मंगलवार, 24 जनवरी 2017

गांधी द्वारा महिलाओं के साथ किये गए सेक्स प्रयोग घृणास्पद और निंदनीय : अमिताभ ठाकुर

श्री एम के गाँधी की महानता पर कोई टिप्पणी किये बगैर मैं उनके 

 

महिलाओं के साथ किये गए सेक्स प्रयोगों को पूर्णतया गलत समझता हूँ और उन्हें घृणास्पद और निंदनीय मानता हूँ. किसी भी व्यक्ति को अपने महत्ता और ताकत का उस प्रकार बेजा प्रयोग नहीं करना चाहिए जैसा श्री गाँधी ने ब्रह्मचर्य प्रयोग की जांच के नाम पर अन्य महिलाओं के साथ नग्न या अन्यथा साथ सो कर किया था.



अमिताभ ठाकुर


Amitabh Thakur : गाँधी और उनके सेक्स-प्रयोग... महात्मा गाँधी के सेक्स प्रयोगों की कड़ी आलोचना करने पर कई प्रकार की टिप्पणियाँ मिलीं. कई लोगों ने मेरी बातों से सहमति जताई, कईओं ने मेरी तीखी निंदा की और कईओं ने भूली बात बिसारिये आगे की सुधि ले का मत व्यक्त किया. गाँधी काफी पहले इस संसार से जा चुके हैं फिर भी मैं यह प्रकरण निम्न कारणों से उठा रहा हूँ-
1. वे एक और उदाहरण हैं कि भारत में भगवान कैसे बनाए जाते हैं
2. हम भारत के लोग अपने महान लोगों के प्रति अत्यंत संवेदनशील होते हैं और यह सोचते हैं कि वे सुपरमैन हैं जबकि वास्तविकता यही है कि वे भी हमारी तरह मनुष्य होते हैं और हमें इस बात को समझना चाहिए
3.जो कुछ भी गाँधी ने किया वह उनकी अपनी इच्छा थी पर जितनी भी ऐतिहासिक तथ्यों का मैंने अध्ययन किया है उसके अनुसार उनके साथ शयन करने वाली महिलाओं की वास्तविक स्वतंत्र राय कभी नहीं ली गयी थी, जो निश्चित रूप से गलत है
4. प्रथमद्रष्टया और स्वाभाविक रूप से यही दिखता है कि जो कुछ उन्होंने आम जन के सामने किया वह अत्यंत निषिद्ध प्रकृति का था क्योंकि यदि हर व्यक्ति प्रयोग के नाम पर दूसरी महिलाओं के साथ सार्वजनिक रूप से सोने की मांग करने लगेगा तो समाज की संरचना वहीँ समाप्त हो जाएगी
5. गाँधी ऐसा मात्र अपने मजबूत सामाजिक और राजनैतिक रसूख के कारण कर पाए
6. प्रश्न यह नहीं है कि वे वास्तव में ब्रह्मचारी थे अथवा नहीं, लेकिन भारी संख्या में अन्य विवाहित/अविवाहित महिलाओं के साथ इस प्रकार नंगे अथवा अन्यथा सोना किसी भी सामाजिक व्यवस्था में स्वीकार्य नहीं होगा और गाँधी ऐसा इसीलिए कर सके क्योंकि उनका कद बहुत बड़ा था जिसका उन्होंने इस कार्य के लिए स्पष्टतया दुरुपयोग किया
7. वे राष्ट्रपिता कहे जाते हैं जो बहुत सम्मानित उपाधि है पर मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसे व्यक्ति को अपना राष्ट्रपिता मानने से इनकार करता हूँ जो विवाह-बंधन से बाहर इस प्रकार खुले रूप से गैर-औरतों के साथ शयन करते हों
8. उनके आश्रम में ये सभी नियम मात्र उनके लिए लागू होते थे, अन्य लोगों को इस प्रकार दूसरी महिलाओं के साथ सोने की छूट नहीं थी बल्कि उन्हें उलटे ब्रह्मचर्य और अलग-अलग सोने के आदेश थे सो उनके दोहरे व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है
मेरा यह प्रस्तुत करने के दो मुख्य उद्देश्य हैं-
1. गाँधी के जीवन के इस हिस्से को सामने रखना
2. यह कहने का प्रयास करना कि हम अपने नेतृत्वकर्ताओं को भगवन बनाने की प्रवृत्ति छोड़ें और उनके बारे में गुण-दोष के आधार पर बहस करने और उनकी कमियों को भी स्वीकार करने का दृष्टिकोण विकसित करें
मेरे द्वारा प्रस्तुत ये तथ्य ऐतिहासिक तथ्य हैं जो गंभीर शोध के बाद प्रस्तुत किये गए और अनेकानेक लोगों द्वारा स्वीकार किये गए. मैं ये तथ्य रखते हुए इनके सम्बन्ध में किसी भी चर्चा-परिचर्चा के लिए तैयार हूँ और कोई भी गाली-गलौज, मान-अपमान सहर्ष स्वीकार करूँगा
28~8~2014.
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भड़ास मिडिया से साभार

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