रविवार, 19 अक्तूबर 2014

सत्तरवें वर्ष में प्रवेश एवं ईश्वर का आशीर्वाद लेखन व पत्रकारिता: - करणीदानसिंह राजपूत:


सम्मानीय पाठकों,
ईश्वरीय आशीर्वाद से सीमान्त क्षेत्र  के बहुत छोटे से कस्बे अनूपगढ़ में 19 अक्टूबर 1945 को मेरा जन्म हुआ और करीब 20 वर्ष की आयु में लेखन व पत्रकारिता की शुरूआत हुई। सीमान्त क्षेत्र की प्राथमिकता के साथ राजस्थान व अनेक विषयों में देश विदेश के व्यापक सोच विचार में लेखन सूरतगढ़ से चलता रहा जो अभी भी निरंतर जारी है।
देश के अनेक अखबारों में पत्र पत्रिकाओं में और विभिन्न सोच विचार वाले संगठनों के प्रकाशनों में लिखना पढऩा मेरी रूचि व कर्म माना जा सकता है लेकिन बिना साधनों के बिना अर्थतंत्र के यह सब ईश्वर की देन से ही संभव हो सका है।
धार्मिक स्थलों,शिक्षा संस्थानों व सामाजिक संगठनों के कार्यक्रमों में सच्च लिखने की प्रेरणा मिलती रही है और उनके संचालकों से शक्ति मिलती रही है।
मैंने समाजसेवी संगठनों को सदैव ईश्वरीय दूत मानते हुए उनके कार्यक्रमों में हर संभव कोशिश की है एवं उनकी खबरें ,विशेष रपटें लेख आदि लिखने में आगे रखने की कोशिश की है। अनेक बार स्वयं के कार्य और परिवार के कार्य छोडऩे पड़े मगर इसे कभी मजबूरी नहीं माना और कहीं भी मजबूरी जैसा बखान नहीं किया। इस प्रकार के कार्यक्रमों को सदा परम शक्ति का आदेश निर्देश माना।
इतने वर्षों में अनेक बाधाएं  संघर्ष भी आए लेकिन उनको अच्छा अनुभव माना जिसमें आपातकाल की सन् 1975 की जेल यात्रा भी थी।

राजस्थान पत्रिका में करीब 35 वर्षों तक की पत्रकारिता में कर्पूरचंद कुलिश,विजय भंडारी,गुलाबचंद कोठारी व मिलापचंद कोठारी के सानिध्य में बहुत कुछ लिखा। राजस्थान पत्रिका के प्रसिद्ध स्तंभ कड़वा मीठा सच्च के राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार 3 बार व द्वितीय पुरस्कार 1 बार लेने तथा अनेक पुरस्कार लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

राजस्थान के प्रसिद्ध शिक्षा संस्थान ग्रामोत्थान विद्यापीठ संगरिया राजस्थान से 9 अगस्त 1997 में पत्रकारिता का पुरस्कार प्राप्त हुआ। स्वामी केशवानन्द जी की महान कर्मभूमि और शिक्षा के पवित्र तीर्थ स्थल से यह प्रसाद और आशीर्वाद मिलना भी महत्वपूर्ण रहा। समारोह में पुरस्कार राशि उसी समय धर्मपत्नी श्रीमती विनीता समर्यवंशी ने बालिका शिक्षा में प्रदान कर दी। वे उस समारोह में साथ थी।

सामाजिक आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका रही। सूरतगढ़ में राजकीय महा विद्यालय खुलवाने के आंदोलन में सदैव सक्रियता रही। गुरूशरण छाबड़ा सूरतगढ़ से विधायक बने। जनता पार्टी की सरकार बनी और भैरोंसिंह शेखावत जिस दिन मुख्यमंत्री चुने गए। उसी रात करीब ग्यारह बजे उनके निवास पर जा कर महाविद्यालय की मांग और मौखिक स्वीकृति ली। विधायक गुरूशरण छाबड़ा का नेतृत्व था और स्वं राजाराम बिश्रोई कड़वासरा मानकसर साथ थे।
वर्तमान में भी लेखन और पत्रकारिता निरंतर जारी है और यह ईश्वर के आशीर्वाद से ही संभव है।
मेरी वेब साइट  www.karnipressindia.com    पर आप अनेक प्रकार की सामग्री सचित्र देख पढ़ सकते हैं। 



आपका एक सहयोगी मात्र,
करणीदानसिंह राजपूत

बुधवार, 15 अक्तूबर 2014

नेता पारिवारों के सूरतगढ़ पालिका जमीन पर विशाल कब्जे बाग खेत रूप में:


