बुधवार, 5 जून 2019

1 करोड़ से अधिक ये कौन हैं भयभीत उईगुर मुसलमान?चीन सरकार ने क्यों लगा रखी है सख्त पाबंदियां*

*चीन के शिनजियांग में  मस्जिदें ढहाने के  बाद  उइगुर मुसलमानों का फीका गुजरा रमजान*

होतन (चीन)5 जून 2019.


चीन के अशांत शिनजियांग क्षेत्र में हेयितका मस्जिद के इर्द-गिर्द एक वक्त रौनक सी रहती थी, लेकिन ऊंची गुंबददार इमारत की निशानी मिटने के साथ यह जगह अब वीरान हो चुकी है। दुनिया भर के मुसलमान खुशी और उत्साह के साथ ईद मना रहे हैं लेकिन हालिया समय में शिनजियांग में दर्जनों मस्जिदों को ढहाए जाने के कारण उइगुर और अन्य अल्पसंख्यक आबादी सुरक्षाकर्मियों की भारी मौजूदगी वाले इस क्षेत्र में दबाव का सामना कर रहे हैं और उनका रमजान भी फीका गुजरा। 

न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, होतन शहर में इस जगह के पीछे एक प्राथमिक स्कूल की दीवार पर लाल रंग में लिखा है 'पार्टी के लिए लोगों को पढ़ाएं और इस स्कूल में प्रवेश से पहले छात्रों को अपना चेहरा स्कैन कराना पड़ता है। पास के बाजार के एक दुकानदार ने कहा कि मस्जिद की बनावट 'शानदार थी। वहां पर कई लोग रहते थे। उपग्रह से मिली तथा अन्य तस्वीरों को खंगालने से पता चलता है कि 2017 के बाद से 36 मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को गिराया जा चुका है।

जो मस्जिद खुले हैं, वहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना पड़ता है और सर्विलांस कैमरा से लगातार उनपर निगरानी रखी जाती है । दमन के डर से पहचान नहीं उजागर करने का अनुरोध करते हुए एक उइगुर मुसलमान ने कहा कि यहां पर हालात बहुत सख्त है, दिल कड़ा करके रहना पड़ता है।

बुधवार को ईद मनाने वाले मुसलमान बड़ी खामोशी से ईदगाह मस्जिद पहुंचे। इस मस्जिद को प्रशासन ने मंजूरी दे रखी है और यह चीन की सबसे बड़ी मस्जिदों में एक है। आसपास की सड़कों, इमारतों पर सादी वर्दी में सुरक्षाकर्मी आने-जाने वालों पर कड़ी नजर रखे हुए थे। 

शिनजियांग में मुस्लिमों के लिए इस बार भी रमजान पर कोई रौनक नहीं थी। जब मुसलमान रोजा रखते थे, रेस्तरां में उमड़ी भीड़ को पूरे दिन भोजन परोसा जाता था। शुक्रवार को होतन में सूर्यास्त के बाद भी यह इकलौती मस्जिद सुनसान थी। इससे पहले दिन में करीब 100 लोग नमाज पढ़ने आए थे, लेकिन उनमें ज्यादातर बुजुर्ग मुसलमान थे। 

चीन के ला त्रोबे विश्वविद्यालय में जातीय समुदाय और नीति के विशेषज्ञ जेम्स लीबोल्ड ने कहा कि सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी धर्म को खतरा मानती है। लंबे समय से चीन सरकार चीनी समाज को धर्मनिरपेक्ष बनाना चाहती है।  शिनजियांग सरकार ने कहा कि वह धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करती है और नागरिक कानून की सीमा के दायरे में रहते हुए रमजान मना सकते हैं । 

घातक हमले की आशंका के मद्देनजर सरकार ने पूरे क्षेत्र में कैमरे लगा रखे हैं। मोबाइल पुलिस थाने और जगह-जगह जांच चौकी बनायी गयी है। अनुमानों के मुताबिक दस लाख उइगुर और तुर्की भाषी लोगों को अस्थायी शिविरों में रखा गया है। शुरुआत में उनकी मौजूदगी से इनकार करते हुए चीनी प्रशासन ने पिछले साल माना कि वे व्यावसायिक शिक्षा केंद्र चला रहे हैं, जिसका मकसद है कि लोग मंदारिन और चीनी कानूनों से वाकिफ होकर धार्मिक चरमपंथ का रास्ता त्याग दें। इन केंद्रों में रमजान को लेकर कोई उत्साह नहीं था।

शिनजियांग सरकार ने कहा कि लोगों को धार्मिक गतिविधियों की इजाजत नहीं दी गयी क्योंकि चीनी कानून शैक्षिक केंद्रों में इस पर रोक लगाते हैं, लेकिन सप्ताहांत में वापसी पर उन्हें ऐसा करने की इजाजत होगी । 

उइगर कौन हैं ?

इस्लाम को मानने वाले उइगर समुदाय के लोग चीन के सबसे बड़े और पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग प्रांत में रहते हैं. इस प्रांत की सीमा मंगोलिया और रूस सहित आठ देशों के साथ मिलती है. तुर्क मूल के उइगर मुसलमानों की इस क्षेत्र में आबादी एक करोड़ से ऊपर है. इस क्षेत्र में उनकी आबादी बहुसंख्यक थी. लेकिन जब से इस क्षेत्र में चीनी समुदाय हान की संख्या बढ़ी है और सेना की तैनाती हुई है तब से यह स्थिति बदल गई है.


