं। कोई शर्म नहीं।

सामाजिक संगठन और समाजसेवी संस्थाएं ऐसे लोलुप लोगों को बड़ा मानते हुए मंचों पर आसीन करते हैं और उनके हाथें से सम्मान प्रदान करवाते हैं। गुणी ज्ञानी प्रतिभाशाली विद्यार्थी को दुराचारी के हाथों से दिलवाया गया प्रशस्ति पत्र उस विद्यार्थी को जीवन देगा या जहर देगा? लेकिन संस्थाएं अपने स्वार्थ के लिए इतने घिनौने कार्य करने में संकोच नहीं करती।

इतना बड़ा देश जिसमें कितने कस्बे कितने ग्राम कितने शहर हैं?

कम से कम हर ग्राम हर कस्बे और हर शहर में एक एक तो लौह पुरूष जैसा व्यक्ति तो हो,चाहे पुरूष हो चाहे नारी।

सरदार पटेल की जयंती पर आज 31 अक्टूबर 2013 पर उनको नमन।

- करणीदानसिंह राजपूत

राजस्थान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार,

सूरतगढ़. राजस्थान

94143 81356

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रविवार, 13 अक्तूबर 2013

दशहरा उत्सव सूरतगढ़ 2013:विशेष रिपोर्ट करणीदानसिंह राजपूत


रावण कुंभकरण मेघनाथ के पुतले पटाखों के धमाकों से धू धू हो गए
नगरपालिका के आयोजन में उमड़ी भीड़:





आशाराम डूडी

सूरतगढ़, 13 अक्टूबर। राष्ट्रीय उत्थान रामलीला क्लब के रामलीला कलाकारों की आरती के साथ आतिशबाजी संग मनाए गए दशहरा उत्सव में अच्छी खासी भीड़ नर नारी बच्चे और बच्चियां रंग बिरंगे परिधानों में शोभायमान हो रहे थे। चुनाव आचार संहिता के कारण जन प्रतिनिधि उपस्थित नहीं थे,लेकिन अतिरिक्त जिला कलक्टर आशाराम डूडी ने अपने उदबोधन में राम का जयकारा लगवा कर आनन्दित किया।
रावण के एक छोटे पुतले को पहले राम ने अग्रि दी। इसके बाद हुई आतिशबाजी। कुछ पलों के लिए लोग आकाश की ओर ही खो गए।
इसके बाद प्रवीण डी जैन की ओर से घोषणा हुई कि दशहरे पर्व में रावण पुतले को जलाना माना जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत।
बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए पुतलों को जलाने के लिए अधिकारी वर्ग को आमंत्रित किया गया।
अधिकारियों अतिरिक्त जिला कलक्टर आशाराम डूडी,राजस्व तहसीलदार राकेश न्यौल,उप अधीक्षक पुलिस मदनसिंह बुडानिया,थानाधिकारी रणबीर सांई,पालिका के अधिशाषी अधिकारी सुरेन्द्र यादव व सहायक अभियंता कर्मचंद अरोड़ा व रामलीला कलाकारों ने इन पुतलों को जलाया।

प्रवीण डी जैन

पहले मेघनाथ को अग्रि दी गई। मेघनाथ का पुतला जला। उसके बाद कुंभकरण के पुतले को अग्रि दी गई। वह भी जल उठा। अंत में रावण के पुतले को अग्रि दी गई। सभी पुतले धू धू हो गए।

पुरानी परंपरा के अनुसार लोग रावण की अस्थियां लेने को दुघर्टना की परवाह किए बिना बांस खपचियां आदि ले ले कर भागे। ये अस्थियां लोग अपने घरों की सुरक्षा के लिए रखते हैं। मान्यता है कि इससे चोरी नहीं होती।

इस पर्व के कुछ फोटो यहां दिए जा रहे हैं।


शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

नारियल में प्रगट हुए गणेश


खबर- करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ़, 12 अक्टूबर 2013. नारियल में श्री गणेश के प्रगट होने की घटना कौतुहल बन गई है। श्रद्धालु दर्शन को पहुंचने लगे हैं व मिष्ठान आदि का भोग लगा रहे हैं।

धर्मकर्म में विश्वास रखने वाले पवन मिश्रा ने पूजा के लिए नारियल की जटाएं हटाई तो उसमें स्वेत रूप में श्री गणेश नजर आए। पवन मिश्रा इस अलौकिक से दृश्य को निहारते रहे। कुछ ही क्षणों में यह घटना लोगों में पहुंच गई तथा लोग वहां पहुंचने लगे।