सरकारी जमीन के लाखों के पेड़  इन कब्जों में घेर लिए गए
आरसीपी की विशाल डिग्गी वाला इलाका:

- ब्लास्ट की आवाज  29 सितम्बर 2014 की स्पेशल रिपोर्ट -हमारे पाठकों वास्ते साभार -
 






सूरतगढ़। आरसीपी की विशाल डिग्गी जो उजड़ गई तथा आरसीपी के ईंट भट्टों के बंद होने के बाद विशाल क्षेत्र में गहरे गड्ढे जो गंदे पानी के तालाब बन गए थे के किनारों पर जंगल रूप में हजारों पेड़ ऊग गए और उस विशाल जमीन पर भू माफिया नेताओं ने कब्जे किए और बेचते हुए करोड़ों रूपए कमाए। इस जमीन पर गंदे पानी का तालाब बन गया जिसे गंदगी मच्छरों व बीमारियों का हवाला देते हुए पालिका पर दबाव बना कर खाली रखवाया गया।
जब किनारे खाली होने लगे तब बड़े बड़े कब्जे कर आगे बेचे जाने लगे।
अभी भी इस विशाल क्षेत्र में बहुत बड़े बड़े खेत और बागनुमा कब्जे हैं। इन कब्जों में सैंकडों की संख्या में लाखों रूपए के विभिन्न किस्मों के पेड़ भी घेराबंदी में ले लिए गए जो सरकारी संपत्ति में ही आते हैं जिनकी कीमत हर कब्जें में लाखों रूपए बनती है।
वहां पर नगरपालिका ने प्लॉट बेचने की योजना में कुछ भूखंड नीलाम भी किए जो लाखों रूपए में बिके थे। वहां लाखों रूपए देकर रहने वाले परिवारों को इसका विरोध है कि कब्जेधारी भूमाफिया नेता लोगों के परिवार विशाल भूखंडों पर अवैध अतिक्रमण कर बाग और खेत का रूप दिए काबिज हैं और उनके बड़े बड़े घर अलग से कब्जों में स्थापित हैं। नगरपालिका राजनैतिक दलों के लोगों के परिवारों को जानते बूझते नहीं हटा रही।
भारतीय जनता पार्टी के कुछ वफादार कार्यकर्ताओं ने बताया कि ये कब्जे इतने विशाल हैं कि इनका पालिका के किसी कानून में नियमन तक नहीं हो सकता और वैसे भी कब्जेधारियों के घर अलग से बने हुए हैं। यह भी बताया गया कि पालिका की मिली भगती से कब्जों के पास से सड़कें निकाली गई हैं ताकि उन लोगों को अनैतिक लाभ दिया जा सके। 


एक सड़क का चित्र यहां दिया जा रहा जो रेखांकित 1 नम्बर से जोड़ी जानी चाहिए थी लेकिन उसे छोड़ दिया गया। सड़क को रेखांकित 2 नम्बर से आगे बढ़ाया गया लेकिन उसे भी बीच में ही छोड़ दिया गया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने बताया कि बड़े नेता भू माफियाओं ने सड़क आगे नहीं बढऩे दी कि वहां आगे उनके कब्जे हैं जबकि सच्च यह है कि आगे खाली जगह है और वह कोई रोकना चाहता है।
वहां पर जिन लोगों के विशाल कब्जे हैं उनके नाम भी लेने में लोगों को हिचक नहीं है। उनमें भाजपा नेता परिवार और कांग्रेस के नेताओं के नाम हैं।
नगरपालिका व उच्च प्रशासन इन कब्जों की बाड़ व कच्ची दीवारों के रूप के घेरे हटवा कर इनको मुक्त करवाए तथा वन विभाग से पेड़ों का आंकलन करवा कर अपने कब्जे में ले।
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15-10-2014
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शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

सुहागिनों के पर्व करवा चौथ कथा एवं चन्द्र दर्शन





 
 
 

सूरतगढ़, 11 अक्टूबर। सुहागिनों के पर्व करवा चौथ की सुबह से कथा सुनने और सुनाने की शुरूआत हुई। परंपरागत परिधानों में सजी सुहागिनें एक दूजे के घर एकत्रित हुई और कथा सुनी।
रात्रि में चन्द्र दर्शन के पश्चात व्रत खोला गया।
रिपोर्ट= करणीदानसिंह राजपूत              फोटो-सुभाष राजपूत एवं रमेश स्वामी
सुहागिनों के पर्व करवा चौथ कथा एवं चन्द्र दर्शन

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