सरदार पटेल लौह पुरूष थे और अब मोम के पुतले जिनमें प्राण नहीं। देश की स्वतंत्रता के इतने वर्ष बाद राष्ट्रवादी देश भक्त कहलाने वाले नाम के देश भक्त और राष्ट्रवादी रह गए हैं,उनमें एक भी नेता लौह पुरूष जैसा चरित्र नहीं बना पाया। देश की एकता अखंडता के लिए रियासतों के एकीकरण के लिए सरदार पटेल कठोर थे जिसके कारण देश का यह स्वरूप बन पाया। बड़ी बड़ी रियासतों के राजाओं को चेतावनी देना बड़ा कठिन कार्य ही था। लेकिन सरदार पटेल ने वह चुनौति पूर्ण कार्य किया और सफल भी हुए।
लेकिन आज के देश भक्त राष्ट्रवादी कहलाने वाले नेताओं व राजनैतिक दलों में यह चरित्र और आत्मबल देखने को ही नहीं मिलता। आज के नेताओं में सत्ता लोलुप, परिवार लोलुप,धन लोलुप और चारीत्रिक पतन को लिए हुए हैं। बड़े नेताओं को तो सत्ता लोलुप हैं मगर छोटे से छोटे नेता और कार्यकर्ता स्वार्थी हो गए हैं। एक एक पैसे के लिए ईमान बेचने में क्षण भर की देरी नहीं करते। चोरों लुटेरों धोखेबाजों ठगों और नारी से दुराचार करने वालों से मित्रता साझेदारी कर लेते हैं। कोई शर्म नहीं।
सामाजिक संगठन और समाजसेवी संस्थाएं ऐसे लोलुप लोगों को बड़ा मानते हुए मंचों पर आसीन करते हैं और उनके हाथें से सम्मान प्रदान करवाते हैं। गुणी ज्ञानी प्रतिभाशाली विद्यार्थी को दुराचारी के हाथों से दिलवाया गया प्रशस्ति पत्र उस विद्यार्थी को जीवन देगा या जहर देगा? लेकिन संस्थाएं अपने स्वार्थ के लिए इतने घिनौने कार्य करने में संकोच नहीं करती।
इतना बड़ा देश जिसमें कितने कस्बे कितने ग्राम कितने शहर हैं?
कम से कम हर ग्राम हर कस्बे और हर शहर में एक एक तो लौह पुरूष जैसा व्यक्ति तो हो,चाहे पुरूष हो चाहे नारी।
सरदार पटेल की जयंती पर आज 31 अक्टूबर 2013 पर उनको नमन।
- करणीदानसिंह राजपूत
राजस्थान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार,
सूरतगढ़. राजस्थान
94143 81356
--------------------------------------