नारियल में प्रगट गणेश में सिर पर मुकुट है। दो आँखें,बड़े बड़े हाथी कान,सूंड और दंत साफ दिखाई पड़ रहे हैं।

    सूरतगढ़ में छवि सिनेमा के सामने सोनी मार्केट है जिसमें पवन मिश्रा का आवास है। वहीं नया शोपिंग कॉम्पलेक्स बन रहा है जिसमें यह गणेश नारियल रखा हुआ है।



शनिवार, 5 अक्तूबर 2013

विधायक गंगाजल मील जी के खाते में और जोड़ो शिला पूजन के वोट


गंगाजल मील

 बलराम वर्मा



टिप्पणी- करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ़। विधायक गंगाजल मील के राज में खूब पत्थर लगाए गए और चुनाव आचार संहिता के लगने के चक्कर में आधे अधूरे निर्माणों पर भी पत्थर लगवा कर नाम दे दिया। शिला पूजन का। पहले पत्थर लगाए जाते थे कार्य शुरू किए जाते समय शिलान्यास के और उसके बाद लगाए जाते थे निर्माण पूरा होने पर उदघाटन के या लोकार्पण के। लेकिन चुनाव आचार संहिता के चक्कर में जब और कोई नाम नहीं सूझा तो पत्थर लगाने की भूख ने नया नाम दिया जो शिला पूजन के नाम से बोला गया लिखा गया। कितनी ही आलोचना करें। मील साहेब की सलाहकार परिषद के रत्नों में अक्ल तो है जो यह नाम सुझाया गया।

पत्थरों से वोटों की गिनती का आंकलन करें तो इन शिला पूजन के पत्थरों के वोट भी मील साहेब के खाते में जोड़ दें। हो सकता है कि पाठकों को यह पढ़ते हुए हँसी आए लेकिन एक एक करके भी कई बार काम बन जाता है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सी.पी.जोशी भाजपा प्रत्याशी से केवल 1 वोट से हार गए थे।

मील साहेब को टिकट मिल जाए तो पत्थरों के वोटों से शिला पूजन से इतनी घोषणा दावा तो किया ही जा सकता है कि मील साहेब की जमानत जब्त नहीं कराई जा सकती।

वैसे तो बलराम वर्मा ओबीसी के नाम पर टिकट का प्रबल दावेदार है और जयपुर दिल्ली के चक्कर मील साहेब से ज्यादा लगा चुका है। बलराम का बल पिछली बार तो काम नहीं कर पाया था,लेकिन इस बार कहते हैं कि बलराम वर्मा ने अपना वजन किया है जो पिछली बार से ज्यादा हुआ है। बलराम वर्मा का खुद का भी दावा है कि उनका वजन इस बार अधिक है।

चलते चलते एक बात लिख दी जाए कि जनता में स्वयं को वरिष्ठ साबित करने के लिए बलराम वर्मा अपने बाल सफेद रखने लगे हैं और गंगाजल मील अपने को जवान साबित करने के लिए बाल काले करने लगे हैं। देखते हैं कि पहले तो पार्टी के दंगल में कौन किसको चित्त करता है?

वैसे मील साहेब को खिलाडिय़ों से थोड़ी शिक्षा ले लेनी चाहिए थी। खिलाड़ी अपने चरम उत्कर्ष काल में मतलब शिखर काल में सन्यास ले लेता है ताकि बाद में हार होने का कोई खतरा ही नहीं रहे। लेकिन होनी को कोई टाल नहीं सकता। वे पहले दावा करते थे कि उनकी टिकट घर चल कर आएगी। फिर दावा किया कि आज वे खुद की ही नहीं तीन चार टिकटें दिलवाने की ताकत रखते हैं। अब वे इतनी ताकत के साथ टिकट लेने की लाइन में लगे हैं और उस लाइन में लगने से पहले आवेदन करना पड़ता है सो वह आवेदन भी किया है। घर आती टिकट में इतनी फाचरें और यह बलराम की एक और फाचर। लेकिन इतना तो मान कर चलना चाहिए कि बल्ले की फाचर वाचर से मील साहेब का कुछ भी बिगडऩे वाला नहीं है। इतने पत्थरों से और शिला पूजन से बढ़ी ताकत से टिकट तो मिल ही जानी चाहिए।


गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

सूरतगढ़ में करोड़ों के भूमि घोटालों में राजनेता


विशेष खबर- सबसे पहले- करणीदानसिंह राजपूत

चारे घोटाले से कई गुणा बड़ा है सूरतगढ़ का भूमि घोटाला

राजस्थान उच्च न्यायालय ने तहसीलदार राकेश न्यौल के स्थानान्तरण आदेश पर रोक लगाई

सूरतगढ़, 3 अक्टूबर। सूरतगढ़ तहसील के भूमि घोटालों में राजनेताओं की ईच्छानुसार करोड़ों की जमीन का गैर कानूनी रूप से पुख्ता आवंटन की कार्यवाही के लिए रिपोर्ट नहीं करने वाले राजस्व तहसीलदार राकेश न्यौल को यहां से एपीओ कर दिया गया था,लेकिन राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर ने राज्य सरकार के उस आदेश पर स्टे कर दिया है।

उच्च न्यायालय में वकील रामावतार चौधरी ने रिट लगाई जिसमें अखबारों को पेश किया जिनमें यह समाचार प्रकाशित हुआ था। यह रिट आज ही लगाई गई थी।

इस स्टे की सूचना यहां मिली तब राकेश न्यौल ने दफ्तर में सूचना देदी लेकिन खबर है कि स्थानान्तरित होकर आए हुए तहसीलदार ने चार्ज रिज्यूम कर लिया। कानून विदों का मानना है कि इसमें राज्य सरकार का आदेश ही रोक दिया गया है।

    बिहार का चारा घोटाला देश का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है,लेकिन सूरतगढ़ में कई घोटाले हैं तथा हरेक घोटाला बिहार के घोटाले से बड़ा है। सूरतगढ़ शहर और शहरी सीमा में भूमि की कीमतें बढऩे से राजनेताओं व बड़े लोगों ने विशाल कॉलोनियों के निमार्ण के लिए जमीनें हड़पनी शुरू की है। जमीन का एक एक घोटाला सौ सौ दो दो सौ करोड़ का है।

राजनेताओं को जमीनें दिलवाने में पटवारी किशोरसिंह का खास नाम है और यह पटवारी बेताज बादशाह कहलाता है।
इस पटवारी को यहां से पहले हटा दिया गया था,लेकिन यह अपनी बनाई संपत्ति के लिए यहां वापस आना चाहता था। राजनेताओं से संपर्क कर उनको जमीनें उपलब्ध कराने में किसी भी स्तर तक रिस्क उठाने में माहिर माने जाने वाले इस पटवारी को यहां बदली करवा कर लाया गया और सूरतगढ़ हल्का दिया गया,लेकिन पटवारी का इस बार का दांव चक्र में उलझ गया। पटवारी की संपति बेशुमार बताई जाती है।
असल में चुनाव से पहले जमीनें हड़पी जाने की ताबड़तोड़ जल्दबाजी में यह मामला पकड़ में आया।
नाव के बाद अगर
चु सीबीआई जांच करवाई गई तो कितने ही राजनेताओं का हाल लालू यादव से बदतर होगा।

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करोड़ों की जमीनों में गिरता राजनीतिज्ञों का ईमान

नेताओं की जमीनों का फर्जीवाड़ा नहीं किया तो तहसीदार को बदल दिया

जमीनें पीछे थी मगर उनको राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर लग आए
मुख्यमंत्री का कार्यालय भी दागी हुआ

खास रपट- करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ़ के शहरी क्षेत्र में और पास की जमीनों के रेट करोड़ों रूपए होने के कारण अस्थाई कास्त वाली जमीनों को गरीबों से जैसे तैसे हथिया कर उनका पुख्ता आवंटन कराने में नेताओं का ईमान गिरता जा रहा है। पुख्ता आवंटन के लिए कब्जा कास्त की रिपोर्ट  तहसीलदार देता है तब संभागीय कमिश्रर  पुख्ता आवंटन करता है। नेता खासकर कांग्रेसी सत्ताधारी और उनके साथ रहने वाले चाटुकार भाजपाई पिछले सालों से जमीनों की हेराफेरी में लगे हुए हैं। जमीनों को खरीदने के बाद उच्च मार्ग पर लाने का फर्जीवाड़ा चलता है।
विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने ही वाली है इसलिए सत्ताधारी नेता जल्दी से जल्दी जमीनों का पुख्ता आवंटन कराने को लालायित हो रहे हैं तथा राजस्व कर्मचारियों व अधिकारियों से झूठी रिपार्टें चाहते हैं। अधिकारियों को झूठी रिपोर्ट देने से बाकी का जीवन कोर्ट कचहरी व जेल में दिखाई देता है। सूरतगढ़ के राजस्व व अन्य अधिकारी झूठी रिपोर्ट से बचना चाहते हैं।
ऐसे ही एक मामले में राजस्व तहसीलदार राकेश न्यौल ने झूठी रिपोर्ट देने से इन्कार का दिया तो नेताजी ने मुख्यमंत्री कार्यालय से उनका स्थानान्तरण करवा दिया। तहसीलदार को आए हुए केवल 2 माह ही हुए थे।

