शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

सूरतगढ़ के बुरे हाल.जिनका है राज,उनको परवाह नहीं.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ जिला बनाने की मांग है और इधर हालात कस्बे से बुरे हो चुके हैं।हर जगह लोगों का दर्द झलक उठता है।

* आधार सेंटर यहां पांच मंजूर है जिनमें से केवल एक काम कर रहा है। चार सेंटर बंद है वे  पिछले 1 साल से बंद पड़े हैं लेकिन शासन को परवाह है न प्रशासन को परवाह है। जिनकी सत्ता है उनको भी परवाह नहीं है। जिनको काम पड़ रहा है वे इधर-उधर भागदौड़ करते हैं, परेशान होते हैं। जो मंजूर सुदा सेंटर हैं वहां पहुंचने के बाद के लिखा हुआ मिलता है कि यह केंद्र बंद है। उसकी भी सही सूचना नहीं की कितने दिन से बंद है? आगे कितने दिन बंद रहेगा? बंद रहने का कारण क्या है?

स्थानीय प्रशासन आखिर निरीक्षण क्यों नहीं करता? जिला स्तर पर इसकी रिपोर्ट क्यों नहीं जाती? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। 

👌 सूरतगढ़ में आधार सेंटर पांच मंजूर सुदा हैं। पंचायत समिति, नगर पालिका, सार्वजनिक निर्माण विभाग, महिला बाल विकास और पोस्ट ऑफिस है। इस समय केवल पोस्ट ऑफिस वाला सेंटर ही काम कर रहा है जिस पर पहुंचने वाले लोगों का नंबर नहीं आ पाता। यहां विशेष रूप से कहने की बात ही है कि सूरतगढ़ से पीलीबंगा बहुत छोटा स्थान है वहां पर 9 आधार सेंटर मंजूर है और सूरतगढ़ में केवल पांच सेंटर है उनमें भी 4 बंद है और एक काम कर रहा है।

** महत्वपूर्ण बिंदु पर कभी कोई राजनेता ध्यान देना नहीं चाहता। सूरतगढ़ के हाल आधार सेंटर के अलावा भी बेहाल हैं बुरे हैं।

👌 अतिरिक्त जिला कलेक्टर का यहां से स्थानांतरण हो गया। उसके बाद में अनूपगढ़ के अतिरिक्त जिला कलेक्टर को सप्ताह में एक दिन की ड्यूटी सूरतगढ़ में दी गई। यह ड्यूटी सुबह 9:00 बजे से शुरू होकर शाम के 6:00 तक है लेकिन अतिरिक्त जिला कलेक्टर यहां केवल दो-तीन घंटे तक ही रुक पाते हैं। वे अनूपगढ़ से आते हैं और तीन चार घंटे ही रुकते हैं। जबकि ड्यूटी 6:00 बजे तक की है और 6:00 बजे तक उनको यहां रहना चाहिए। कोई भी व्यक्ति काम पड़ने पर उपस्थित हो सकता है।

 **इसी तरह से पुलिस से संबंधित कोई कार्य है तो उसके लिए भी एडिशनल एसपी अनूपगढ़ को सूरतगढ़ से जोड़ा गया है जो की बिल्कुल ही गलत है। पहले एडिशनल एसपी श्रीगंगानगर होते थे। जिला एसपी से कोई बात करनी होती उनकी मौजूदगी नहीं होती, समय नहीं होता तो एडिशनल एसपी से वहीं गंगानगर में आदमी बात कर सकता था। अब अगर कोई बात करनी है या एसपी ही एडिशनल एसपी से बात करने का कहे तो वह तुरंत नहीं होगी।अनूपगढ़ अलग से जाना पड़ेगा।

* जनता की इन समस्याओं पर सत्ताधारी नेताओं की चुप्पी बहुत अखर रही है। लेकिन जनता की ओर से भी एक बड़ी कमी। कोई संगठन उसके प्रतिनिधि आवाज उठाना नहीं चाहते।सोशल साइट्स पर लिखने वाले कथित नेताओं को लिखित में आवाज उठाना भी भारी लगता है। इसलिए सभी चुप होकर के बैठे हैं। 

* पेंशन के लिए भटकते हुए वृद्ध जन उपखंड कार्यालय के आगे चक्कर काटते रहते हैं। 

 *परेशान वे लोग हैं जिनको काम पड़ रहा है।प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का राज है लेकिन यहां पर भाजपा से संबंधित कोई नेता और कार्यकर्ता जनता की समस्याओं को सुलझाने के लिए परेशान लोगों के साथ काम कराता हुआ दिखाई नहीं देता। भाजपा के पास कार्यकर्ता बहुत हैं लेकिन वे जनता के काम करवाने के लिए नहीं है। 

*आम आदमी पार्टी, बसपा, जेजेपी नेताओं में भी शिकायत करने की क्षमता नहीं है।

विपक्ष में यहां विधायक कांग्रेस के डुंगरराम गेदर हैं। उनका या कांग्रेस का भी कोई कार्यकर्ता परेशान लोगों के काम कराने के लिए साथ में नजर नहीं आता। ०0०







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