तुम आओ दोनो गले मिलें
पचास डिग्री गरमी भीतर।
तुम्हारे मिलने से मेरा तन
शीतल शीतल हो जाएगा।
तुम्हें भेज रहा रोज संदेश
तुम पढती हो हर संदेश।
रात में जब वो चली जाती
तब कितने बुलावे देता हूं।
दिन में गरमी में आ मिलो
तुमसे मिले बिना चैन नही।
दिन में आओ तो बुरा नही
रात के अंधेरे में मिललो।
तुम समझो मेरी बेचैनी
यह गरमी झुलसा रही है।
तुम आओ और मिल लो
प्रिय क्यों सता रही हो ।
मेरे संग दूजों से भी मिलन
कितना अच्छा मौका होगा।
बस,जल्दी से आओ मिलो
मुझे शीतल शीतल कर दो।
आकाश से उतर परी जैसे
लिपटो चिपटो मेरे अंगों से।
मेरे हर अंग को तर करदो
मैं भीग भीग मस्त हो जाऊं।
तुम आओ दोनो गले मिलें
पचास डिग्री गरमी भीतर।
तुम्हारे मिलने से मेरा तन
शीतल शीतल हो जाएगा।
मुझे भरोसा है तुम आओगी
मैं भीगा भीगा गाऊंगा गीत।
तुम्हारे मिलन से मेरा तन ओ
मेरी धरा शीतल शीतल होंगे।
पचास डिग्री गरमी भीतर।
तुम्हारे मिलने से मेरा तन
शीतल शीतल हो जाएगा।
तुम पढती हो हर संदेश।
रात में जब वो चली जाती
तब कितने बुलावे देता हूं।
तुमसे मिले बिना चैन नही।
दिन में आओ तो बुरा नही
रात के अंधेरे में मिललो।
यह गरमी झुलसा रही है।
तुम आओ और मिल लो
प्रिय क्यों सता रही हो ।
कितना अच्छा मौका होगा।
बस,जल्दी से आओ मिलो
मुझे शीतल शीतल कर दो।
लिपटो चिपटो मेरे अंगों से।
मेरे हर अंग को तर करदो
मैं भीग भीग मस्त हो जाऊं।
पचास डिग्री गरमी भीतर।
तुम्हारे मिलने से मेरा तन
शीतल शीतल हो जाएगा।
मैं भीगा भीगा गाऊंगा गीत।
तुम्हारे मिलन से मेरा तन ओ
मेरी धरा शीतल शीतल होंगे।