मामला है राष्ट्रीय उच्च मार्ग के पास की मोहनी देवी की जमीन का। भरतजी को  इस जमीन में लगाव हुआ और यह जमीन पीछे से खिसका कर उच्च मार्ग पर ला दी गई। पहले किसी प्रयाग वाल्मिकि की जमीन सडक़ के पास थी उसे पीछे कर दिया गया। पटवारी ने गोल मोल रिपोर्ट दी कि आसपास के लोगों से पूछने पर मालूम हुआ कि मोहनीदेवी कब्जा कास्त है। इस रिपोर्ट को राजस्व तहसील से जिला कलक्टर के पास भिजवा दिया गया। कलक्टर कार्यालय से फाइल वापस आ गई। स्पष्ट लिखा जाए कि विक्रमी संवत 2042 से अब तक कब्जा कास्त है। अब यह रिपोर्ट दी जाए तो साफ साफ जेल दीखती है। पुराने रिकार्ड की ना जाने कितनी नकलें ली जा चुकी है,उसमें झूठी रिपोर्ट को जगह जगह इन्द्राज कैसे किया जाए?
राजस्व तहसीलदार पर दबाव बनाया जाता है। लेकिन तहसीलदार कह देता है कि सीधे तो रिपोर्ट नहीं करता। गिरदावर से पहले करवा दी जाए। गिरदावर हाल ही में पदोन्नत हुआ। वह कहता है कि मुझे क्यों मरवा रहे हो? मैं यह नहीं करता।
राजस्व तहसीलदार दबाव बनाया जाता है। विधायक जी के भ्राता तहसीलदार के पास में पहुंचते हैं। तहसीलदार को जिला कलक्टर कार्यालय में पहुंच कर मुख्यमंत्री की ऑन लाइन बैठक में भाग लेना होता है। आदर सत्कार कर तहसीलदार निकल जाता है।
तहसीलदार को नेता ही लाए थे और वह काम नहीं करे। मुख्यमंत्री के कार्यालय में ना जाने क्या क्या कहा जाता है और वहां से निर्देश कि अपीओ कर दिया जाए।
तहसीलदार के स्थानान्तरण की खबर से हलचल शुरू होती है और शनिवार को ही काफी लोग तहसील में पहुंच जाते हैं। तहसीलदार जी के मुंह से सच्च फूट कर बाहर निकलने लगता है। वहां पर खड़े कई लोग पुष्टि करते हैं। तहसीलदार को फोन पर कहा जाता है कि भरत जी आए थे और आपने उनका आदर सत्कार नहीं किया। तहसीलदार कहते हैं कि भरत जी आए ही नहीं। विधायक जी के दो भाई आए थे और उनका पूरा आदर सत्कार किया गया था।
बस आदर सत्कार वह बाकी रहा कि जमीनों के पुख्ता करने के लिए फर्जी रिपोर्ट नहीं की गई। यह एक जमीन नहीं। कितनी और जमीनें हैं। शहर में सन सिटी के पीछे उच्च मार्ग के पास में जहां पर सात पत्रकारों को भी प्लाट दिए जा चुके हैं। अभी उसका पुख्ता आवंटन नहीं हुआ है। इसके
अलावा घग्घर डिपे्रशन की जमीनें जिन पर कुछ नेताओं की नजरें हैं लेकिन उन पर रिपोर्ट हो नहीं सकती। राज बदलना निश्चित है और उसके बाद में ना जाने कितने प्रकरण खुलेंगे और फर्जीवाड़े में कौन कौन घेरे में आऐंगे।

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