चीनी सरकार के साथ तनाव का कारण


शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' चला रहे हैं जिसका मकसद चीन से अलग होना है. दरअसल, 1949 में पूर्वी तुर्किस्तान, जो अब शिनजियांग है, को एक अलग राष्ट्र के तौर पर कुछ समय के लिए पहचान मिली थी, लेकिन उसी साल यह चीन का हिस्सा बन गया. 1990 में सोवियत संघ के पतन के बाद इस क्षेत्र की आजादी के लिए यहां के लोगों ने काफी संघर्ष किया. उस समय इन लोगों के आंदोलन को मध्य एशिया में कई मुस्लिम देशों का समर्थन भी मिला था लेकिन, चीनी सरकार के कड़े रुख के आगे किसी की एक न चली.


बीते कुछ समय के दौरान इस क्षेत्र में हान चीनियों की संख्या में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी हुई है. उइगरों का कहना है कि चीन की वामपंथी सरकार हान चीनियों को शिनजियांग में इसीलिए भेज रही है कि उइगरों के आंदोलन 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' को दबाया जा सके. चीनी सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियां भी कुछ ऐसा ही दर्शाती हैं. शिनजियांग प्रांत में रहने वाले हान चीनियों को मजबूत करने के लिए चीन सरकार हर संभव मदद दे रही है यहां तक कि इस क्षेत्र की नौकरियों में उन्हें ऊंचे पदों पर बिठाया जाता है और उइगुरों को दोयम दर्जे की नौकरियां दी जाती हैं. कुछ जानकार चीनियों को नौकरियों में ऊंचे पदों पर बिठाने का एक कारण यह भी मानते हैं कि सामरिक दृष्टि से शिनजियांग प्रांत चीन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और ऐसे में चीनी सरकार ऊंचे पदों पर विद्रोही रुख वाले उईगरों को बिठाकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती.


उइगरों और हान चीनियों के बीच हिंसक झड़पें


चीन की वामपंथी सरकार के इस रुख के चलते इस क्षेत्र में हान चीनियों और उइगरों के बीच टकराव की खबरें आती रहती हैं. 2008 में शिनजियांग की राजधानी उरुमची में हुई हिंसा में 200 लोग मारे गए जिनमें अधिकांश हान चीनी थे. इसके बाद 2009 में उरुमची में ही हुए दंगों में 156 उइगुर मुस्लिम मारे गए थे, उस समय तुर्की ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए इसे एक बड़े नरसंहार की संज्ञा दी थी. इसके बाद 2010 में भी कई हिंसक झड़पों की खबरें आईं. 2012 में छह लोगों को हाटन से उरुमची जा रहे एयरक्राफ्ट को हाइजैक करने की कोशिश के चलते गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने इसमें उइगरों का हाथ बताया. 2013 में प्रदर्शन कर रहे 27 उइगरों की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी. सरकारी मीडिया का कहना था कि प्रदर्शनकारियों के पास हथियार थे जिस वजह से पुलिस को गोलियां चलानी पड़ीं. इसी साल अक्टूबर में बीजिंग में एक कार बम धमाके में पांच लोग मारे गए जिसका आरोप उइगरों पर लगा. ये भी वे मामले ही हैं जो विदेशी मीडिया की सक्रियता से सामने आ गए वरना माना जाता है कि ऐसे सैकड़ों मामले चीनी सरकार ने दबा दिए.


इस क्षेत्र में उइगर मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता पर भी सरकार ने अंकुश लगा रखा है. 2014 में शिनजियांग की सरकार ने रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों के रोजा रखने और मुस्लिम नागरिकों के दाढ़ी बढ़ाने पर पाबंदी लगा दी थी. 2014 में ही राष्ट्रपति जिनपिंग के सख्त आदेशों के बाद यहां की कई मस्जिदें और मदसों के भवन ढहा दिए गए.


आरोप-प्रत्यारोप


चीनी सरकारी मीडिया की बात मानें तो इस सब के लिए उइगरों का संगठन 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' दोषी है. सरकार का कहना है कि इस हिंसा के लिए विदशों में बैठे उइगर नेता जिम्मेदार हैं. उसने 2014 में इन घटनाओं के लिए सीधे तौर पर वरिष्ठ उइगर नेता लहम टोहती को जिम्मेदार ठहराया था. इसके अलावा इन घटनाओं में डोल्कन इसा का हाथ बताते हुए उन्हें 'मोस्ट वांटेड' की सूची में रखा गया है. इन मामलों को लेकर चीन में कई उइगर नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया है.


वहीं, उइगर नेता और यह संगठन इन सभी आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत बताते हैं, उनका कहना है कि इन सभी मामलों के लिए चीनी सरकार दोषी है. जहां तक बाकी दुनिया की बात है तो अमेरिका ने 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' को उइगरों का एक अलगाववादी समूह बताया है.

 (इंटरनेट सामग्री।5-6-2019.)

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