- करणीदान सिंह राजपूत -
भ्रष्टाचार घोटालों और काला बाजार से संपूर्ण देश दुखी है,परेशान है ।
सब जगह से सब तरह से आवाज उठ रही है कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराया जाए।
देश की आजादी का क्या लाभ हुआ ? हालात सब के सामने हैं।
हम साल भर देशभक्तों के बलिदानों की गाथा गाते हैं। उनकी याद में प्रतिमाओं के आगे या भवनों में समारोह मनाते हैं। राष्ट्रीय पर्व मनाते हैं। उन पर विचार प्रकट करते हैं कि देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो तो संपूर्ण देश का कायाकल्प हो जाए। दिन रात दूसरों को उपदेश देते हैं लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है। राष्ट्रीय दिवसों के कार्यक्रमों में शहीदों के कार्यक्रमों में सामाजिक कार्यक्रमों में मंचों पर घोटालेबाजों को भ्रष्टाचारियों को बैठाने में हमें मामूली शर्म महसूस नहीं होती है।
हम कितने ही परिश्रम करके आयोजन को सफल बनाने के लिए जनता से सहयोग की अपील करते हैं। जनता को आमंत्रित करते हैं। जनता भौचंकी रह जाती है कि जिन लोगों के विरुद्ध आवाज उठाते रहे हैं वे भ्रष्ट लोग घोटालेबाज लोग त़ मंच पर आसीन हैं। वे घोटालेबाज जनता को अच्छी बनने का उपदेश भी देते हैं। ऐसे में बाहर से आमंत्रित हुए को तो मालूम नहीं होता है कि उसके बराबर में बैठा व्यक्ति किस आचरण का है और जनता में उसकी क्या छवि है? अधिकतर राजनीति लोग जो किन्हीं पदों पर होते हैं उनको मंचों पर बैठा दिया जाता है।वे किन्हीं तिकड़मों से जीत कर पद हासिल कर लेते हैं मगर आयोजकों से तो कुछ छिपा नहीं होता। वे जानते हुए भी ऐसा करते हैं।
ऐसे में जब हम लोग ही घोटालेबाजों को इज्जत देते हैं तब वे सम्मानित हो जाते हैं। उनका स्थान तो जेलों में होना चाहिए लेकिन वे मंचों पर आसीन होते हैं।
ऐसा तो नहीं है कि हम आयोजन करें और हमें मालूम भी न हो एक प्रकार से हम जीती मक्खी को निगलते हैं। ऐसे में जनता ही विचार करेगी वह ऐसे आयोजनों को माने या न माने और इनमें शामिल होने में परहेज करे।
जनता जब नहीं पहुंचेगी या आयोजकों से सवाल जवाब करेगी तो निश्चित रुप से आने वाले समय में घोटालेबाजों का स्थान मंच पर नहीं होगा।
हम एक तरफ तो कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करना चाहते हैं घोटालेबाजों से मुक्त करना चाहते हैं। लेकिन एक प्रधानमंत्री कैसे अपनी योजना को कार्य रूप में परिणित कर सकेगा जब हम या अन्य लोग अच्छे कार्यक्रमों में अच्छे समारोहों में पूजनीय लोगों के याद कार्यक्रमों में घोटालेबाजों को मंचों पर बिठाएंगे? विचार करें कि क्या भ्रष्टाचारियों का स्थान समारोहों के मंचों पर होना चाहिए या जेल में होना चाहिए?