सोमवार, 17 दिसंबर 2018

1984 सिख दंगों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा:


 *कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर को भी उम्रकैद की सजा*


*सिख विरोधी दंगों में पूरे 34 साल के बाद आया बड़ा फैसला*

*कांग्रेस नेता सज्जन कुमार 

निचली अदालत से बरी हुए, अब मिली उम्रकैद की सजा*

*3 राज्यों में सरकार बनाने के दिन ही कांग्रेस के लिए बुरी खबर*


नई दिल्ली 17-12-2018.


दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी पाया है। दंगा भड़काने और साजिश रचने के आरोपी सज्जन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सज्जन को 31 दिसंबर 2018 को सरेंडर करना है। उन्हें शहर न छोड़ने का निर्देश दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस पार्टी तीन राज्यों में सरकार बनाने जा रही है। ऐसे में उसे सियासी हमले भी झेलने पड़ सकते हैं। 


दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला पढ़ते हुए कहा, '1947 की गर्मियों में बंटवारे के वक्त कई लोगों की हत्या की गई थी। 37 साल बाद दिल्ली में ऐसी ही घटना घटी। आरोपी राजनीतिक संरक्षण का फायदा उठाकर सुनवाई से बच निकले।' जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने यह फैसला सुनाया। सज्जन कुमार के अलावा कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर को भी उम्रकैद की सजा हुई है। वहीं, किशन खोखर और पूर्व विधायक महेंदर यादव को 10 साल जेल की सजा हुई है। 

पूरे 34 साल के बाद कोर्ट ने सज्जन कुमार को सजा हुई है, जबकि इससे पहले उन्हें बरी कर दिया गया था। दरअसल, सीबीआई ने 1 नवंबर, 1984 को दिल्ली कैंट के राज नगर इलाके में पांच सिखों की हत्या के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किए जाने के निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा था कि स्टेट मशीनरी क्या कर रही थी? घटना दिल्ली कैंटोनमेंट के ठीक सामने हुई थी। 


अकाली दल ने कहा, फांसी हो 


शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए धन्यवाद दिया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हमारी लड़ाई जारी रहेगी जबतक कि सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को मौत की सजा नहीं मिल जाती। उन्होंने गांधी परिवार को भी कोर्ट में खींचने और जेल पहुंचाने की बात कही। गौरतलब है कि मई 2013 में सीबीआई और पीड़ित परिवार के लोगों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 


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