शनिवार, 15 मार्च 2025

सूरतगढ़ में हो रही मौतें: क्या गंदी आबोहवा की बीमारियां मार रही है?

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ में पचास से अधिक आयु के स्त्री पुरुषों का अचानक से बीमार होना, एक दो दिन में ही बीमारी का पूरा पता लगने से पहले ही ईलाज के दौरान मर जाने के पीछे का कारण क्या गंदी आबोहवा है जो पूरे शहर के लिए खतरा बन रही है। 

* शहर में होने वाली मौतों के बाद शोक बैठकों में परिजन पुत्र पति आदि यह कहते हैं कि अच्छे भले थे न जाने अचानक क्या हुआ खांसी जुकाम छाती में दर्द,हाथपांव दर्द से टूटने का बताया, शरीर कमजोर होने लगा,ईलाज से कोई लाभ नहीं मिला,बड़े शहरों बीकानेर गंगानगर भागे मगर बचाए नहीं पाए। बीमारी का पता नहीं चल पाया। यह हालात साधारण से लग रहे हैं कि इतने ही सांस लिखे थे,कहकर भगवान पर विधि का लेखा कहकर टाल देते हैं। लेकिन मन में एक कसक रहती है कि आखिर हुआ क्या रोग था जो डाक्टरों की पकड़ में नहीं आया?जो हो रहा है उसे वृद्धावस्था जनित कमजोरियां रोग कहकर नहीं छोड़ा जा सकता। वायरल मौसमी बुखार खांसी जुकाम आदि जो 10-15 दिन में खत्म हो जाते थे लेकिन अब खांसी जुकाम आदि महीने डेढ महीने तक ठीक नहीं हो रहे। ऐसी स्थिति में इस गंभीरता पर ध्यान दिया जाना बहुत ही जरुरी है कि क्या अचानक बीमारी और यों मौतें होने के पीछे गंदगी कारण है जो शहर का वातावरण दूषित कर रही है। महीनों सालों तक नालियां साफ नहीं हों तब वहां हवा खराब होना, रोगाणु पैदा होना। रोगाणुओं का घरों व कार्यस्थलों में पहुंचना मानव शरीर में किसी भी माध्यम सांस भोजन या बदन पर काटने से रोग का होना। 








* शहर का कोई भी इलाका साफ सुथरा नहीं है। महीनों सालों से सफाई नहीं हो तो यह भी बड़ा प्रश्न है कि वहां के ड्युटी सफाई कर्मचारी कहां रहते हैं? उनके जमादार और निरीक्षक इस पर एक्शन के लिए लिखित रिपोर्ट क्यों नहीं करते? नगरपालिका प्रशासन अधिशासी अधिकारी एवं प्रशासक जो अब उपखंड अधिकारी हैं शहर का निरीक्षण कब करेंगे और आबोहवा से हो रही बीमारियों और मौतों की गंभीरता को समझेंगे।

* शहर में हो रही मौतों को साधारण मान कर नहीं छोड़ा जा सकता और न नगरपालिका प्रशासन की ड्युटी मान कर छोड़ा जा सकता। 

* यह असाधारण स्थिति है जिसके लिए आइएमए ( मेडिकल एसोसिएशन आफ इंडिया) को अलग अलग टीमें बना कर एक साथ ही शहर की आबोहवा का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार कर जिला कलेक्टर को सौंपनी चाहिए। रिपोर्ट में गंदगी जहां हो उसका और गंदगी से फैलने वाली बीमारियों का उल्लेख हो। सफाई व्यवस्था का भी उल्लेख हो कि कैसे सुधार हो सकता है? आईएमए चाहे तो सुविधा के लिए अपनी टीमों में शहर के सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं को भी शामिल करले। सामाजिक संगठन अपनी अलग से टीमें बना कर निरीक्षण करें और वह रिपोर्ट जिला कलेक्टर को दें। शहर में 300 से अधिक एडवोकेट्स हैं। न्यायिक बार संघ और राजस्व बार संघ हैं जो अपनी टीमें बनाकर शहर को देखकर रिपोर्ट तैयार कर जिला कलेक्टर को सौंप सकते हैं।


* राजनीतिक पार्टियों को भी अपनी ड्युटी समझ कर शहर का निरीक्षण करना और रिपोर्ट जिला कलेक्टर को देनी चाहिए। वर्तमान विधायक पूर्व विधायकों,पूर्व नगरपालिका अध्यक्षों और पूर्व पार्षदों को भी ईमानदारी से शहर का निरीक्षण कर रिपोर्ट जिला कलेक्टर को भेजनी चाहिए। जनहित को देखते समझते हुए यह कार्य तुरंत शुरू कर एक सप्ताह तक रिपोर्ट जिला कलेक्टर तक पहुंचा दी जाए तो एक अच्छा परिणाम सामने आ सकता है।

* दस साल तक के बच्चों की बीमारियों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि उनकी बीमारियां जल्दी दूर क्यों नहीं हो रही।०0०

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15 मार्च 2025.

* करणीदानसिंह राजपूत

पत्रकार, (राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356.


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