* करणीदानसिंह राजपूत *
जनता के बीच खड़ा दिखाई दे वही होता है असली सिंघम! फिल्म और असलियत में बहुत अंतर होता है। फिल्मी सिंघम से कितना बदलाव हुआ?
* जनता से अलग क्यों दिखना चाहते हैं अधिकारी?
** अधिकारी कार्यालयों और पुलिस थानों का निरीक्षण करते हैं तब वहां चुपचाप जाते हैं। लोगों को पूर्व सूचना हो तो लोग भेंट करें और वहां की जानकारी भी दें,अपनी पीड़ा बताएं। पुलिस केवल सीएलजी के सदस्यों को बुला कर भेंट कराती है। सीएलजी सदस्य असलियत नहीं बताते। मीडिया के भी उन लोगों को बुलाते हैं जो बताया वह प्रसारित कर दे। प्रश्न नहीं करे। उनमें केवल वे होते हैं जो रोजाना थाने जाते हैं। हां में हां कहने वाले। अधिकारी जनता से मिलना ही नहीं चाहते।
सिंघम मतलब जिससे अपराधी कांपे और अपराध का खात्मा हो।
श्रीगंगानगर में अपराधियों की गैंग द्वारा करोड़ों रूपये मांगना, धमकी को पावर देने डर पैदा करने के लिए गोलीबारी करना। अब कौन मालुम करेगा कि कितना रूपया दिया जा चुका है? जीवन को बचाने के लिए डरते हुए धनी देंगे तो बताएंगे नहीं।
श्री गंगानगर जिला नशे कारोबारियों के लिए बहुत बड़ा और कमाई का सेंटर बन चुका है। कोचिंग वाले विद्यार्थी फंस रहे हैं। सूरतगढ़ अनूपगढ़ रावला घड़साना श्रीकरणपुर आदि तो नशे के फैलाव में समाचारों में रहते हैं। पुलिस के होते हुए कैसे बढ रहा है नशे का कारोबार और कैसे बढ रहे हैं नशेड़ी? पुलिस की नजर से ही अपराधी घबराते हैं। भय खत्म हो जाता है या अपराधियों से घालमेल हो जाता है तब नशे का कारोबार,चोरियां, वाहन मोटर साइकिल चोरियां,पर्ची सट्टा,क्रिकेट बुकी आदि बढ जाते हैं।
* अभी तक किसी एसपी ने थानाधिकारी को पुलिस सर्कल आफिसर को बढते अपराधों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया। अपराध रूकते हैं या नहीं?यह देखना है। अभी तक अपराध बढ़ते क्यों चले गए?
सिंघम ही आते हैं लेकिन गंगानगर का दाना पानी सब बदल देता है।०0०
20 जुलाई 2025.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार ( राजस्थान सरकार से अधि स्वीकृत लाईफटाईम)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356.
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